जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 41 साल पहले वर्ष 1982 में एक व्यक्ति को गंभीर रूप से घायल करने के मामले में लंबित मुकदमे का आज निस्तारण करते हुए आरोपियों को परिवीक्षा (Probation) का लाभ दिया है. अदालत ने कहा कि अपीलार्थी अगले दो साल के लिए जमानत मुचलके अदालत में पेश करें. इस दौरान अपीलार्थी शांति बनाए रखने के साथ ही अपना बर्ताव सही रखें. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश नानग राम, महावीर, श्री किशन और कांति की अपील पर दिए हैं. हालांकि सुनवाई के दौरान नानग राम और कांति की मौत हो चुकी है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अपीलार्थियों ने 41 साल मुकदमा लंबित होने का दर्द झेला है. अपीलार्थी वर्तमान में 65 साल की उम्र से अधिक की आयु पूरी कर चुका है. अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि 15 अप्रैल, 1982 को राजेन्द्र सिंह ने अलवर के शाहजहांपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया कि वह अपने परिजनों के साथ घर पर बैठा था. इतने में अभियुक्तों ने वहां आकर उनके साथ मारपीट की और हथियारों से गंभीर रूप से घायल कर दिया.
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने अपीलार्थियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल किया. जिस पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने नवंबर 1988 को फैसला सुनाते हुए अपीलार्थियों को तीन साल की सजा सुनाई थी. अपीलार्थी की ओर से कहा गया कि वे 41 साल तक ट्रायल का सामना करते हुए अब 65 साल की उम्र पार कर चुके हैं. ऐसे में उन्हें परिवीक्षा का लाभ देते हुए प्रकरण का निस्तारण किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अपीलार्थियों को परिवीक्षा का लाभ देते हुए प्रकरण का निस्तारण कर दिया है.
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