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Rajasthan High Court : फार्मासिस्ट भर्ती की मेरिट लिस्ट तैयार करें, लेकिन अंतिम रूप देने पर रहेगी रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब दो हजार पदों के लिए हो रही फार्मासिस्ट भर्ती-2020 की (Merit list in Pharmacist Recruitment) मेरिट लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया जारी रखने की छूट देते हुए लिस्ट को अंतिम रूप नहीं देने को कहा है.

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Published : Dec 19, 2022, 10:19 PM IST

Rajasthan High Court
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जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब दो हजार पदों के लिए हो रही फार्मासिस्ट भर्ती-2020 की मेरिट लिस्ट तैयार करने (Merit list in Pharmacist Recruitment) की प्रक्रिया जारी रखने की छूट देते हुए लिस्ट को अंतिम रूप नहीं देने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश भंवर कुमार बागडिया की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने गत 16 नवंबर को फार्मासिस्ट के पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया. जिसमें चयन प्रक्रिया का आधार लिखित परीक्षा के बजाए, तय योग्यता में प्राप्त अंकों को रखा गया. भर्ती के नियमों की वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है. कई निजी विवि में परीक्षा का पैटर्न भिन्न होता है. कहीं फार्मा कोर्स की परीक्षा में केवल वैकल्पिक परीक्षा के जरिए अंकों का निर्धारण होता है.

पढ़ें. Medical Jobs: चिकित्सा विभाग में नर्सिंग के 1289 और फार्मासिस्ट के 2020 पदों पर होगी भर्ती, विज्ञप्ति जारी

जबकि सरकारी विवि में अंकों का निर्धारण लिखित परीक्षा के जरिए होता है. ऐसे में निजी विवि के अभ्यर्थियों के अंक ज्यादा होते हैं. ऐसे में केवल योग्यता परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही अभ्यर्थियों के बीच चयन का आधार तय नहीं किया जा सकता. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने चयन प्रक्रिया जारी रखने के आदेश देते हुए मेरिट लिस्ट को अंतिम रूप देने पर रोक लगा दी है.

चिकित्सकों के प्रवेश के समय लिए गए दस्तावेज वापस लौटाएं : राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह पीजी कर चुके चिकित्सकों के प्रवेश के समय लिए गए दस्तावेज वापस लौटाएं. अदालत ने कहा कि इसके लिए संबंधित चिकित्सक हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग पेश करें कि यदि वे दी गई नियुक्ति स्वीकार करने के इच्छुक नहीं है तो वे बॉन्ड के तहत बताई राशि जमा करा देगा. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि जल्द से जल्द नए सिरे से चयन और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करें. हालांकि अदालत ने नई नियुक्तियां होने तक पूर्व में नियुक्त हुए चिकित्सकों को काम करते रहने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से दायर अपील में पेश स्टे एप्लिकेशन को निस्तारित करते हुए दिए.

राज्य सरकार की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया कि एकलपीठ ने मामले में विरोधाभासी आदेश दिया है. एकलपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पीजी करने के बाद तय समय तक सरकारी सेवा करने के बॉन्ड को भराने को सही माना है, लेकिन वास्तविक दस्तावेज जमा रखने को गलत माना है. ऐसे में मामले की सुनवाई होने तक एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार के प्रार्थना पत्र को निस्तारित करते हुए कहा है कि संबंधित चिकित्सक हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग पेश कर अपने दस्तावेज ले सकते हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब दो हजार पदों के लिए हो रही फार्मासिस्ट भर्ती-2020 की मेरिट लिस्ट तैयार करने (Merit list in Pharmacist Recruitment) की प्रक्रिया जारी रखने की छूट देते हुए लिस्ट को अंतिम रूप नहीं देने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश भंवर कुमार बागडिया की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने गत 16 नवंबर को फार्मासिस्ट के पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया. जिसमें चयन प्रक्रिया का आधार लिखित परीक्षा के बजाए, तय योग्यता में प्राप्त अंकों को रखा गया. भर्ती के नियमों की वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है. कई निजी विवि में परीक्षा का पैटर्न भिन्न होता है. कहीं फार्मा कोर्स की परीक्षा में केवल वैकल्पिक परीक्षा के जरिए अंकों का निर्धारण होता है.

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जबकि सरकारी विवि में अंकों का निर्धारण लिखित परीक्षा के जरिए होता है. ऐसे में निजी विवि के अभ्यर्थियों के अंक ज्यादा होते हैं. ऐसे में केवल योग्यता परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही अभ्यर्थियों के बीच चयन का आधार तय नहीं किया जा सकता. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने चयन प्रक्रिया जारी रखने के आदेश देते हुए मेरिट लिस्ट को अंतिम रूप देने पर रोक लगा दी है.

चिकित्सकों के प्रवेश के समय लिए गए दस्तावेज वापस लौटाएं : राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह पीजी कर चुके चिकित्सकों के प्रवेश के समय लिए गए दस्तावेज वापस लौटाएं. अदालत ने कहा कि इसके लिए संबंधित चिकित्सक हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग पेश करें कि यदि वे दी गई नियुक्ति स्वीकार करने के इच्छुक नहीं है तो वे बॉन्ड के तहत बताई राशि जमा करा देगा. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि जल्द से जल्द नए सिरे से चयन और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करें. हालांकि अदालत ने नई नियुक्तियां होने तक पूर्व में नियुक्त हुए चिकित्सकों को काम करते रहने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से दायर अपील में पेश स्टे एप्लिकेशन को निस्तारित करते हुए दिए.

राज्य सरकार की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया कि एकलपीठ ने मामले में विरोधाभासी आदेश दिया है. एकलपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पीजी करने के बाद तय समय तक सरकारी सेवा करने के बॉन्ड को भराने को सही माना है, लेकिन वास्तविक दस्तावेज जमा रखने को गलत माना है. ऐसे में मामले की सुनवाई होने तक एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार के प्रार्थना पत्र को निस्तारित करते हुए कहा है कि संबंधित चिकित्सक हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग पेश कर अपने दस्तावेज ले सकते हैं.

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