जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्र में काम कर चुकी चिकित्सक को बोनस अंकों का लाभ नहीं देने के मामले में आदेश दिए हैं कि चिकित्सक को पीजी पाठ्यक्रम के अगले सत्र में प्रवेश दिया जाए. हालांकि, इस दौरान किसी दूसरे अभ्यर्थी का प्रवेश निरस्त नहीं किया जाएगा. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. स्नेहा तिवाडी की ओर से दायर अपील पर दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अपीलार्थी को बिना किसी गलती पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित किया गया है. हालांकि वर्तमान सत्र में प्रवेश की अंतिम तिथि निकल चुकी है और अपीलार्थी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने की हकदार थी. ऐसे में अब उसे अगले सत्र में प्रवेश दिया जाए.
20 बोनस अंक नहीं मिला : अपील में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि अपीलार्थी वर्ष 2015 में डेंटल ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुई थी. साल 2018 में उसे अलवर की मंडावर सीएचसी में नियुक्त किया गया. इसके बाद कोरोना काल में उसे अलवर के ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति दी गई, जहां उसने कुल 750 दिन तक काम किया. अपील में कहा गया कि गत वर्ष की नीट पीजी परीक्षा में उसे नियमानुसार 20 बोनस अंक दिए जाने थे, लेकिन उसे इसका लाभ नहीं दिया गया.
पढ़ें. Rajasthan High Court: प्रमुख शिक्षा सचिव सहित अन्य अफसरों को अवमानना नोटिस
अगले सत्र के पीजी पाठ्यक्रम में मिलेगा प्रवेश : इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार और अन्य की ओर से कहा गया कि अपीलार्थी की मूल नियुक्ति शहरी क्षेत्र में थी और उसे कार्य व्यवस्था के लिए ग्रामीण क्षेत्र में लगाया गया था. यहां उसे ग्रामीण भत्ता भी नहीं दिया गया था. ऐसे में उसकी ओर से दी गई सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्र की सेवा के तौर पर नहीं गिना जा सकता. इसी आधार पर एकलपीठ ने भी पूर्व में उसकी याचिका को खारिज कर दिया था. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने माना कि अपीलार्थी को बिना किसी गलती के पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने से वंचित किया गया है. ऐसे में उसे अगले सत्र के पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाए.
राज्य सरकार को जवाब देने का अंतिम मौका : राजस्थान हाईकोर्ट ने अन्य सेवाओं से सीधा एक कोटा तय कर आईएएस सेवा में पदोन्नति के मुद्दे पर राज्य सरकार को जवाब के लिए अंतिम मौका देते हुए पूछा है कि क्यों न इसकी पदोन्नति प्रक्रिया पर ही रोक लगा दी जाए? एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद और अन्य की याचिकाओं पर दिया. अदालत ने सुनवाई जुलाई में तय की है.
पढ़ें. Rajasthan High Court: ऑगस्टिन जार्ज मसीह राजस्थान के नए सीजे बने
अपवाद कभी भी नियमित भर्ती का तरीका नहीं : सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि राज्य सरकार ने 17 फरवरी 2023 को सभी विभागों में पत्र भेजकर अन्य सेवाओं से आईएएस सेवा में पदोन्नति के लिए आवेदन मांगे. ऐसा करना नियमानुसार सही नहीं हैं, क्योंकि अपवादिक परिस्थितियों में ही ऐसा कर सकते हैं. अपवाद कभी भी नियमित भर्ती का तरीका नहीं हो सकता. राजस्थान सरकार ने खुद ही यह मान लिया है कि आईएएस पदोन्नति में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का भी एक कोटा है, ऐसा मानना गलत है. जबकि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट और उसके नियम-विनियम के तहत 66.67 प्रतिशत सीधी आईएएस भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है.
जुलाई में अगली सुनवाई : वहीं, अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे का 15 प्रतिशत तक अन्य सेवा के अफसरों से भरा जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल ही अन्य सेवा के अफसरों से आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली है. ऐसा करना न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए तय किए गए पदोन्नति पदों पर भी अतिक्रमण है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाब के लिए समय मांगा, जिस पर अदालत ने जवाब के लिए अंतिम मौका देते हुए सुनवाई जुलाई में तय की है.