जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पांच साल के लिए निर्वाचित सरपंच की जगह ग्राम पंचायत के पुनर्गठन के कारण ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त करने पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने प्रमुख पंचायती राज सचिव, संभागीय आयुक्त, जयपुर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कोटपूतली-बहरोड जिला कलेक्टर को नोटिस जारी किए हैं. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि जब सरपंच पद पर पांच साल के लिए निर्वाचन किया जाता है तो फिर ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त क्यों किया गया है? अदालत ने प्रशासक नियुक्त करने के विभाग के आदेश पर भी अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश जवानपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच जयराम जाट की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता जनवरी 2020 में पांच साल के लिए जवानपुरा का सरपंच निर्वाचित हुआ था. वहीं, पंचायती राज विभाग ने गत 19 जुलाई को जवानपुरा ग्राम पंचायत का पुनर्गठन कर नई ग्राम पंचायत खाटोलाई का गठन किया और 31 अगस्त को आदेश जारी कर पुनर्गठित ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त कर दिया. वहीं, प्रशासक को ग्राम पंचायतों की आगामी मीटिंग को आयोजित करने का निर्देश दे दिया.
इसको चुनौती देते हुए कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 243ए के तहत पंचायत के निर्वाचित सदस्य को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पूर्व नहीं हटाया गया जा सकता. याचिका में अदालत को यह भी बताया गया कि जवानपुरा ग्राम पंचायत के पुनर्गठन में विधिक प्रावधानों की भी पूर्णत: पालना नहीं की गई है. जवानपुरा ग्राम पंचायत को सर्वोत्तम स्वच्छता की दृष्टि से सम्मानित किया जा चुका है. ऐसे में ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त करने के आदेश को रद्द किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रशासक नियुक्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.