जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर वाहन एसआई भर्ती-2021 में अभ्यर्थियों को नियुक्तियां देने पर अंतरिम रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि अपील के निस्तारण तक सभी पक्षों के हितों की रक्षा करने के लिए भर्ती में यथा-स्थिति बनाए रखना आवश्यक है. इसके साथ ही अदालत ने अपील के अंतिम निस्तारण के लिए प्रकरण को जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने को कहा है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल कुमार उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश नरेन्द्र सैनी व अन्य की अपील याचिकाओं पर अंतरिम सुनवाई करते हुए दिए.
अपील में एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत अदालत ने भर्ती में तीन साल का डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थियों को पात्र मानते हुए डिग्री धारकों को भी पात्र मानने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था. अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद और अधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि एकलपीठ ने डिग्री को भर्ती के लिए उच्च योग्यता मानते हुए इसे भर्ती विज्ञापन में पात्रता के रूप में शामिल नहीं करने के आधार पर डिग्रीधारियों को पात्र नहीं माना था. वहीं एकलपीठ ने माना था कि डिग्री की पात्रता विज्ञापन जारी होने के बाद भर्ती बोर्ड ने शामिल की थी, जबकि बोर्ड इसके लिए अधिकृत नहीं था.
पढ़ेंः Rajasthan High Court: प्रार्थना पत्र लंबित रहना आदेश की पालना नहीं करने का आधार नहीं
अपील में कहा गया कि नियमों में भर्ती की पात्रता न्यूनतम योग्यता होती है, वहीं इन्हीं नियमों के तहत पूर्व में की गई भर्ती में आरपीएससी ने उच्च योग्यता वाले अभ्यर्थियों को पात्र माना था. इसके साथ ही वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने पत्र जारी कर डिग्रीधारियों को भर्ती के लिए पात्र माना था. ऐसे में एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अपील के अंतिम निस्तारण तक नियुक्तियां देने पर अंतरिम रोक लगा दी है. मामले के अनुसार राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 24 नवंबर 2021 को भर्ती विज्ञापन जारी कर परिवहन विभाग में मोटर वाहन एसआई के 197 पदों के लिए आवेदन मांगे. आवेदन के लिए तय योग्यता स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन का तीन साल का ऑटोमोबाइल या मैकेनिकल में डिप्लोमा मांगी गई. वहीं 15 दिसंबर 2021 को भर्ती विज्ञापन में संशोधन जारी कर ऑटोमोबाइल व मैकेनिकल में इंजीनियरिंग की डिग्री धारकों को भी भर्ती के योग्य मान लिया गया, जिसे डिप्लोमा धारियों ने एकलपीठ में चुनौती दी थी.