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G Club Firing Case : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, फायरिंग करने वाले नाबालिग को जमानत नहीं

हाईकोर्ट ने राजधानी जयपुर के जी क्लब में फायरिंग के मामले में नाबालिग को जमानत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने आरोपी की याचिका को भी खारिज कर दिया है. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : May 1, 2023, 8:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 करोड़ रुपये की फिरौती को लेकर जयपुर के जी क्लब में फायरिंग के मामले में नाबालिग को जमानत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि प्रकरण में अनुसंधान लंबित है. ऐसे में आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि गत 28 जनवरी को जी क्लब में हुई फायरिंग के मामले में याचिकाकर्ता को निरुद्ध किया गया था. उसे अधिक दिनों तक बाल सुधार गृह में नहीं रखा जा सकता. इसके अलावा प्रकरण में किसी भी व्यक्ति को चोट नहीं आई है. ऐसे में उसके खिलाफ हत्या का प्रयास का मामला भी नहीं बनता है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि 5 करोड़ रुपये की रिश्वत के मामले में आरोपी ने खुलेआम क्लब में फायरिंग की थी. जिसकी रिकॉर्डिंग सीसीटीवी में भी हुई है.

पढे़ं : पुलिस ने रितिक बॉक्सर को जेल से किया गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

याचिकाकर्ता ने 17 राउंड फायरिंग कर दहशत फैलाने का काम किया था. वहीं, याचिकाकर्ता घटना से पहले और घटना के बाद लॉरेंस ग्रुप के बदमाशों से लगातार संपर्क में था. वह इतना शातिर है कि मामले में पुलिस की ओर से पकड़े जाने के बाद उसने रास्ते में पेशाब का बहाना बनाकर फरार होने की कोशिश भी की थी. ऐसे में पुलिस ने उसके पांव में गोली मारकर काबू किया था. प्रकरण में फिलहाल अनुसंधान भी लंबित है. यदि उसे जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है. इसलिए उसकी याचिका खारिज की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया है.

आर्थिक कारणों से पैरोल का लाभ नहीं लेने वाले कैदियों की जानकारी करें गृह सचिव : राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह सचिव को आदेश दिए हैं कि वह उन कैदियों से संबंध में जानकारी करें, जो आर्थिक कारणों के चलते पैरोल का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने ऐसे मामलों में जमानत देने की शर्त में शिथिलता देने को कहा है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश साबिर हुसैन की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर जमानत पेश करने की लगाई शर्त को हटाते हुए उसे सिर्फ व्यक्तिगत मुचलके पर ही पैरोल का लाभ देने के आदेश दिए हैं.

याचिका मे अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि सांगानेर की खुली जेल में सजा काट रहे बिहार निवासी याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने गत 7 फरवरी को पैरोल का लाभ दिया था. इसके लिए याचिकाकर्ता को पचास हजार रुपये का स्वयं का मुचलका और पचास हजार रुपये की दो तस्दीकशुदा जमानते पेश करने को कहा था. याचिका में कहा गया कि उसके आर्थिक हालात ऐसे हैं कि वह दो तस्दीकशुदा जमानते पेश नहीं कर सकता है.

ऐसे में इस शर्त को हटाया जाए, ताकि उसे पैरोल का लाभ मिल सके. वहीं, राज्य सरकार की ओर से बिहार के गोपालगंज जिला पुलिस की ओर से मिली रिपोर्ट को पेश किया गया. रिपोर्ट में भी बताया गया कि याचिकाकर्ता की आर्थिक स्थिति बेहद सामान्य है और वह राज्य सरकार की ओर से लगाई जमानत पेश करने की शर्त पूरी नहीं कर सकता है, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने गृह सचिव को ऐसे कैदियों के संंबंध में जानकारी लेने के आदेश देते हुए ऐसे मामलों में जमानते देने की शर्त में शिथिलता देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 करोड़ रुपये की फिरौती को लेकर जयपुर के जी क्लब में फायरिंग के मामले में नाबालिग को जमानत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि प्रकरण में अनुसंधान लंबित है. ऐसे में आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि गत 28 जनवरी को जी क्लब में हुई फायरिंग के मामले में याचिकाकर्ता को निरुद्ध किया गया था. उसे अधिक दिनों तक बाल सुधार गृह में नहीं रखा जा सकता. इसके अलावा प्रकरण में किसी भी व्यक्ति को चोट नहीं आई है. ऐसे में उसके खिलाफ हत्या का प्रयास का मामला भी नहीं बनता है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि 5 करोड़ रुपये की रिश्वत के मामले में आरोपी ने खुलेआम क्लब में फायरिंग की थी. जिसकी रिकॉर्डिंग सीसीटीवी में भी हुई है.

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याचिकाकर्ता ने 17 राउंड फायरिंग कर दहशत फैलाने का काम किया था. वहीं, याचिकाकर्ता घटना से पहले और घटना के बाद लॉरेंस ग्रुप के बदमाशों से लगातार संपर्क में था. वह इतना शातिर है कि मामले में पुलिस की ओर से पकड़े जाने के बाद उसने रास्ते में पेशाब का बहाना बनाकर फरार होने की कोशिश भी की थी. ऐसे में पुलिस ने उसके पांव में गोली मारकर काबू किया था. प्रकरण में फिलहाल अनुसंधान भी लंबित है. यदि उसे जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है. इसलिए उसकी याचिका खारिज की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया है.

आर्थिक कारणों से पैरोल का लाभ नहीं लेने वाले कैदियों की जानकारी करें गृह सचिव : राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह सचिव को आदेश दिए हैं कि वह उन कैदियों से संबंध में जानकारी करें, जो आर्थिक कारणों के चलते पैरोल का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने ऐसे मामलों में जमानत देने की शर्त में शिथिलता देने को कहा है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश साबिर हुसैन की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर जमानत पेश करने की लगाई शर्त को हटाते हुए उसे सिर्फ व्यक्तिगत मुचलके पर ही पैरोल का लाभ देने के आदेश दिए हैं.

याचिका मे अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि सांगानेर की खुली जेल में सजा काट रहे बिहार निवासी याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने गत 7 फरवरी को पैरोल का लाभ दिया था. इसके लिए याचिकाकर्ता को पचास हजार रुपये का स्वयं का मुचलका और पचास हजार रुपये की दो तस्दीकशुदा जमानते पेश करने को कहा था. याचिका में कहा गया कि उसके आर्थिक हालात ऐसे हैं कि वह दो तस्दीकशुदा जमानते पेश नहीं कर सकता है.

ऐसे में इस शर्त को हटाया जाए, ताकि उसे पैरोल का लाभ मिल सके. वहीं, राज्य सरकार की ओर से बिहार के गोपालगंज जिला पुलिस की ओर से मिली रिपोर्ट को पेश किया गया. रिपोर्ट में भी बताया गया कि याचिकाकर्ता की आर्थिक स्थिति बेहद सामान्य है और वह राज्य सरकार की ओर से लगाई जमानत पेश करने की शर्त पूरी नहीं कर सकता है, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने गृह सचिव को ऐसे कैदियों के संंबंध में जानकारी लेने के आदेश देते हुए ऐसे मामलों में जमानते देने की शर्त में शिथिलता देने को कहा है.

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