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Rajasthan High Court : लंबे समय से कार्यरत संविदाकर्मी को नियमित नहीं करने पर मांगा जवाब

Rajasthan High Court ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में लंबे समय से कार्यरत संविदाकर्मी को नियमित नहीं करने पर संबंधित विभाग के अधिकारियों व सचिवों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Rajasthan High Court
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 9, 2023, 6:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में लंबे समय से कार्यरत संविदाकर्मी को नियमित नहीं करने पर कार्मिक सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय व अधिकारिता सचिव और निदेशक के साथ ही आयोग के सदस्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि यदि संविदाकर्मी का काम संतोषजनक है तो उसे सेवा से नहीं हटाया जाए. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश मुरारी लाल बैरवा की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुआ दिया.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ओबीसी आयोग में वर्ष 2011 से संविदा पर काम कर रहा है. वर्ष 2015 में उसे प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए संविदाकर्मी बनाया गया और 2018 में फिर से सीधे संविदा पर रखा गया. ऐसे में वह विगत 12 साल से आयोग में संविदाकर्मी के तौर पर काम रहा है. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिए राजस्थान कॉन्ट्रैक्चुअल हायरिंग सिविल पोस्ट नियम 2022 बनाए हैं. इसके तहत संविदाकर्मियों को स्थायी किया जा रहा है. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को इन नियमों के तहत नियमित करने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan High Court : तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के विवादित प्रश्नों को लेकर कर्मचारी चयन बोर्ड के चेयरमैन और सचिव से मांगा जवाब

जबकि वह राज्य सरकार के अधीन ही काम कर रहा है. इसके अलावा उसे हटाकर अन्य संविदाकर्मी को नियुक्त किया जा सकता है. नियमानुसार एक संविदाकर्मी से दूसरे संविदाकर्मी को नहीं बदला जा सकता है. किसी भी संविदा कर्मी को संबंधित पद पर नियमित कर्मचारी के नियुक्त होने पर ही हटाया जा सकता है. याचिका में गुहार की गई है कि उसकी लंबी संविदा अवधि को देखते हुए नियमित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में लंबे समय से कार्यरत संविदाकर्मी को नियमित नहीं करने पर कार्मिक सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय व अधिकारिता सचिव और निदेशक के साथ ही आयोग के सदस्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि यदि संविदाकर्मी का काम संतोषजनक है तो उसे सेवा से नहीं हटाया जाए. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश मुरारी लाल बैरवा की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुआ दिया.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ओबीसी आयोग में वर्ष 2011 से संविदा पर काम कर रहा है. वर्ष 2015 में उसे प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए संविदाकर्मी बनाया गया और 2018 में फिर से सीधे संविदा पर रखा गया. ऐसे में वह विगत 12 साल से आयोग में संविदाकर्मी के तौर पर काम रहा है. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिए राजस्थान कॉन्ट्रैक्चुअल हायरिंग सिविल पोस्ट नियम 2022 बनाए हैं. इसके तहत संविदाकर्मियों को स्थायी किया जा रहा है. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को इन नियमों के तहत नियमित करने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जा रहा है.

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जबकि वह राज्य सरकार के अधीन ही काम कर रहा है. इसके अलावा उसे हटाकर अन्य संविदाकर्मी को नियुक्त किया जा सकता है. नियमानुसार एक संविदाकर्मी से दूसरे संविदाकर्मी को नहीं बदला जा सकता है. किसी भी संविदा कर्मी को संबंधित पद पर नियमित कर्मचारी के नियुक्त होने पर ही हटाया जा सकता है. याचिका में गुहार की गई है कि उसकी लंबी संविदा अवधि को देखते हुए नियमित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगा दी है.

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