जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वन विभाग को निचले पद पर नियुक्ति करने और कर्मचारियों को बकाया भुगतान करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश सुरेंद्र माथुर और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान प्रमुख वित्त सचिव और वन विभाग के अधिकारी अदालत में पेश हुए. उनकी ओर से अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को निचले पदों पर नियुक्ति देने के आदेश को वापस ले लिया गया है. वहीं विभाग की ओर से बकाया भुगतान के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने विभाग को 2 सप्ताह का समय दिया है. आपको बता दें कि भरतपुर के श्रम न्यायालय ने वर्ष 2014 में अवार्ड जारी कर याचिकाकर्ताओं को स्टोर मुंशी के पद पर नियुक्ति देने के साथ ही उन्हें बकाया वेतन परिलाभ देने के आदेश दिए थे.
इस आदेश के खिलाफ विभाग की ओर से दायर अपील को भी हाईकोर्ट ने दिसंबर 2017 में खारिज कर दिया था. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से आदेश की पालना के लिए हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई. जिसमें कहा गया कि विभाग ने उन्हें पूरा परिलाभ नहीं दिया और निचले पदों पर नियुक्ति दी है. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रमुख वित्त सचिव और वन विभाग के अधिकारियों को पेश होने के आदेश दिए थे.
चारागाह भूमि अतिक्रमण के मामले में कि सुनवाई
वहीं, एक दूसरे मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने जमवारामगढ़ के पावटा गांव में चारागाह भूमि अतिक्रमण के मामले में कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार सहित दो अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.वहीं न्यायाधीश वीएस सिराधना की एकलपीठ ने यह आदेश रामविलास स्वामी की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता संजय भारती ने अदालत को बताया कि गांव में स्थित करीब ढाई हैक्टर चारागाह भूमि पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर पक्का निर्माण कर लिया है. इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से जिला प्रशासन को कई बार लिखित में शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन अब तक अतिक्रमण हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
वहीं याचिका में यह भी कहा गया कि स्थानीय तहसीलदार भी जमीन पर अतिक्रमण होना स्वीकार कर चुके हैं. इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.