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Ashok Gehlot In Assembly : तो क्या गहलोत ने वसुंधरा से सीखा अंदाज ए बयां!

सब राजस्थान बजट 2023-24 का इंतजार कर रहे हैं. सीएम अशोक गहलोत एक बार फिर पटल पर उम्मीदों की पोटली रखेंगे. सौगातों के साथ ही जो कुछ कहेंगे उस पर भी सबकी नजर है. क्या बात उसी शायराना अंदाज में रखेंगे जिसकी Inspiration उन्हें चिर प्रतिद्वंदी वसुंधरा राजे से मिली है इस पर सबका ध्यान है.

CM Gehlot and Vasundhara
वसुंधरा राजे का अंदाज सीएम अशोक गहलोत को भा गया
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Published : Feb 8, 2023, 12:44 PM IST

Updated : Feb 10, 2023, 6:40 AM IST

तो क्या गहलोत ने वसुंधरा से सीखा अंदाज ए बयां ?

जयपुर. 'वसुंधरा जी आपसे मैंने प्रेरणा लेकर बोलना सीखा है, मैं कभी ऐसी बातें बोलता नहीं था. जब ये बोला करतीं थीं, इनसे प्रेरणा ली.' साल 2022 के बजट भाषण में सीएम अशोक गहलोत के ये शब्द हर उस व्यक्ति के जहन में होंगे, जिसने उस बजट भाषण को सुना था. अपने बजट भाषण में उन्होंने प्रदेश की खुशहाली और चहुंमुखी विकास की राह प्रशस्त करने की बात कहते हुए कुछ इस अंदाज में शेर पढ़ा था कि ना पूछो मेरी मंजिल कहां है, अभी तो सफर का इरादा किया है. न हारूंगा हौंसला उम्र भर, ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है. गहलोत अब तक वर्तमान कार्यकाल के विभिन्न बजट भाषणों में करीब 10 बार शेर से अपने जज्बात जाहिर करते रहे हैं.

वसुंधरा से आगाज- 14वीं विधानसभा का अंतिम बजट जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पेश किया था. उस दौरान उन्होंने बजट भाषण के साथ तीन बार शायरी के जरिए अपनी बात रखी थी. कुछ कविताओं के अंश भी पढ़े थे. उनके बेलौस अंदाज ने दाद के साथ तालियां भी खूब बटोरी थीं. मैं किसी से बेहतर करूं, क्या फर्क पड़ता है. मैं किसी का बेहतर करूं, बहुत फर्क पड़ता है.

अपने बजट भाषण में वसुंधरा राजे ने युवाओं के लिए बंपर भर्तियां, किसानों की कर्ज माफी, भामाशाह कार्ड धारकों को एक लाख रुपए तक का बीमा जैसी महत्वपूर्ण घोषणा की थी और कुछ इस अंदाज में अपनी बात को शायरी के जरिए रखा था- ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं, हासिल कहां नसीब से होती हैं. मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं, कश्तियां जहां जिद पर होती है. राजे ने अपने बजट भाषण में एक शायरी और पढ़ी थी जिसने जमकर तालियां भी बटोरी और सुर्खियां भी. जो कुछ यूं थी- मंजिल यूं ही नहीं मिलती दोस्तों, एक जुनून जगाना पड़ता है. पूछा चिड़िया से घोंसला कैसे बनता है, बोली - तिनका तिनका उठाना पड़ता है.

पढ़ें- Rajasthan Budget 2023 : बजट की ये हैं 10 बड़ी बातें, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए रहेंगी खास

Inspire हुए गहलोत!- वसुंधरा राजे के शायराना अंदाज से अशोक गहलोत काफी प्रभावित हुए. शायद यही वजह रही कि उन्होंने अपने इस कार्यकाल के हर बजट भाषण में दो से तीन शायरियों का इस्तेमाल किया. 2022 यानी बीते साल अपने बजट में पहली शायरी पढ़ते ही उन्होंने ये भी स्पष्ट कर दिया कि ये अंदाज उनका नहीं बल्कि उन्होंने वसुंधरा राजे से सीखा है.गहलोत अपने पिछले कार्यकाल में भी बजट पेश कर चुके हैं लेकिन उस दौरान उन्होंने अपने बजट भाषण में कभी शायराना अंदाज नहीं अख्तियार किया. बजट को रोचक बनाने के लिए उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और मदर टेरेसा जैसी शख्सियतों की कही को याद किया था. लेकिन इस कार्यकाल में उनका शायराना अंदाज सुर्खियां में भी रहा और शायरियों के कई राजनीतिक मायने भी निकाले गए.

एक नजर गहलोत के बजट भाषण की शायरियों पर-

Ashok Gehlot In Assembly
फिजूलखर्ची और बे-बजट की कही बात
Ashok Gehlot In Assembly
केन्द्र की नीतियों पर किया था हमला
Ashok Gehlot In Assembly
अपने वादों, इरादों संग विरोधियों पर प्रहार है जादूगर गहलोत की शायरी की प्रमुख बात
Ashok Gehlot In Assembly
और 2022-23 के बजट में आधी आबादी संग साइंस टेक्नोलॉजी की कही बात

तो क्या गहलोत ने वसुंधरा से सीखा अंदाज ए बयां ?

जयपुर. 'वसुंधरा जी आपसे मैंने प्रेरणा लेकर बोलना सीखा है, मैं कभी ऐसी बातें बोलता नहीं था. जब ये बोला करतीं थीं, इनसे प्रेरणा ली.' साल 2022 के बजट भाषण में सीएम अशोक गहलोत के ये शब्द हर उस व्यक्ति के जहन में होंगे, जिसने उस बजट भाषण को सुना था. अपने बजट भाषण में उन्होंने प्रदेश की खुशहाली और चहुंमुखी विकास की राह प्रशस्त करने की बात कहते हुए कुछ इस अंदाज में शेर पढ़ा था कि ना पूछो मेरी मंजिल कहां है, अभी तो सफर का इरादा किया है. न हारूंगा हौंसला उम्र भर, ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है. गहलोत अब तक वर्तमान कार्यकाल के विभिन्न बजट भाषणों में करीब 10 बार शेर से अपने जज्बात जाहिर करते रहे हैं.

वसुंधरा से आगाज- 14वीं विधानसभा का अंतिम बजट जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पेश किया था. उस दौरान उन्होंने बजट भाषण के साथ तीन बार शायरी के जरिए अपनी बात रखी थी. कुछ कविताओं के अंश भी पढ़े थे. उनके बेलौस अंदाज ने दाद के साथ तालियां भी खूब बटोरी थीं. मैं किसी से बेहतर करूं, क्या फर्क पड़ता है. मैं किसी का बेहतर करूं, बहुत फर्क पड़ता है.

अपने बजट भाषण में वसुंधरा राजे ने युवाओं के लिए बंपर भर्तियां, किसानों की कर्ज माफी, भामाशाह कार्ड धारकों को एक लाख रुपए तक का बीमा जैसी महत्वपूर्ण घोषणा की थी और कुछ इस अंदाज में अपनी बात को शायरी के जरिए रखा था- ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं, हासिल कहां नसीब से होती हैं. मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं, कश्तियां जहां जिद पर होती है. राजे ने अपने बजट भाषण में एक शायरी और पढ़ी थी जिसने जमकर तालियां भी बटोरी और सुर्खियां भी. जो कुछ यूं थी- मंजिल यूं ही नहीं मिलती दोस्तों, एक जुनून जगाना पड़ता है. पूछा चिड़िया से घोंसला कैसे बनता है, बोली - तिनका तिनका उठाना पड़ता है.

पढ़ें- Rajasthan Budget 2023 : बजट की ये हैं 10 बड़ी बातें, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए रहेंगी खास

Inspire हुए गहलोत!- वसुंधरा राजे के शायराना अंदाज से अशोक गहलोत काफी प्रभावित हुए. शायद यही वजह रही कि उन्होंने अपने इस कार्यकाल के हर बजट भाषण में दो से तीन शायरियों का इस्तेमाल किया. 2022 यानी बीते साल अपने बजट में पहली शायरी पढ़ते ही उन्होंने ये भी स्पष्ट कर दिया कि ये अंदाज उनका नहीं बल्कि उन्होंने वसुंधरा राजे से सीखा है.गहलोत अपने पिछले कार्यकाल में भी बजट पेश कर चुके हैं लेकिन उस दौरान उन्होंने अपने बजट भाषण में कभी शायराना अंदाज नहीं अख्तियार किया. बजट को रोचक बनाने के लिए उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और मदर टेरेसा जैसी शख्सियतों की कही को याद किया था. लेकिन इस कार्यकाल में उनका शायराना अंदाज सुर्खियां में भी रहा और शायरियों के कई राजनीतिक मायने भी निकाले गए.

एक नजर गहलोत के बजट भाषण की शायरियों पर-

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फिजूलखर्ची और बे-बजट की कही बात
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केन्द्र की नीतियों पर किया था हमला
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अपने वादों, इरादों संग विरोधियों पर प्रहार है जादूगर गहलोत की शायरी की प्रमुख बात
Ashok Gehlot In Assembly
और 2022-23 के बजट में आधी आबादी संग साइंस टेक्नोलॉजी की कही बात
Last Updated : Feb 10, 2023, 6:40 AM IST
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