जयपुर. राजस्थान विधानसभा में आज बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय जयपुर विधेयक 2023 पास हो गया. इस विधेयक के पास होने से पहले हुई चर्चा में विधायकों की ओर से 10 लाख रुपए देने का प्रावधान करने से लेकर सरकार के कंगले (कंगाल) होने तक पहुंच गई. दरअसल हुआ यह की इस विधेयक के पास होने से पहले चर्चा पर सीपीएम विधायक बलवान पूनिया ने इस विश्वविद्यालय के लिए अपने विधायकों कोष से 10 लाख देने की घोषणा की. वहीं वहीं निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने इस बिल पर बहस में भाग लेते हुए आसन से बलवान पूनिया की तरह ही यह प्रावधान करने की मांग रखी कि इस पुनीत कार्य के लिए सभी विधायकों के कोष से 10 लाख रुपए काटे जाएं. जब संयम लोढ़ा ने यह बात कही तो उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अगर सरकार यह कह दे कि वह कंगाल हो गई हैं तो हम यह पैसा देने को तैयार हैं.
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मंत्री टीकाराम बोले कंगाल होने पर ही सहायता करते हो क्याः बिल पास करते समय अपनी बात रखते हुए मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि मैं बलवान पूनिया को धन्यवाद देता हूं कि 10 लाख की सहायता की बात पूनिया ने कही. इस बात पर जब उपनेता प्रतिपक्ष ये कह रहे है कि सरकार कंगाल है क्या? तो राठौड़ बताये की क्या आप किसी की मदद तभी करते हैं, जब अगला कंगाल हो गया हो. टीकाराम जूली ने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता कि आपकी मंशा और सोच किस तरह की है. अगर कोई किसी की मदद करे तो वह कंगाल होना जरूरी है. इस पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सारी कमियां हममे होंगी, लेकिन इस विश्वविद्यालय में आप अध्ययन कार्य कब शुरू कर दोगे.
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राठौड़ और टीकाराम में हुई नोंकझोंकः राजेंद्र राठौड़ ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि आप अपने कार्यकाल में इस विश्वविद्यालय में एक कक्षा भी लगा दो मुझे नीचे बैठा देना. इसपर टीकाराम जूली ने कहा कि आपने अपने समय में काम पूरे नहीं किए,इसलिए आपको ऐसा लगता है कि हम भी यह काम समय पर पूरा नहीं करेंगे. जबकि हकीकत यह है कि हमारी बजट घोषणा थी इसलिए आज यह बिल भी आ गया है. इसपर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह पिछली बार की बजट घोषणा है और एक्ट लाने में 2 साल बाद एक्ट लेकर आ रहे हो. इसपर टीकाराम जूली ने भी राठौड़ को जवाब देते हुए कहा कहा कि वह पिछली सरकार ही थी, जिसने हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय बिल पास होने के बाद भी बंद किया. अंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी बंद कर दी. एक तो कोई काम करते नहीं हो और हमारी सरकार जो काम शुरू करती है उसको बंद भी कर देते हैं, लेकिन इस बार यह मौका हम छोड़कर नहीं जाएंगे और इस विश्वविद्यालय को हम शुरू भी करेंगे और पूरा भी करेंगे.