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Rajasthan Election : सांसदों को मैदान में उतार भंवर में फंसी भाजपा, एंटी इनकंबेंसी दूर करने के फार्मूले में विधायकी पर भी संकट

Rajasthan Election 2023, भाजपा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में सांसदों की एंटी इनकंबेंसी को दूर के लिए उन्हें विधायक के लिए मैदान में उतार दिया, लेकिन अब इन सांसदों के विधायक बनने पर भी संकट दिख रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि 7 में से 6 सांसद ऐसे हैं, जिनका विरोध कम नहीं हो रहा है.

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राजस्थान इलेक्शन
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 21, 2023, 11:37 AM IST

जयपुर. बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी पहली प्रत्याशियों की सूची में 7 सांसदों को मैदान उतार कर एक साथ दो निशाने साधने की कोशिश की. पहला 2024 में सांसदों की एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए चेहरे बदलने की तैयारी तो वहीं दूसरी ओर कमजोर सीटों पर सांसदों को उतार कर जीत को आसान बनाना, लेकिन पार्टी की यही रणनीति उल्टी पड़ती दिख रही है. 7 सांसदों में से 6 सांसदों का विरोध खुले तौर पर दिख रहा है. अपनी ही पार्टी में पैराशूट उम्मीदवारों के नाम पर हो रहे विरोध के बीच अब विधायकी पर खतरा मंडराने लगा है.

41 में से 15 सीटों पर नाराजगी : कांग्रेस से पहले बीजेपी ने अपनी पहली प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, जिसमें 41 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही नाराजगी भी खुलकर सामने आई, जिसने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है. भाजपा ने इस बार नया प्रयोग करते हुए पहली सूची में 7 सांसदों को मैदान में उतारा है, लेकिन 7 सांसदों में से 6 सांसदों का विरोध पहले दिन से जो शुरू हुआ वह अभी भी बरकरार है. वैसे तो भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हुए एक सप्ताह होने वाला है, लेकिन दावेदार और उनके समर्थकों का विरोध जारी है. 41 में से 15 से ज्यादा सीट पर कंट्रोल नहीं हो पाया है. कई जगह मंडल अध्यक्षों ने त्याग पत्र दे दिया है तो काफी समर्थकों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की चेतावनी दे दी.

पढ़ें : Rajasthan Election 2023 : हाड़ौती में प्रताप सिंह सिंघवी को मिली 6 बार सफलता, ललित किशोर और जगन्नाथ वर्मा भी लगातार 5 बार रहे विजयी

सांसदों को मैदान में उतारने की रणनीति : दरअसल, भाजपा ने सांसदों को मैदान में इसलिए उतारा, ताकि लोकसभा चुनाव में जो सांसदों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है उससे बचा जा सके और विधानसभा के लिए जो सीटें कठीन हैं, उन सीटों पर जीत आसान की जा सके. इसी रणनीति के साथ भाजपा ने अपनी पहली सूची में 7 सांसदों को मैदान में उतारा, लेकिन भाजपा की रणनीति उल्टी पड़ती दिख रही है और विरोध जारी है. लगातार हो रहे इस विरोध को देखते हुए बीजेपी दूसरी सूची में अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. बताया जा रहा है कि दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में दूसरी सूची को लेकर जो मंथन हुआ, उसमें सांसदों को मैदान में उतारने पर सहमति नहीं बनी है. दूसरी सूची में सिर्फ विधायकों और जिताऊ दावेदारों की सूची जारी करने पर सहमति बनी है.

इन सांसदों का विरोध : अलवर सांसद बालकनाथ का का विरोध इस कदर है कि वहां से अपनों ने ही चुनाव लड़ने की दावेदारी कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सांसद राज्यवर्धन राठौड़ को टिकट के बाद पूर्व मंत्री राजपाल शेखावत के सर्मथक लगातार सक्रिय हैं. काले झंडे और प्रदर्शन कर भाजपा को परेशानी में डाल रहे हैं. विद्याधर नगर से सांसद दीया कुमारी को टिकट मिलने के बाद से ही भैरोंसिंह शेखवात के दामाद और विद्याधर नगर से भाजपा के मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी टिकट कटने से नाराज होकर बयानबाजी कर रहे हैं.

किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी प्रत्याशी हैं. यहां वर्ष 2018 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और हारने वाले विकास चौधरी चुनाव लड़ने की चेतावनी दे चुके हैं. सांचौर से सांसद देवजी पटेल को मैदान में उतारा तो वहां से स्थानीय दावेदार के समर्थन में पार्टी मुख्यालय तक विरोध हुआ. वहीं, मंडावा सीट से नरेंद्र कुमार को टिकट देने पर विरोध थम नहीं रहा है.

जयपुर. बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी पहली प्रत्याशियों की सूची में 7 सांसदों को मैदान उतार कर एक साथ दो निशाने साधने की कोशिश की. पहला 2024 में सांसदों की एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए चेहरे बदलने की तैयारी तो वहीं दूसरी ओर कमजोर सीटों पर सांसदों को उतार कर जीत को आसान बनाना, लेकिन पार्टी की यही रणनीति उल्टी पड़ती दिख रही है. 7 सांसदों में से 6 सांसदों का विरोध खुले तौर पर दिख रहा है. अपनी ही पार्टी में पैराशूट उम्मीदवारों के नाम पर हो रहे विरोध के बीच अब विधायकी पर खतरा मंडराने लगा है.

41 में से 15 सीटों पर नाराजगी : कांग्रेस से पहले बीजेपी ने अपनी पहली प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, जिसमें 41 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही नाराजगी भी खुलकर सामने आई, जिसने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है. भाजपा ने इस बार नया प्रयोग करते हुए पहली सूची में 7 सांसदों को मैदान में उतारा है, लेकिन 7 सांसदों में से 6 सांसदों का विरोध पहले दिन से जो शुरू हुआ वह अभी भी बरकरार है. वैसे तो भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हुए एक सप्ताह होने वाला है, लेकिन दावेदार और उनके समर्थकों का विरोध जारी है. 41 में से 15 से ज्यादा सीट पर कंट्रोल नहीं हो पाया है. कई जगह मंडल अध्यक्षों ने त्याग पत्र दे दिया है तो काफी समर्थकों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की चेतावनी दे दी.

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सांसदों को मैदान में उतारने की रणनीति : दरअसल, भाजपा ने सांसदों को मैदान में इसलिए उतारा, ताकि लोकसभा चुनाव में जो सांसदों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है उससे बचा जा सके और विधानसभा के लिए जो सीटें कठीन हैं, उन सीटों पर जीत आसान की जा सके. इसी रणनीति के साथ भाजपा ने अपनी पहली सूची में 7 सांसदों को मैदान में उतारा, लेकिन भाजपा की रणनीति उल्टी पड़ती दिख रही है और विरोध जारी है. लगातार हो रहे इस विरोध को देखते हुए बीजेपी दूसरी सूची में अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. बताया जा रहा है कि दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में दूसरी सूची को लेकर जो मंथन हुआ, उसमें सांसदों को मैदान में उतारने पर सहमति नहीं बनी है. दूसरी सूची में सिर्फ विधायकों और जिताऊ दावेदारों की सूची जारी करने पर सहमति बनी है.

इन सांसदों का विरोध : अलवर सांसद बालकनाथ का का विरोध इस कदर है कि वहां से अपनों ने ही चुनाव लड़ने की दावेदारी कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सांसद राज्यवर्धन राठौड़ को टिकट के बाद पूर्व मंत्री राजपाल शेखावत के सर्मथक लगातार सक्रिय हैं. काले झंडे और प्रदर्शन कर भाजपा को परेशानी में डाल रहे हैं. विद्याधर नगर से सांसद दीया कुमारी को टिकट मिलने के बाद से ही भैरोंसिंह शेखवात के दामाद और विद्याधर नगर से भाजपा के मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी टिकट कटने से नाराज होकर बयानबाजी कर रहे हैं.

किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी प्रत्याशी हैं. यहां वर्ष 2018 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और हारने वाले विकास चौधरी चुनाव लड़ने की चेतावनी दे चुके हैं. सांचौर से सांसद देवजी पटेल को मैदान में उतारा तो वहां से स्थानीय दावेदार के समर्थन में पार्टी मुख्यालय तक विरोध हुआ. वहीं, मंडावा सीट से नरेंद्र कुमार को टिकट देने पर विरोध थम नहीं रहा है.

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