जयपुर. राजस्थान के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. प्रदेश का सत्ताधारी दल कांग्रेस हो या विपक्षी दल भाजपा दोनों ही पार्टीयो के अध्यक्ष अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. अब दावा राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का सच साबित होता है या राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सीपी जोशी का, यह तो चुनाव के नतीजों में साफ हो ही जाएगा, लेकिन दोनों अध्यक्षों की टीम की बात की जाए तो केवल 3 महीने पहले अध्यक्ष बने सीपी जोशी 3 साल पहले अध्यक्ष बने गोविंद डोटासरा से कहीं आगे दिखाई दे रहे हैं.
आज भी पूरी टीम का इंतजारः जहां इसी साल मार्च के तीसरे सप्ताह में भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान भाजपा की कमान सतीश पूनिया की जगह सीपी जोशी को सौंपी, तो लगा कि भाजपा ने चुनाव के ठीक पहले जो फैसला किया उसके बाद सीपी जोशी को नई टीम कब मिलेगी, लेकिन सीपी जोशी को तो न केवल प्रदेश कार्यकारिणी की नई टीम बल्कि संगठन के हर स्तर पर टीम मिल चुकी है और वह चुनाव में उतरने को तैयार हैं. दूसरी ओर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के हालात यह हैं कि वह 13 जुलाई को अपना 3 साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं, लेकिन अब भी उन्हें आलाकमान की उन सूचियों का इंतजार हैं जिन्हें वह 3 साल में कई बार दिल्ली जाकर सौंप आए हैं, लेकिन चुनाव से 3 महीने पहले आज भी उन्हें अपनी टीम का इंतजार है.
रंधावा की कोशिश के बाद भी होल्ड पर है सूचीः राजस्थान कांग्रेस में संगठन के नियुक्तियों के हालात यह हैं कि 13 जुलाई, 2020 को जब गोविंद डोटासरा को राजस्थान कांग्रेस की कमान सौंपी गई, उसके बाद से अब तक डोटासरा ने तीन प्रभारी अविनाश पांडे, अजय माकन और सुखजिंदर सिंह रंधावा देख लिए हैं, जो शायद किसी राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने 3 साल के कार्यकाल में नहीं देखे होंगे, लेकिन उन्हें संगठन में काम करने के लिए जिन जिला अध्यक्षों, विस्तारित प्रदेश कार्यकारिणी अग्रिम संगठनों की आवश्यकता होती है. वह उन्हें अब तक नहीं मिले हैं.
3 साल में हालात ये बने कि पहले नियुक्तियों के लिए फाइलें अविनाश पांडे दिल्ली लेकर गए, फिर अजय माकन ने भी प्रयास किया और अबकी बार तो सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जब अपने स्तर पर कांग्रेस के 85 सचिवों की नियुक्ति की तो उन पर भी कांग्रेस आलाकमान ने रोक लगा दी. ऐसे में अब डोटासरा चुनाव से 3 महीने पहले भी कांग्रेस आलाकमान की ओर देख रहे हैं कि वह उन्हें काम करने के लिए पूरा संगठन दे दें.
उदयपुर अधिवेशन के नियमों से हुई कटौतीः 13 जुलाई, 2020 को जब डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तो प्रदेश कांग्रेस की पुरानी पूरी कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया. उसके 6 महीने तक तो डोटासरा राजस्थान में कांग्रेस संगठन के एकमात्र पदाधिकारी रहे. इसके बाद उन्हें 39 पदाधिकारियों की छोटी सी टीम यह कहते हुए दी गई कि जल्द ही इस कार्यकारिणी का विस्तार कर दिया जाएगा. लेकिन डोटासरा को केवल कोषाध्यक्ष और 2 प्रवक्ता मिले, बाकी विस्तार आज तक पेंडिंग है.
इसी बीच डोटासरा के सौंपे नामों के अनुसार नवंबर 2021 में 13 जिला अध्यक्ष बनाए गए, लेकिन इनमें से भी पांच जिला अध्यक्षों को भी पद इसलिए छोड़ने पड़े क्योंकि वह लगातार 5 साल तक इस पद पर रह चुके थे और उदयपुर कांग्रेस अधिवेशन के नए नियमों के चलते उन्हें पद छोड़ने पड़े. यही हालात डोटासरा की प्रदेश कार्यकारिणी के भी हैं जिसमें भी एक दर्जन नेता ऐसे हैं जिन्हें 5 साल कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा वही पद दे दिए गए थे.
ऐसे में डोटासरा को जो 42 नेताओं की कार्यकारिणी मिली, उसमें विस्तार तो नहीं हुआ, कटौती जरूर हो गई. हालांकि पिछले साल डोटासरा प्रदेश में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष बनाने में कामयाब रहे. लेकिन इन सभी पदाधिकारियों को चलाने के लिए जो टीम डोटासरा को चाहिए वह अब तक उन्हें नहीं मिल सकी है. आज भी राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि वह एक-दो दिन का समय कब पूरा होगा जब उन्हें पूरी टीम मिलेगी.