जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के टिकटों के मंथन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक दिल्ली में शुरू हो चुकी है. बुधवार को कांग्रेस सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी की राजस्थान की पहली सूची फाइनल कर दी जाएगी. लेकिन टिकट फाइनल होने से पहले जिस तरह कहा जा रहा था कि इस बार कांग्रेस पार्टी उन विधायकों की टिकट काट सकती है, जिन्हें लेकर एंटी इनकंबेंसी या भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों के टिकट की पैरवी की है.
गहलोत ने कहा कि विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की बातें आरएसएस और भाजपा का फैलाया हुआ षड्यंत्र है. गहलोत ने कहा कि चाहे निर्दलीय विधायक हों या कांग्रेस के विधायक, जिताऊ चेहरे पर दांव खेला जाएगा. अगर विधायकों में लोभ, लालच होता और ये भ्रष्ट होते, तो इन्हें जब 10-10 करोड़ रुपए मिल रहे थे, ये वो ले लेते. गहलोत ने कहा कि इन विधायकों ने तो जब गवर्नर ने असेंबली बुलाई, तो रेट बढ़ाकर 40 करोड़ तक चली गई. तब भी सरकार और विधायकों की इतनी बड़ी गुडविल थी कि हम सब ने मिलकर सरकार बचाई.
गहलोत ने कहा कि यही कारण है कि राजस्थान में चर्चा इस बात पर हो रही है कि सरकार बच कैसे गई. गहलोत ने कहा कि यह तो मैं नहीं कह सकता कि इन विधायकों का नाम सर्वे में आएगा या नहीं, लेकिन विधायक कोई करप्ट नहीं है बल्कि जो काम राजस्थान में हुए वह विधायकों के जरिए ही हुए. जो काम सरकार ने करवाए वह विधायकों के कहने पर ही हुए. गहलोत ने कहा कि चाहे सड़कें हों, तहसील, नगर पालिका, जिले बनना हो, यह काम इसलिए हुए क्योंकि विधायकों ने मांग की थी. विधायक का जनता से जुड़ाव था. ऐसे में विधायक को आप कैसे हटा सकते हो.
गहलोत ने कहा कि भ्रष्टाचार की अफवाह भाजपा और आरएसएस की है. अगर विधायक करप्ट होते, तो उन्होंने 2020 में 10 करोड़ की पहली किश्त ही क्यों नहीं ली. जबकि उस समय जिन्होंने पैसे लिए, उनको तो कोई पूछने वाला ही नहीं था की किसने क्या लिया.