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खाली जगह में पशुधन रखने का प्रस्ताव आदेश को निष्क्रिय करने वालाः राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर में राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम की ओर से पशुधन रखने के संबंध में प्रस्ताव पारित करने पर नाराजगी जताई है. वहीं, अदालत ने अवैध डेयरियां हटाने के संबंध में दस दिन में कार्रवाई शुरू करने को कहा है.

राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर की खबर, Chief Justice Mohammad Rafiq
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Published : Sep 30, 2019, 10:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम की ओर से हाल ही में पचास वर्गगज खाली जमीन में पशुधन रखने के संबंध में प्रस्ताव पारित करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट शहर में पशु पालने को अवैध बता चुके हैं.

ऐसे में निगम का यह प्रस्ताव अदालती आदेश को निष्क्रिय करने वाला है. इसके साथ ही अदालत ने अवैध डेयरियां हटाने के संबंध में दस दिन में कार्रवाई शुरू करने को कहा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश शहर को वल्र्ड क्लास सिटी बनाने के संबंध में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अवैध डेयरियां हटाने का दिया आदेश

पढ़ें- जिनको इस देश में रहने में कष्ट होता है, वे देश छोड़कर जा सकते हैं: मोदी के मंत्री

सुनवाई के दौरान निगम की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि अब तक 1688 आवारा पशुओं को पकड़ा गया है. इसके साथ ही नियमित रूप से आवारा पशुओं पर कार्रवाई की जा रही है. वहीं, न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि पचास वर्गगज में एक पशुधन रखना तो सिर्फ सिविल लाईन्स के बंगलों तक ही सीमित हो सकता है, क्योंकि शहर में अधिकांश लोगों के घरों में इतनी खाली जमीन नहीं रहती है.

वहीं, न्यायमित्र की ओर से आवारा पशुओं पर कार्रवाई के दौरान विधायक कालीचरण सराफ की ओर से बाधा पहुंचाने को लेकर अवमानना प्रार्थना पत्र पेश किया. इस पर अदालत ने प्रार्थना पत्र की कॉपी पक्षकारों को दिलाते हुए इस पर जवाब पेश करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम की ओर से हाल ही में पचास वर्गगज खाली जमीन में पशुधन रखने के संबंध में प्रस्ताव पारित करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट शहर में पशु पालने को अवैध बता चुके हैं.

ऐसे में निगम का यह प्रस्ताव अदालती आदेश को निष्क्रिय करने वाला है. इसके साथ ही अदालत ने अवैध डेयरियां हटाने के संबंध में दस दिन में कार्रवाई शुरू करने को कहा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश शहर को वल्र्ड क्लास सिटी बनाने के संबंध में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अवैध डेयरियां हटाने का दिया आदेश

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सुनवाई के दौरान निगम की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि अब तक 1688 आवारा पशुओं को पकड़ा गया है. इसके साथ ही नियमित रूप से आवारा पशुओं पर कार्रवाई की जा रही है. वहीं, न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि पचास वर्गगज में एक पशुधन रखना तो सिर्फ सिविल लाईन्स के बंगलों तक ही सीमित हो सकता है, क्योंकि शहर में अधिकांश लोगों के घरों में इतनी खाली जमीन नहीं रहती है.

वहीं, न्यायमित्र की ओर से आवारा पशुओं पर कार्रवाई के दौरान विधायक कालीचरण सराफ की ओर से बाधा पहुंचाने को लेकर अवमानना प्रार्थना पत्र पेश किया. इस पर अदालत ने प्रार्थना पत्र की कॉपी पक्षकारों को दिलाते हुए इस पर जवाब पेश करने को कहा है.

Intro:बाईट- न्याय मित्र विमल चौधरी


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम की ओर से हाल ही में पचास वर्गगज खाली जमीन में एक पशुधन रखने के संबंध में प्रस्ताव पारित करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट शहर में पशु पालने को अवैध बता चुके हैं। ऐसे में निगम का यह प्रस्ताव अदालती आदेश को निष्क्रिय करने वाला है। इसके साथ ही अदालत ने अवैध डेयरियां हटाने के संबंध में दस दिन में कार्रवाई शुरू करने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश शहर को वल्र्ड क्लास सिटी बनाने के संबंध में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। Body:सुनवाई के दौरान निगम की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि अब तक 1688 आवारा पशुओं को पकडा गया है। इसके साथ ही नियमित रूप से आवारा पशुओं पर कार्रवाई की जा रही है। वहीं न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि पचास वर्गगज में एक पशुधन रखना तो सिर्फ सिविल लाईन्स के बंगलों तक ही सीमित हो सकता है, क्योंकि शहर में अधिकांश लोगों के घरों में इतनी खाली जमीन नहीं रहती है। वहीं न्यायमित्र की ओर से आवारा पशुओं पर कार्रवाई के दौरान विधायक कालीचरण सराफ की ओर से बाधा पहुंचाने को लेकर अवमानना प्रार्थना पत्र पेश किया। इस पर अदालत ने प्रार्थना पत्र की कॉपी पक्षकारों को दिलाते हुए इस पर जवाब पेश करने को कहा है। Conclusion:
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