जयपुर. वृषभान दुलारी राधा रानी के जन्मोत्सव को लेकर शहर के कृष्ण मंदिरों में तैयारियां की जा रही हैं. शनिवार को राधा अष्टमी के अवसर पर अरुण बेला में राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. राधा अष्टमी एकमात्र ऐसा दिन होता है, जब भक्त राधा रानी के चरणों के दर्शन कर पाते हैं. आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर के पुजारी पं. मातृ प्रसाद ने बताया कि विभिन्न योग संयोगों के बीच शनिवार को राधा अष्टमी पर मंदिरों में पंचामृत अभिषेक के साथ ही विशेष पालना झांकियां सजाई जाएंगी.
राधा रानी का पंचामृत अभिषेक : उन्होंने बताया कि शुक्रवार को राजधानी के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में अष्टप्रहर हरिनाम कीर्तन हुआ. शनिवार को पंचामृत अभिषेक, तिथि पूजन, पंचगव्य पूजा की जाएगी. इसके बाद नवीन पोशाक धारण कराके राधा रानी का शृंगार किया जाएगा. श्रद्धालु राधा रानी के चरण दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे. इसी तरह के आयोजन छोटी काशी के अन्य कृष्ण मंदिरों में भी होंगे. राधा रानी का पंचामृत अभिषेक के बाद पंजीरी लड्डू, मावे की बर्फी का भोग लगाया जाएगा. राधारानी को कपड़े, फल, टॉफी और अन्य सामान अर्पित की जाएंगी.
जमीन से नवजात बच्ची के रूप में मिलीं राधा रानी : मंदिर के पुजारी पं. मातृ प्रसाद ने बताया कि पुरानी मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में खुद माता लक्ष्मी ने राधा रानी का अवतार धारण किया था. जब वृषभान जी यज्ञ के लिए जमीन साफ कर रहे थे, इसी दौरान राधा रानी उन्हें जमीन से नवजात बच्ची के रूप में मिलीं. उनका अवतरण भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पहले हुआ था. उन्होंने बताया कि इस दिन चरणों के दर्शन की परंपरा इसलिए चली आ रही है, क्योंकि जब भगवान बाल रूप में अवतरित होते हैं, तो सबसे पहले चरणों के दर्शन किए जाते हैं. इसी तरह राधा रानी के जन्मोत्सव के दिन उनका बाल स्वरूप मानते हुए, साल में एक बार उनके चरणों के दर्शन किए जाते हैं.
ये होगा कार्यक्रम : राधा अष्टमी पर देवस्थान विभाग के कृष्ण मंदिरों के अलावा राधा माधव जी, नटवर जी, कुंज बिहारी जी, मुरली मनोहर जी, गोपाल जी रोपाड़ा, गोपाल जी नागा में कार्यक्रम होगा. इसके साथ ही सरस निकुंज, राधा दामोदर, राधा गोपीनाथ और इस्काॅन मंदिर में कार्यक्रम होंगे. मंदिरों में जन्माभिषेक के साथ पालना दर्शन, बधाई-उछाल और भक्ति संध्या के भी आयोजन होंगे.