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POCSO cases in Rajasthan: बाल लैंगिक अपराधों में सालाना दो गुनी रफ्तार से हो रही बढ़ोतरी

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Published : Mar 15, 2023, 5:10 PM IST

प्रदेश में बाल यौन अपराधों के मामले हर साल दोगुनी रफ्तार से बढ़ते जा रहे हैं. चिंता की बात ये है कि जहां पॉक्सो अधिनियम के बाद मामलों में कमी आनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

POCSO cases increasing year by year in Rajasthan, check this report
POCSO cases in Rajasthan: बाल लैंगिक अपराधों में सालाना दो गुनी रफ्तार से हो रही बढ़ोतरी

जयपुर. कहने को तो दवा की जरूरत बीमारी को कम करने के लिए होती है, लेकिन दवा मिलने के बाद भी मर्ज बढ़ता रहे तो होने वाली भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. हम बात कर रहे हैं प्रदेश में बाल यौन अपराधों की रोकथाम के लिए बनाए गए पॉक्सो अधिनियम 2012 की. इस कानून को लागू करने का उद्देश्य बाल अपराधों के अभियुक्तों को दंडित करना और बच्चों के प्रति लैंगिक अपराधों में कमी लाना था, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो कानून लागू होने के साल-दर-साल बच्चों के खिलाफ यौन अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं.

इस कानून के तहत अब 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ दुष्कर्म करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है. बीती 1 जनवरी तक प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में पॉक्सो एक्ट के जहां 10202 मुकदमें लंबित हैं. वहीं हाईकोर्ट में इस एक्ट के 4230 मामलों में न्याय मिलने की प्रतीक्षा है.

पढ़ें: राजस्थान में बढ़ रहा है मासूमों का शोषण...POCSO ACT प्रकरणों में लगातार हो रही बढ़ोतरी

दोगुना बढ़ रहे मामलेः पॉक्सो अदालतों में हर साल मुकदमे करीब दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं. 2019 ही ऐसा साल रहा जब यह संख्या 1025 से 1482 हुई, जबकि हर साल इनकी संख्या करीब दो गुणा बढ़ी. हालांकि इस दौरान 2018 में यह संख्या करीब ढाई गुणा बढ़कर 438 से बढ़कर 1025 हो गई. इसी तरह हाईकोर्ट में भी हर साल पॉक्सो मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी नजर आई. इस दौरान वर्ष 2020 में मुकदमों की संख्या में कमी होते हुए वर्ष 2019 के मुकाबले यह 707 से घटकर 416 रह गए, लेकिन 2022 में इन मुकदमों की संख्या तेजी 555 से बढ़कर 1242 हो गई.

पढ़ें: SPECIAL : पॉक्सो कोर्ट: 57 अदालतों में लगभग 6800 मामले पेंडिंग...मकसद से भटक रही विशेष अदालतें

यूं बढ़ता गया आंकड़ा पॉक्सो कोर्ट हाईकोर्ट: साल 2012 में पॉक्सो कोर्ट में ऐसे 5 मामले थे. अगले साल 2013 में इनकी संख्या 12 और 2014 में 31 हो गई. इसी साल हाईकोर्ट में मामलों की संख्या 65 पहुंची. 2015 में पॉक्सो कोर्ट में जहां 68 मामले थे, वहीं हाईकोर्ट में 192 मामले पहुंचे. 2016 में पॉक्सो कोर्ट में 138 और हाईकोर्ट में 317 मामले हो गए. साल 2017 में पॉक्सो में 209 और हाईकोर्ट में 373 मामले हो गए. साल 2018 में मामलों की संख्या बढ़कर पॉक्सो कोर्ट में 438 और हाईकोर्ट में 363 हो गई. साल 2019 में अचानक मामलों की संख्या में उछाल आया और पॉक्सो कोर्ट में 1025 और हाईकोर्ट में मामलों की संख्या 707 हो गई.

पढ़ें: Special : भरतपुर के थानों में बढ़ते POCSO के मामले, जांच में अधिकतर निकलते हैं झूठे, देखें ये खास रिपोर्ट

2020 में पॉक्सो कोर्ट में 1482 और हाईकोर्ट में 416 मामले हो गए. 2021 में पॉक्सो कोर्ट में 2753 और हाईकोर्ट में मामलों की संख्या 555 हो गई. पिछले साल यानी 2022 में पॉक्सो कोर्ट में 4041 मामले और हाईकोर्ट में 1242 मामले हो गए. कुल मिलाकर पॉक्सो कोर्ट में 10202 मामले और हाईकोर्ट में 4230 मामले हो गए. राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामप्रताप सैनी का कहना है कि कुंठाग्रस्त अपराधियों के लिए बच्चे आसान शिकार होते हैं. इसके चलते इन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है. इनकी बढ़ती संख्या को रोकने के लिए मुकदमों का तेजी के साथ निस्तारण करना होगा. इसके लिए नई अदालतें खोलने की भी जरूरत है.

जयपुर. कहने को तो दवा की जरूरत बीमारी को कम करने के लिए होती है, लेकिन दवा मिलने के बाद भी मर्ज बढ़ता रहे तो होने वाली भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. हम बात कर रहे हैं प्रदेश में बाल यौन अपराधों की रोकथाम के लिए बनाए गए पॉक्सो अधिनियम 2012 की. इस कानून को लागू करने का उद्देश्य बाल अपराधों के अभियुक्तों को दंडित करना और बच्चों के प्रति लैंगिक अपराधों में कमी लाना था, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो कानून लागू होने के साल-दर-साल बच्चों के खिलाफ यौन अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं.

इस कानून के तहत अब 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ दुष्कर्म करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है. बीती 1 जनवरी तक प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में पॉक्सो एक्ट के जहां 10202 मुकदमें लंबित हैं. वहीं हाईकोर्ट में इस एक्ट के 4230 मामलों में न्याय मिलने की प्रतीक्षा है.

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दोगुना बढ़ रहे मामलेः पॉक्सो अदालतों में हर साल मुकदमे करीब दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं. 2019 ही ऐसा साल रहा जब यह संख्या 1025 से 1482 हुई, जबकि हर साल इनकी संख्या करीब दो गुणा बढ़ी. हालांकि इस दौरान 2018 में यह संख्या करीब ढाई गुणा बढ़कर 438 से बढ़कर 1025 हो गई. इसी तरह हाईकोर्ट में भी हर साल पॉक्सो मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी नजर आई. इस दौरान वर्ष 2020 में मुकदमों की संख्या में कमी होते हुए वर्ष 2019 के मुकाबले यह 707 से घटकर 416 रह गए, लेकिन 2022 में इन मुकदमों की संख्या तेजी 555 से बढ़कर 1242 हो गई.

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यूं बढ़ता गया आंकड़ा पॉक्सो कोर्ट हाईकोर्ट: साल 2012 में पॉक्सो कोर्ट में ऐसे 5 मामले थे. अगले साल 2013 में इनकी संख्या 12 और 2014 में 31 हो गई. इसी साल हाईकोर्ट में मामलों की संख्या 65 पहुंची. 2015 में पॉक्सो कोर्ट में जहां 68 मामले थे, वहीं हाईकोर्ट में 192 मामले पहुंचे. 2016 में पॉक्सो कोर्ट में 138 और हाईकोर्ट में 317 मामले हो गए. साल 2017 में पॉक्सो में 209 और हाईकोर्ट में 373 मामले हो गए. साल 2018 में मामलों की संख्या बढ़कर पॉक्सो कोर्ट में 438 और हाईकोर्ट में 363 हो गई. साल 2019 में अचानक मामलों की संख्या में उछाल आया और पॉक्सो कोर्ट में 1025 और हाईकोर्ट में मामलों की संख्या 707 हो गई.

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2020 में पॉक्सो कोर्ट में 1482 और हाईकोर्ट में 416 मामले हो गए. 2021 में पॉक्सो कोर्ट में 2753 और हाईकोर्ट में मामलों की संख्या 555 हो गई. पिछले साल यानी 2022 में पॉक्सो कोर्ट में 4041 मामले और हाईकोर्ट में 1242 मामले हो गए. कुल मिलाकर पॉक्सो कोर्ट में 10202 मामले और हाईकोर्ट में 4230 मामले हो गए. राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामप्रताप सैनी का कहना है कि कुंठाग्रस्त अपराधियों के लिए बच्चे आसान शिकार होते हैं. इसके चलते इन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है. इनकी बढ़ती संख्या को रोकने के लिए मुकदमों का तेजी के साथ निस्तारण करना होगा. इसके लिए नई अदालतें खोलने की भी जरूरत है.

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