जयपुर. राजस्थान में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी ने सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर उनकी जगह सीपी जोशी को पार्टी की कमान सौंप दी है. राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने भले ही पूनिया को लेकर कहा कि मोहरे बदलने से सत्ता नहीं बदलती, लेकिन यह बात उनकी खुद की पार्टी पर भी सटीक बैठ रही है. कांग्रेस पार्टी में लगातार नेतृत्व परिवर्तन की मांग इस बात के साथ उठती रही है कि अगर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन नहीं हुआ तो एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा का क्रम नहीं टूटेगा. सत्ता गहलोत की तरह काम करने से ही आती है.
डोटासरा ने कहा कि भाजपा के निर्णय में मुझे ज्यादा नहीं कहना, लेकिन मोहरे बदलने से सत्ता में नहीं आया जा सकता. उन्होंने कहा कि 4 साल से भाजपा प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने में फेल रही है. इनके पास न एकजुटता है, न ये जनता के मुद्दे उठा पाते हैं. जनता से जुड़े जितने भी मुद्दे हैं, उन्हें गहलोत की नेतृत्व वाली सरकार सॉल्व कर रही है. अच्छी गवर्नमेंट दे रही है और हम जनता के लिए काम कर रहे हैं. इसलिए कहना चाहता हूं कि मोहरे बदलने से कुछ नहीं होगा. आपको अपने विचार और अपनी विचारधारा को बदलना पड़ेगा.
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गहलोत की तरह करनी होती है जनता की सेवा : राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सतीश पूनिया का नाम लेते हुए जो अपनों पर निशाने साधे, उसमें सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कामों की तारीफ थी. उनका साफ कहना था कि सत्ता केवल गहलोत की तरह जनता की सेवा करने से ही आती है न कि एसी के कमरों में बैठकर ट्विटर पर अपनी बात रखने से. उन्होंने कहा कि जनता क्या चाहती है, उसके लिए अगर जनता की किसी भी पॉलिसी को बदलना है तो उसे बदलना पड़ेगा. केवल एसी में बैठकर ट्विटर के माध्यम से प्रचार करना सब कुछ नहीं होता. सत्ता में वह लोग आते हैं जो जनता के वेलफेयर के लिए काम करते हैं, उनके लिए कल्याणकारी नीतियां लाते हैं और जनता को लाभ पहुंचाते हैं. यह काम भाजपा नहीं कांग्रेस कर रही है.
सचिन पायलट के लिए मैसेज ? आपको बता दें कि राजस्थान में पायलट कैंप की ओर से लगातार इस बात पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि क्या कारण है कि एक बार राजस्थान में भाजपा की सरकार बनती है और दूसरी बात कांग्रेस की, जबकि दूसरे राज्यों में सरकार रिपीट भी होती है. खुद सचिन पायलट कई बार यह कह चुके हैं कि 1998 के बाद से राजस्थान में यह परिस्थितियां बनी हैं, जिन्हें बदलने के लिए कांग्रेस आलाकमान को जल्द ही निर्णय लेने होंगे.
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सीधे तौर पर सचिन पायलट का निशाना अशोक गहलोत का नेतृत्व होता है तो वहीं पायलट कैंप तो खुलकर अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को नेतृत्व देने की वकालत करता रहा है. ऐसे में डोटासरा ने सीधे तरीके से नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे अपनी ही पार्टी के नेताओं को यह मैसेज दिया है कि चेहरे बदलने से सत्ता नहीं बदलती. इसके साथ ही डोटासरा ने राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद के बदलाव की बात सोचने वालों को भी अपना जवाब दे दिया है.