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जयपुर में हुआ महिलाओं पर हिंसा के खिलाफ जागरुकता वाली फिल्म फेस्टीवल का आयोजन

राजधानी में गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से महिलाओं पर होने वाली हिंसा के खिलाफ जागरूकता के लिए अंतरंग रिश्तों पर आधारित समभाव फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया. इस दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में नीरजा भनोत पुरस्कार से सम्मानित भंवरी देवी भी शामिल हुई.

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Published : Mar 4, 2019, 1:57 PM IST

फिल्म फेस्टीवल का आयोजन

जयपुर के राजा पार्क में पितृसत्ता, मर्दानगी, अंतरंग रिश्तों पर आधारित फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया. इस दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में नीरजा भनोत पुरस्कार से सम्मानित भंवरी देवी भी शामिल हुई।

फिल्म फेस्टिवल में लोगों को फिल्म दिखा कर समाज की बुराइयों से निपटने की सीख दी गई. फिल्म के जरिए दिखाया गया कि लड़कियों को हिंसा चुपचाप सहन नहीं करना चाहिए. अपनी ताकत पर भरोसा रखकर दबावकारी ताकतों को चुनौती देनी चाहिए. मावा, विशाखा और टॉस की तरफ से आयोजित फेस्टिवल में स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राओ, शहरी बस्तियों की महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

फिल्म फेस्टिवल आयोजक हरीश ने बताया कि इस तरह समाज में जागरूकता लाने के लिए फिल्म फेस्टिवल 5 राज्यों के 13 शहरों में आयोजित किया जा रहा है. पितृसत्ता वर्चस्व बनाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों का इस्तेमाल करती है. हिंसा रोकथाम और सम्मान के लिए सहमति और असहमतियों को समझना जरूरी है. विभिन्न प्रकार की कला, समझ और आवाजें एक मंच पर आ सके यह बदलाव के लिए जरूरी है.

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फिल्म फेस्टीवल का आयोजन

फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन फिल्म दिखाकर चर्चा करके लोगों को जानकारी दी गई. सामाजिक व्यवस्था, धर्म, वर्ग कैसे एक महिला और पुरुष को असर में लाती है इस पर भी चर्चा की गई. इस मौके पर खुले आसमान के नीचे, द वर्ल्ड बिफोर हर, अनबॉक्सिंग कंसेंट, द ब्रोकन इमेज, बाबुल, ब्वॉय हु लाइक्स गर्ल्स, द फोरसकें जैसी फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया. दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.

जयपुर के राजा पार्क में पितृसत्ता, मर्दानगी, अंतरंग रिश्तों पर आधारित फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया. इस दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में नीरजा भनोत पुरस्कार से सम्मानित भंवरी देवी भी शामिल हुई।

फिल्म फेस्टिवल में लोगों को फिल्म दिखा कर समाज की बुराइयों से निपटने की सीख दी गई. फिल्म के जरिए दिखाया गया कि लड़कियों को हिंसा चुपचाप सहन नहीं करना चाहिए. अपनी ताकत पर भरोसा रखकर दबावकारी ताकतों को चुनौती देनी चाहिए. मावा, विशाखा और टॉस की तरफ से आयोजित फेस्टिवल में स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राओ, शहरी बस्तियों की महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

फिल्म फेस्टिवल आयोजक हरीश ने बताया कि इस तरह समाज में जागरूकता लाने के लिए फिल्म फेस्टिवल 5 राज्यों के 13 शहरों में आयोजित किया जा रहा है. पितृसत्ता वर्चस्व बनाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों का इस्तेमाल करती है. हिंसा रोकथाम और सम्मान के लिए सहमति और असहमतियों को समझना जरूरी है. विभिन्न प्रकार की कला, समझ और आवाजें एक मंच पर आ सके यह बदलाव के लिए जरूरी है.

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फिल्म फेस्टीवल का आयोजन

फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन फिल्म दिखाकर चर्चा करके लोगों को जानकारी दी गई. सामाजिक व्यवस्था, धर्म, वर्ग कैसे एक महिला और पुरुष को असर में लाती है इस पर भी चर्चा की गई. इस मौके पर खुले आसमान के नीचे, द वर्ल्ड बिफोर हर, अनबॉक्सिंग कंसेंट, द ब्रोकन इमेज, बाबुल, ब्वॉय हु लाइक्स गर्ल्स, द फोरसकें जैसी फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया. दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.

Intro:जयपुर
एंकर- महिलाओं पर होने वाली हिंसा के खिलाफ जागरूकता के लिए अंतरंग रिश्तो पर आधारित समभाव फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया। गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से जयपुर के राजा पार्क में पितृसत्ता, मर्दानगी, अंतरंग रिश्तों पर आधारित फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया। इस दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में नीरजा भनोत पुरस्कार से सम्मानित भंवरी देवी भी शामिल हुई।


Body:महिलाओं पर होने वाली हिंसा के खिलाफ जागरूकता के लिए अंतरंग रिश्तो पर आधारित समभाव फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया। गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से जयपुर के राजा पार्क में पितृसत्ता, मर्दानगी, अंतरंग रिश्तों पर आधारित फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया। इस दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में नीरजा भनोत पुरस्कार से सम्मानित भंवरी देवी भी शामिल हुई।
समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से अंतरंग रिश्तो पर आधारित फिल्म फेस्टिवल में लोगों को फिल्म दिखा कर समाज की बुराइयों से निपटने की सीख दी गई। फिल्म के जरिए दिखाया गया कि लड़कियों को हिंसा को चुपचाप सहन नहीं करना चाहिए। अपनी ताकत पर भरोसा रखकर दबावकारी ताकतों को चुनौती देनी चाहिए। मावा, विशाखा और टॉस की तरफ से आयोजित फेस्टिवल में स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राओ, शहरी बस्तियों की महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
फिल्म फेस्टिवल आयोजक हरीश ने बताया कि इस तरह समाज में जागरूकता लाने के लिए फिल्म फेस्टिवल 5 राज्यों के 13 शहरों में आयोजित किया जा रहा है। पितृसत्ता वर्चस्व बनाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों का इस्तेमाल करती है। हिंसा रोकथाम और सम्मान के लिए सहमति और असहमतियों को समझना और बार-बार सहमति लेना जरूरी है। हां को हां और ना का ना की तरह लेना सीखना होगा। विभिन्न प्रकार की कला, समझ और आवाजें एक मंच पर आ सके यह बदलाव के लिए जरूरी है। फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन फिल्म दिखाकर चर्चा करके लोगों को जानकारी दी गई। सामाजिक व्यवस्था, धर्म, वर्ग कैसे एक महिला व पुरुष को असर में लाती है इस पर भी चर्चा की गई। इस मौके पर खुले आसमान के नीचे, द वर्ल्ड बिफोर हर, अनबॉक्सिंग कंसेंट, द ब्रोकन इमेज, बाबुल, ब्वॉय हु लाइक्स गर्ल्स, द फोरसकें जैसी फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया। दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में सैकड़ो लोगों ने भाग लिया।

बाईट- हरीश, आयोजक
बाईट- भरत, आयोजक
बाईट- श्रीदेव, आयोजक




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