जयपुर के राजा पार्क में पितृसत्ता, मर्दानगी, अंतरंग रिश्तों पर आधारित फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया. इस दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में नीरजा भनोत पुरस्कार से सम्मानित भंवरी देवी भी शामिल हुई।
फिल्म फेस्टिवल में लोगों को फिल्म दिखा कर समाज की बुराइयों से निपटने की सीख दी गई. फिल्म के जरिए दिखाया गया कि लड़कियों को हिंसा चुपचाप सहन नहीं करना चाहिए. अपनी ताकत पर भरोसा रखकर दबावकारी ताकतों को चुनौती देनी चाहिए. मावा, विशाखा और टॉस की तरफ से आयोजित फेस्टिवल में स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राओ, शहरी बस्तियों की महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
फिल्म फेस्टिवल आयोजक हरीश ने बताया कि इस तरह समाज में जागरूकता लाने के लिए फिल्म फेस्टिवल 5 राज्यों के 13 शहरों में आयोजित किया जा रहा है. पितृसत्ता वर्चस्व बनाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों का इस्तेमाल करती है. हिंसा रोकथाम और सम्मान के लिए सहमति और असहमतियों को समझना जरूरी है. विभिन्न प्रकार की कला, समझ और आवाजें एक मंच पर आ सके यह बदलाव के लिए जरूरी है.
फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन फिल्म दिखाकर चर्चा करके लोगों को जानकारी दी गई. सामाजिक व्यवस्था, धर्म, वर्ग कैसे एक महिला और पुरुष को असर में लाती है इस पर भी चर्चा की गई. इस मौके पर खुले आसमान के नीचे, द वर्ल्ड बिफोर हर, अनबॉक्सिंग कंसेंट, द ब्रोकन इमेज, बाबुल, ब्वॉय हु लाइक्स गर्ल्स, द फोरसकें जैसी फिल्में दिखाकर लोगों को जागरूक किया गया. दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.