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CS उषा शर्मा को एक्सटेंशन नहीं, नया होगा ब्यूरोक्रेसी का मुखिया! रेस में ये IAS अधिकारी

ब्यूरोक्रेसी की चीफ उषा शर्मा 30 जून को रिटायर होने वाली हैं. ऐसे में अब वरिष्ठता के आधार पर वीनू गुप्ता, शुभ्रा सिंह, राजेश्वर सिंह, सुबोध अग्रवाल और रोहित कुमार सिंह प्रमुख रूप से नए सीएस की रेस में आगे दिख रहे हैं.

No extension to Usha Sharma as CS, these IAS are in the race of New chief secretary of Rajasthan government
CS उषा शर्मा को एक्सटेंशन नहीं, नया होगा ब्यूरोक्रेसी का मुखिया! रेस में ये IAS अधिकारी
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Published : Jun 23, 2023, 5:40 PM IST

जयपुर. मौजूदा मुख्य सचिव उषा शर्मा 30 जून को रिटायर हो जाएंगी. उषा शर्मा के रिटायरमेंट के साथ ही अब ब्यूरोक्रेसी के नए बॉस को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. सचिवालय गलियारों से लेकर जिला स्तर बैठे अधिकारियों में चर्चा जोरों पर है कि कौन होगा प्रदेश का मुख्य सचिव. सूत्र बता रहे हैं कि उषा शर्मा को एक्सटेंशन नहीं मिल रहा. ऐसे में अब वरिष्ठता के आधार पर वीनू गुप्ता, शुभ्रा सिंह, राजेश्वर सिंह, सुबोध अग्रवाल और रोहित कुमार सिंह प्रमुख रूप से रेस में आगे दिख रहे हैं.

IAS are in the race of New chief secretary
CS की रेस में ये IAS Officers भी शामिल

एक्सटेंशन नहीं, नया होगा ब्यूरोक्रेसी का मुखियाः राजस्थान सरकार में मौजूदा चीफ सेक्रेटरी उषा शर्मा के रिटायर होने से पहले ही राज्य सरकार ने नए चीफ सेक्रेटरी की तलाश तेज कर दी है. हालांकि चुनावी साल को देखते हुए ये माना जा रहा था कि मौजूदा मुख्य सचिव को साल भर का एक्सटेंशन मिलने वाला है, लेकिन सचिवालय सूत्रों की मानें तो एक्सटेंशन की फाइल एक महीने पहले अनुमति के लिए केंद्र सरकार भेजी जाती है. लेकिन एक्सटेंशन की फाइल दिल्ली नहीं भेजी गई है. ऐसे में मौजूदा सीएस के एक्सटेंशन की संभावनाएं खत्म मानी जा रही हैं. ऐसे में अब ब्यूरोक्रेसी का चीफ नया बनाए जाने की कवायद शुरू हो रही है.

पढ़ेंः प्रदेश में बड़े स्तर पर तबादलों की तैयारी, कर्मचारियों के तबादला के साथ बदलेगा विभाग

ब्यूरोक्रेसी का नया चीफ कौन होगा?: सीएस का अंतिम फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को करना है. ऐसे में अब ये देखा जा रहा है कि सीएम गहलोत इस बार वरिष्ठता का पैमाना इस्तेमाल करेंगे या चुनावी साल में वोट की खेती पकाने के लिए जातीय समीकरण बनाने के लिए पूर्व में निरंजन आर्य की तरह वरिष्ठता को दरकिनार किया जाएगा.

these IAS are in the race of New chief secretary
सीएस की रेस में ये IAS अधिकारी भी शामिल

ये हैं बॉस की रेस में आगेः सचिवालय नौकरशाही के गलियारों में नए सीएस को लेकर चर्चाओं का दौरा शुरू चल रहा है. सीनियरिटी के आधार पर कई नाम दावेदारी में हैं. इनमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और 1987 बैच की आईएएस अधिकारी वीनू गुप्ता का है. लेकिन वीनू गुप्ता का रिटायरमेंट इसी साल दिसंबर में है. ऐसे में सरकार की कोशिश होगी की अब जो भी सीएस बने वो कम से कम चुनाव खत्म होने और अगली सरकार बनने तक तो रहे.

वहीं दूसरे नंबर 1988 बैच के आईएएस सुबोध अग्रवाल हैं. हालांकि सुबोध अग्रवाल के रिटायरमेंट में ढाई साल का वक्त है. लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने जल जीवन मिशन और खान घोटाले में सुबोध अग्रवाल पर आरोप लगाए हैं. उसके बाद उनकी सीएस की रेस कमजोर हुई है. तीसरे नंबर पर 1989 बैच की आईएएस अधिकारी वी श्रीनिवास हैं. श्रीनिवास दिल्ली डेपुटेशन पर हैं. लम्बे समय से राजस्थान से दूर होने के चलते सरकार चुनावी साल में इन पर मुश्किल ही दाव खेलेगी.

पढ़ेंः राजस्थान की नई मुख्य सचिव IAS उषा शर्मा, निरंजन आर्य सीएम के सलाहकार

चौथे नंबर है 1989 बैच की आईएएस शुभ्रा सिंह का नाम. मौजूदा मुख्य सचिव महिला होने के नाते सीएम गहलोत इस बार किसी दूसरे अधिकारी पर भरोसा जता सकते हैं. पांचवें नंबर पर 1989 बैच के आईएएस अधिकारी रोहित कुमार सिंह का नाम है. रोहित कुमार सिंह वर्तमान में दिल्ली में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. सिंह इस सरकार में दिल्ली गए थे. रोहित कुमार सिंह के दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की वजह भी सरकार से तालमेल नहीं बैठना माना गया था. ऐसे में रोहित कुमार सिंह की सीएस की रेस थोड़ी कमजोर मानी जा सकती है.

इसके बाद छठे नंबर पर 1989 बैच की आईएएस अधिकारी राजेश्वर सिंह का नाम है. राजेश्वर सिंह मौजूदा वक्त में राजस्व बोर्ड का जिम्मा संभाल रहे हैं. चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जातीय समीकरण देखते हैं. जिस तरह से पूर्व आईएएस निरंजन आर्य के वक्त दलित मैसेज देने के लिए 10 सीनियर आईएएस को दरकिनार करते हुए आर्य को चीफ सेक्रेटरी बनाया था. उसी तरह का जातीय समीकरण बैठाते हैं, तो राजपूत चेहरे के रूप में राजेश्वर सिंह भी दावेदार हैं. हालांकि राजेश्वर सिंह के रिटायरमेंट में अभी दो साल से ज्यादा का वक्त है. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि गहलोत इस मौके पर सीनियरटी को नजरअंदाज नहीं कर सकते. अब अंतिम फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथ में है.

पढ़ेंः ब्यूरोक्रेसी और जनप्रतिनिधि खुद को 'चाकर की जगह ठाकर' समझने लगें तो सत्तारूढ़ पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है : संयम लोढ़ा

इस तरह से होती है मुख्य सचिव की नियुक्तिः किसी भी प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में मुख्य सचिव का सर्वोच्च पद होता है. चीफ सेक्रेटरी ही प्रदेश सरकार की योजनाओं को जिला स्तर तक अधिकारियों के साथ तालमेल बैठा कर धरातल पर उतार मुख्यमंत्री के सपनों को साकार रूप देता है. मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए कुछ औपचारिकताएं जरूर होती हैं. फिर भी अंतिम फैसला मुख्यमंत्री के स्वविवेक पर निर्भर होता है.

नियुक्ति से पहले राज्य सरकार सीनियर आईएएस अफसरों का एक पैनल केन्द्र सरकार को भेजती है. इस पैनल में अफसरों को प्राथमिकता दी हुई होती है. राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पैनल पर मानव संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी विचार विमर्श करती है. यह कमेटी पैनल में भेजे गए अफसरों के कार्य अनुभव और दृष्टिकोण की परख करती है. इसके बाद एक नाम पर मोहर लगाई जाती है. इन तमाम औपचारिकताओं के बाद मुख्य सचिव बनने की मोहर उसी नाम पर लगती है, जो नाम राज्य सरकार की पहली पसंद होता है.

जयपुर. मौजूदा मुख्य सचिव उषा शर्मा 30 जून को रिटायर हो जाएंगी. उषा शर्मा के रिटायरमेंट के साथ ही अब ब्यूरोक्रेसी के नए बॉस को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. सचिवालय गलियारों से लेकर जिला स्तर बैठे अधिकारियों में चर्चा जोरों पर है कि कौन होगा प्रदेश का मुख्य सचिव. सूत्र बता रहे हैं कि उषा शर्मा को एक्सटेंशन नहीं मिल रहा. ऐसे में अब वरिष्ठता के आधार पर वीनू गुप्ता, शुभ्रा सिंह, राजेश्वर सिंह, सुबोध अग्रवाल और रोहित कुमार सिंह प्रमुख रूप से रेस में आगे दिख रहे हैं.

IAS are in the race of New chief secretary
CS की रेस में ये IAS Officers भी शामिल

एक्सटेंशन नहीं, नया होगा ब्यूरोक्रेसी का मुखियाः राजस्थान सरकार में मौजूदा चीफ सेक्रेटरी उषा शर्मा के रिटायर होने से पहले ही राज्य सरकार ने नए चीफ सेक्रेटरी की तलाश तेज कर दी है. हालांकि चुनावी साल को देखते हुए ये माना जा रहा था कि मौजूदा मुख्य सचिव को साल भर का एक्सटेंशन मिलने वाला है, लेकिन सचिवालय सूत्रों की मानें तो एक्सटेंशन की फाइल एक महीने पहले अनुमति के लिए केंद्र सरकार भेजी जाती है. लेकिन एक्सटेंशन की फाइल दिल्ली नहीं भेजी गई है. ऐसे में मौजूदा सीएस के एक्सटेंशन की संभावनाएं खत्म मानी जा रही हैं. ऐसे में अब ब्यूरोक्रेसी का चीफ नया बनाए जाने की कवायद शुरू हो रही है.

पढ़ेंः प्रदेश में बड़े स्तर पर तबादलों की तैयारी, कर्मचारियों के तबादला के साथ बदलेगा विभाग

ब्यूरोक्रेसी का नया चीफ कौन होगा?: सीएस का अंतिम फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को करना है. ऐसे में अब ये देखा जा रहा है कि सीएम गहलोत इस बार वरिष्ठता का पैमाना इस्तेमाल करेंगे या चुनावी साल में वोट की खेती पकाने के लिए जातीय समीकरण बनाने के लिए पूर्व में निरंजन आर्य की तरह वरिष्ठता को दरकिनार किया जाएगा.

these IAS are in the race of New chief secretary
सीएस की रेस में ये IAS अधिकारी भी शामिल

ये हैं बॉस की रेस में आगेः सचिवालय नौकरशाही के गलियारों में नए सीएस को लेकर चर्चाओं का दौरा शुरू चल रहा है. सीनियरिटी के आधार पर कई नाम दावेदारी में हैं. इनमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और 1987 बैच की आईएएस अधिकारी वीनू गुप्ता का है. लेकिन वीनू गुप्ता का रिटायरमेंट इसी साल दिसंबर में है. ऐसे में सरकार की कोशिश होगी की अब जो भी सीएस बने वो कम से कम चुनाव खत्म होने और अगली सरकार बनने तक तो रहे.

वहीं दूसरे नंबर 1988 बैच के आईएएस सुबोध अग्रवाल हैं. हालांकि सुबोध अग्रवाल के रिटायरमेंट में ढाई साल का वक्त है. लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने जल जीवन मिशन और खान घोटाले में सुबोध अग्रवाल पर आरोप लगाए हैं. उसके बाद उनकी सीएस की रेस कमजोर हुई है. तीसरे नंबर पर 1989 बैच की आईएएस अधिकारी वी श्रीनिवास हैं. श्रीनिवास दिल्ली डेपुटेशन पर हैं. लम्बे समय से राजस्थान से दूर होने के चलते सरकार चुनावी साल में इन पर मुश्किल ही दाव खेलेगी.

पढ़ेंः राजस्थान की नई मुख्य सचिव IAS उषा शर्मा, निरंजन आर्य सीएम के सलाहकार

चौथे नंबर है 1989 बैच की आईएएस शुभ्रा सिंह का नाम. मौजूदा मुख्य सचिव महिला होने के नाते सीएम गहलोत इस बार किसी दूसरे अधिकारी पर भरोसा जता सकते हैं. पांचवें नंबर पर 1989 बैच के आईएएस अधिकारी रोहित कुमार सिंह का नाम है. रोहित कुमार सिंह वर्तमान में दिल्ली में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. सिंह इस सरकार में दिल्ली गए थे. रोहित कुमार सिंह के दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की वजह भी सरकार से तालमेल नहीं बैठना माना गया था. ऐसे में रोहित कुमार सिंह की सीएस की रेस थोड़ी कमजोर मानी जा सकती है.

इसके बाद छठे नंबर पर 1989 बैच की आईएएस अधिकारी राजेश्वर सिंह का नाम है. राजेश्वर सिंह मौजूदा वक्त में राजस्व बोर्ड का जिम्मा संभाल रहे हैं. चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जातीय समीकरण देखते हैं. जिस तरह से पूर्व आईएएस निरंजन आर्य के वक्त दलित मैसेज देने के लिए 10 सीनियर आईएएस को दरकिनार करते हुए आर्य को चीफ सेक्रेटरी बनाया था. उसी तरह का जातीय समीकरण बैठाते हैं, तो राजपूत चेहरे के रूप में राजेश्वर सिंह भी दावेदार हैं. हालांकि राजेश्वर सिंह के रिटायरमेंट में अभी दो साल से ज्यादा का वक्त है. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि गहलोत इस मौके पर सीनियरटी को नजरअंदाज नहीं कर सकते. अब अंतिम फैसला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथ में है.

पढ़ेंः ब्यूरोक्रेसी और जनप्रतिनिधि खुद को 'चाकर की जगह ठाकर' समझने लगें तो सत्तारूढ़ पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है : संयम लोढ़ा

इस तरह से होती है मुख्य सचिव की नियुक्तिः किसी भी प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में मुख्य सचिव का सर्वोच्च पद होता है. चीफ सेक्रेटरी ही प्रदेश सरकार की योजनाओं को जिला स्तर तक अधिकारियों के साथ तालमेल बैठा कर धरातल पर उतार मुख्यमंत्री के सपनों को साकार रूप देता है. मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए कुछ औपचारिकताएं जरूर होती हैं. फिर भी अंतिम फैसला मुख्यमंत्री के स्वविवेक पर निर्भर होता है.

नियुक्ति से पहले राज्य सरकार सीनियर आईएएस अफसरों का एक पैनल केन्द्र सरकार को भेजती है. इस पैनल में अफसरों को प्राथमिकता दी हुई होती है. राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पैनल पर मानव संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी विचार विमर्श करती है. यह कमेटी पैनल में भेजे गए अफसरों के कार्य अनुभव और दृष्टिकोण की परख करती है. इसके बाद एक नाम पर मोहर लगाई जाती है. इन तमाम औपचारिकताओं के बाद मुख्य सचिव बनने की मोहर उसी नाम पर लगती है, जो नाम राज्य सरकार की पहली पसंद होता है.

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