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Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी पर चला दान पुण्य का दौर, भगवान को कराया जलविहार

बुधवार को निर्जला एकादशी के दिन शहर में पूजा-अर्चना और दान-पुण्य का दौर चला. शहर के मंदिरों में भगवान की विशेष झांकी और आरती की गई.

Nirjala Ekadashi 2023, special puja in temples and charity
Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी पर चला दान पुण्य का दौर, भगवान को कराया जलविहार
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Published : May 31, 2023, 3:52 PM IST

जयपुर. भगवान विष्णु की आराधना और पुण्य फल का लाभ देने वाली निर्जला एकादशी पर छोटी काशी के प्रमुख मंदिरों पर विशेष झांकी, दान-पुण्य, महाआरती और जलविहार का दौर चला. वहीं परपोटा, मानसरोवर, मालवीय नगर, टोंक रोड, जेएलएन रोड सहित शहर के प्रमुख मार्गों और मंदिरों के बाहर विभिन्न समाज और व्यापारी वर्गों की ओर से स्टॉल लगाते हुए शरबत, मिल्क रोज, नींबू पानी, आमसर वितरित किया गया. जबकि श्रद्धालुओं ने मनोकामनाएं मांगते हुए साल की सबसे श्रेष्ठ निर्जला एकादशी का व्रत भी रखा.

ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसी निर्जला एकादशी के व्रत को महाभारत काल में पांडू पुत्र भीम ने भी व्रत किया था. ये एकमात्र ऐसा व्रत था जिसे भीम की ओर से किया गया था. इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार र्स्वार्थसिद्धि योग और रवि योग सहित कई संयोग भी बन रहे हैं. इस दिन व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. व्रत के साथ-साथ तीर्थों के दर्शन करने से मनोकामना भी पूर्ण होती है.

पढ़ेंः Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी पर ग्यारस माता मंदिर में उमड़ी महिला श्रद्धालुओं की भीड़

निर्जला एकादशी के मौके पर ना सिर्फ शहर वासियों के लिए विभिन्न इंस्टॉल लगाते हुए विभिन्न पेय की सेवा की गई. साथ ही जानवरों की पीने के लिए पानी किया बंदोबस्त और पक्षियों के लिए परिंडे लगाए गए. वहीं शहर में सुबह से दान पुण्य का दौर भी चला. महिलाओं ने बढ़-चढ़कर पानी के मटके, छाता, अन्न और बीजणी का दान किया. उधर, राजधानी के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में ठाकुर श्री जी को जलविहार कराया गया.

पढ़ेंः पुष्कर में है कार्तिक स्नान का विशेष महत्व, एकादशी से पूर्णिमा तक समस्त देवी देवता बिराजते हैं यहां, जानिए क्यों

जिसमें भगवान के दक्षिण भारत से मंगवाया गया चंदन का लेप कर, रियासत कालीन चांदी के फव्वारे से शीतलता प्रदान की गई. साथ ही गोविंद देव जी को तरबूज, खरबूजा, फालसे, आम और दूसरे ऋतु फल अर्पित करते हुए खस और गुलाब के शरबत का भोग लगाया गया. वहीं मंदिरों में श्रद्धालुओं को सूर्य की तपिश से बचाने के लिए कारपेट और टेंट की व्यवस्था करते हुए कूलर-पंखे भी लगाए गए हैं.

जयपुर. भगवान विष्णु की आराधना और पुण्य फल का लाभ देने वाली निर्जला एकादशी पर छोटी काशी के प्रमुख मंदिरों पर विशेष झांकी, दान-पुण्य, महाआरती और जलविहार का दौर चला. वहीं परपोटा, मानसरोवर, मालवीय नगर, टोंक रोड, जेएलएन रोड सहित शहर के प्रमुख मार्गों और मंदिरों के बाहर विभिन्न समाज और व्यापारी वर्गों की ओर से स्टॉल लगाते हुए शरबत, मिल्क रोज, नींबू पानी, आमसर वितरित किया गया. जबकि श्रद्धालुओं ने मनोकामनाएं मांगते हुए साल की सबसे श्रेष्ठ निर्जला एकादशी का व्रत भी रखा.

ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसी निर्जला एकादशी के व्रत को महाभारत काल में पांडू पुत्र भीम ने भी व्रत किया था. ये एकमात्र ऐसा व्रत था जिसे भीम की ओर से किया गया था. इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार र्स्वार्थसिद्धि योग और रवि योग सहित कई संयोग भी बन रहे हैं. इस दिन व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. व्रत के साथ-साथ तीर्थों के दर्शन करने से मनोकामना भी पूर्ण होती है.

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निर्जला एकादशी के मौके पर ना सिर्फ शहर वासियों के लिए विभिन्न इंस्टॉल लगाते हुए विभिन्न पेय की सेवा की गई. साथ ही जानवरों की पीने के लिए पानी किया बंदोबस्त और पक्षियों के लिए परिंडे लगाए गए. वहीं शहर में सुबह से दान पुण्य का दौर भी चला. महिलाओं ने बढ़-चढ़कर पानी के मटके, छाता, अन्न और बीजणी का दान किया. उधर, राजधानी के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में ठाकुर श्री जी को जलविहार कराया गया.

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जिसमें भगवान के दक्षिण भारत से मंगवाया गया चंदन का लेप कर, रियासत कालीन चांदी के फव्वारे से शीतलता प्रदान की गई. साथ ही गोविंद देव जी को तरबूज, खरबूजा, फालसे, आम और दूसरे ऋतु फल अर्पित करते हुए खस और गुलाब के शरबत का भोग लगाया गया. वहीं मंदिरों में श्रद्धालुओं को सूर्य की तपिश से बचाने के लिए कारपेट और टेंट की व्यवस्था करते हुए कूलर-पंखे भी लगाए गए हैं.

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