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National Doctor's Day 2023 : जयपुर के इस घर में बसता है डॉक्टर्स का कुनबा, एक-दो नहीं बल्कि Doctors की पूरी क्रिकेट टीम

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Published : Jul 1, 2023, 7:23 AM IST

राजधानी का एक ऐसा घर जहां डॉक्टर्स का कुनबा बसता है. इस परिवार में कोई चर्म रोग विशेषज्ञ है तो कोई नेत्र रोग में विशेषज्ञ. परिवार की नई पीढ़ी में न्यूरो और ऑन्कोलॉजी के सर्जन तैयार हो गए हैं. इनकी डाइनिंग टेबल पर भी ओटी की बातें होती हैं. आइए डॉक्टर्स डे पर आपको इस डॉक्टर परिवार से रू-ब-रू कराते हैं.

Family of Doctors
इस घर में बसता है डॉक्टर्स का कुनबा...
क्या कहते हैं डॉ. दीपक माथुर...

जयपुर. राजधानी जयपुर के बापू नगर में रहने वाले डॉ. दीपक माथुर वर्तमान में प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज एसएमएस के एडिशनल प्रिंसिपल के तौर पर कार्यरत हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके परिवार में उनसे अगली पीढ़ी के सभी बच्चे डॉक्टर हैं. हालांकि, परिवार में सबसे पहले डॉक्टर वो खुद हैं. वो चर्म रोग विशेषज्ञ हैं. पत्नी डॉ. निधि माथुर जनरल फिजिशियन हैं और वर्तमान में ईएसआई में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हैं. बड़ी बेटी डॉ. इतिशा प्लास्टिक सर्जन हैं, जबकि बड़े दामाद इतिशा के पति डॉ. शशिन न्यूरो सर्जन हैं.

छोटी बेटी रचिता चर्म रोग में ही सहायक आचार्य हैं. छोटे दामाद रचिता के पति डॉ. ऋषभ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर के सर्जन) कर रहे हैं. बेटा डॉ. शिवम हाल ही में एमबीबीएस करके चुके हैं और प्री पीजी का एग्जाम दे चुके हैं. छोटे भाई डॉ. संदीप माथुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ही एंडोक्राइनोलॉजी के विभागाध्यक्ष हैं. डॉ. संदीप के बेटे डॉ. नीतीश यूके में एमआरसीपी एंडोक्राइनोलॉजी की कर रहे हैं. उनकी पुत्रवधू डॉ. प्राची नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. इसके अलावा उनकी बड़ी बहन के बेटे डॉ. प्रियांशु माथुर रेयर जेनेटिक एंड मेटाबॉलिक जैसी बच्चों की जटिल बीमारियों के विशेषज्ञ हैं और वर्तमान में जेकेलोन में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. जबकि डॉ. प्रियांशु की वाइफ डॉ. अविषा नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं.

पढ़ें : National Doctors Day : राजस्थानी कला-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लोक नृत्य कर रहीं डॉ. अनुपमा, मिसेज एशिया का खीताब किया अपने नाम

माथुर फैमिली के पहले डॉक्टर बने डॉ. दीपक : डॉ. दीपक माथुर ने बताया कि उनके पिताजी का सपना था कि उनका बच्चा डॉक्टर बने और उन्होंने अपनी एक ख्वाहिश उनके सामने रखी. उस जमाने में 9वीं कक्षा में सब्जेक्ट लिया जाता था। वो पोद्दार स्कूल से फॉर्म लाए, लेकिन फॉर्म में सब्जेक्ट कौन से भरने हैं, ये तक नहीं पता था. क्योंकि उस वक्त तक पूरे परिवार में चिकित्सा क्षेत्र में कोई भी नहीं था. हालांकि, उनके पड़ोसी गुप्ता फैमिली में डॉ. कैलाश गुप्ता थे, साइकिल उठाकर उनके पास पहुंच गए. उन्होंने बताया कि डॉक्टर बनना चाहते हो तो फॉर्म में जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र और भौतिक शास्त्र भरो और फिर आगे पढ़ोगे तो डॉक्टरी में एडमिशन होगा. इस तरह से उनके परिवार में मेडिकल क्षेत्र में आने की जर्नी शुरू हुई.

Family of Doctors
जयपुर के इस घर में बसता है डॉक्टर्स का कुनबा

साथ बैठते हैं तब भी होती है मेडिकल फील्ड की ही बातें : डॉ. निधि माथुर ने बताया कि जब घर में सभी साथ बैठते हैं तब भी मेडिकल से जुड़ी हुई बातें ही चलती रहती है. उनके अलावा अगर कोई रिलेटिव बाहर से आता है तो वो बातें सुनकर ही बोर हो जाता है. बातचीत में अमूमन ओटी में क्या रहा, कौन सा इंपॉर्टेंट केस आया, इस तरह की बातें ही होती हैं. केस डिस्कशन डाइनिंग टेबल पर भी चलते रहते हैं. एक ही प्रोफेशन होने से सभी की आपस में अच्छी अंडरस्टैंडिंग रहती है. वो खुद मेडिकल ऑफिसर हैं, इसलिए बाकी फैमिली मेंबर से ज्यादा परिवार पर ध्यान दे पाती हैं.

परिवार के सभी डॉक्टर्स के साथ पैतृक गांव में लगाना चाहते हैं मेडिकल कैंप : डॉ. दीपक माथुर ने बताया कि अभी परिवार की नई पीढ़ी ग्रोथ फेस में है, लेकिन उन्होंने खुद ने काफी मेडिकल कैंप अटेंड किए हैं. उन कैंप में जाने से ये फायदा रहता है कि जरूरतमंदों की हेल्प कर पाते हैं. पहले दवाइयों की पोटली कैंप में ले जाया करते थे. आजकल अस्पतालों में ही निशुल्क दवा उपलब्ध हो जाती है. लेकिन अभी उनकी इच्छा है कि उनके विराट नगर स्थित पैतृक गांव में जाकर घर के सारे स्पेशलिस्ट मिलकर एक मेडिकल कैंप लगाए, ताकि परिवार के हर एक व्यक्ति का गांव वालों से परिचय हो जाए, और गांव वालों को उनका परिवार सेवाएं दे पाएं.

सेवा भाव से काम करना चाहते हैं तो मेडिकल प्रोफेशन सर्वोत्तम : डॉ. माथुर ने कहा कि आज भी मेडिकल क्षेत्र अन्य क्षेत्रों में सर्वोत्तम है. नए बच्चे जो भी अब मेडिकल लाइन को चुन रहे हैं, उन्हें यही मैसेज देना चाहते हैं कि मेडिकल प्रोफेशन का कोई कंपैरिजन नहीं है, बल्कि सरकार ने चिरंजीवी योजना, आरजीएचएस योजना लाकर उनकी मदद की है. अब डॉक्टर अपना एक्सपर्टाइज देंगे और मरीजों को दवा खरीदने में जो डिफिकल्टी आती थी, वो सरकार दे रही है. ऐसे में इससे बढ़िया कोई सर्विस नहीं हो सकती. इसलिए यही कहेंगे कि जो भी सेवा भाव से काम करना चाहते हैं, उनके लिए मेडिकल प्रोफेशन सर्वोत्तम है.

क्या कहते हैं डॉ. दीपक माथुर...

जयपुर. राजधानी जयपुर के बापू नगर में रहने वाले डॉ. दीपक माथुर वर्तमान में प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज एसएमएस के एडिशनल प्रिंसिपल के तौर पर कार्यरत हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके परिवार में उनसे अगली पीढ़ी के सभी बच्चे डॉक्टर हैं. हालांकि, परिवार में सबसे पहले डॉक्टर वो खुद हैं. वो चर्म रोग विशेषज्ञ हैं. पत्नी डॉ. निधि माथुर जनरल फिजिशियन हैं और वर्तमान में ईएसआई में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हैं. बड़ी बेटी डॉ. इतिशा प्लास्टिक सर्जन हैं, जबकि बड़े दामाद इतिशा के पति डॉ. शशिन न्यूरो सर्जन हैं.

छोटी बेटी रचिता चर्म रोग में ही सहायक आचार्य हैं. छोटे दामाद रचिता के पति डॉ. ऋषभ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर के सर्जन) कर रहे हैं. बेटा डॉ. शिवम हाल ही में एमबीबीएस करके चुके हैं और प्री पीजी का एग्जाम दे चुके हैं. छोटे भाई डॉ. संदीप माथुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ही एंडोक्राइनोलॉजी के विभागाध्यक्ष हैं. डॉ. संदीप के बेटे डॉ. नीतीश यूके में एमआरसीपी एंडोक्राइनोलॉजी की कर रहे हैं. उनकी पुत्रवधू डॉ. प्राची नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. इसके अलावा उनकी बड़ी बहन के बेटे डॉ. प्रियांशु माथुर रेयर जेनेटिक एंड मेटाबॉलिक जैसी बच्चों की जटिल बीमारियों के विशेषज्ञ हैं और वर्तमान में जेकेलोन में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. जबकि डॉ. प्रियांशु की वाइफ डॉ. अविषा नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं.

पढ़ें : National Doctors Day : राजस्थानी कला-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लोक नृत्य कर रहीं डॉ. अनुपमा, मिसेज एशिया का खीताब किया अपने नाम

माथुर फैमिली के पहले डॉक्टर बने डॉ. दीपक : डॉ. दीपक माथुर ने बताया कि उनके पिताजी का सपना था कि उनका बच्चा डॉक्टर बने और उन्होंने अपनी एक ख्वाहिश उनके सामने रखी. उस जमाने में 9वीं कक्षा में सब्जेक्ट लिया जाता था। वो पोद्दार स्कूल से फॉर्म लाए, लेकिन फॉर्म में सब्जेक्ट कौन से भरने हैं, ये तक नहीं पता था. क्योंकि उस वक्त तक पूरे परिवार में चिकित्सा क्षेत्र में कोई भी नहीं था. हालांकि, उनके पड़ोसी गुप्ता फैमिली में डॉ. कैलाश गुप्ता थे, साइकिल उठाकर उनके पास पहुंच गए. उन्होंने बताया कि डॉक्टर बनना चाहते हो तो फॉर्म में जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र और भौतिक शास्त्र भरो और फिर आगे पढ़ोगे तो डॉक्टरी में एडमिशन होगा. इस तरह से उनके परिवार में मेडिकल क्षेत्र में आने की जर्नी शुरू हुई.

Family of Doctors
जयपुर के इस घर में बसता है डॉक्टर्स का कुनबा

साथ बैठते हैं तब भी होती है मेडिकल फील्ड की ही बातें : डॉ. निधि माथुर ने बताया कि जब घर में सभी साथ बैठते हैं तब भी मेडिकल से जुड़ी हुई बातें ही चलती रहती है. उनके अलावा अगर कोई रिलेटिव बाहर से आता है तो वो बातें सुनकर ही बोर हो जाता है. बातचीत में अमूमन ओटी में क्या रहा, कौन सा इंपॉर्टेंट केस आया, इस तरह की बातें ही होती हैं. केस डिस्कशन डाइनिंग टेबल पर भी चलते रहते हैं. एक ही प्रोफेशन होने से सभी की आपस में अच्छी अंडरस्टैंडिंग रहती है. वो खुद मेडिकल ऑफिसर हैं, इसलिए बाकी फैमिली मेंबर से ज्यादा परिवार पर ध्यान दे पाती हैं.

परिवार के सभी डॉक्टर्स के साथ पैतृक गांव में लगाना चाहते हैं मेडिकल कैंप : डॉ. दीपक माथुर ने बताया कि अभी परिवार की नई पीढ़ी ग्रोथ फेस में है, लेकिन उन्होंने खुद ने काफी मेडिकल कैंप अटेंड किए हैं. उन कैंप में जाने से ये फायदा रहता है कि जरूरतमंदों की हेल्प कर पाते हैं. पहले दवाइयों की पोटली कैंप में ले जाया करते थे. आजकल अस्पतालों में ही निशुल्क दवा उपलब्ध हो जाती है. लेकिन अभी उनकी इच्छा है कि उनके विराट नगर स्थित पैतृक गांव में जाकर घर के सारे स्पेशलिस्ट मिलकर एक मेडिकल कैंप लगाए, ताकि परिवार के हर एक व्यक्ति का गांव वालों से परिचय हो जाए, और गांव वालों को उनका परिवार सेवाएं दे पाएं.

सेवा भाव से काम करना चाहते हैं तो मेडिकल प्रोफेशन सर्वोत्तम : डॉ. माथुर ने कहा कि आज भी मेडिकल क्षेत्र अन्य क्षेत्रों में सर्वोत्तम है. नए बच्चे जो भी अब मेडिकल लाइन को चुन रहे हैं, उन्हें यही मैसेज देना चाहते हैं कि मेडिकल प्रोफेशन का कोई कंपैरिजन नहीं है, बल्कि सरकार ने चिरंजीवी योजना, आरजीएचएस योजना लाकर उनकी मदद की है. अब डॉक्टर अपना एक्सपर्टाइज देंगे और मरीजों को दवा खरीदने में जो डिफिकल्टी आती थी, वो सरकार दे रही है. ऐसे में इससे बढ़िया कोई सर्विस नहीं हो सकती. इसलिए यही कहेंगे कि जो भी सेवा भाव से काम करना चाहते हैं, उनके लिए मेडिकल प्रोफेशन सर्वोत्तम है.

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