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Special : म्यूजिक थैरेपी बना तनाव से मुक्ति का जरिया, जयपुर के इस दंपती ने उठाया बीड़ा - 1700 से ज्यादा गाने हो गए याद

आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे दंपती के बारे में बताएंगे, जो प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया में लोगों को तनाव से मुक्ति दिलाने की दिशा में अहम योगदान दे रहे हैं. वहीं, इसके लिए इन लोगों ने (Music therapy gives relief from stress) म्यूजिक को जरिया बनाया है.

म्यूजिक थैरेपी बना तनाव से मुक्ति का जरिया
म्यूजिक थैरेपी बना तनाव से मुक्ति का जरिया
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Published : Jun 8, 2023, 3:43 PM IST

Updated : Jun 8, 2023, 6:22 PM IST

म्यूजिक थैरेपी बना तनाव से मुक्ति का जरिया

जयपुर. क्या संगीत से किसी का इलाज हो सकता है? यह सुनकर आपको हैरानी होगी, लेकिन देश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें संगीत का गहरा प्रभाव पड़ा है. डॉक्टर्स भी मानते हैं कि म्यूजिक थैरेपी से नेगेटिविटी को पॉजिटिविटी में बदला जा सकता है. ये न सिर्फ मनोरंजन के तौर पर खास है, बल्कि तनाव और मानसिक विकारों को भी दूर करता है. राजधानी का एक कपल यही काम बीते सात साल से कर रहा है. उन्होंने म्यूजिक के जरिए लोगों की जिंदगी से तनाव को मुक्त करने का बीड़ा उठाया और आज भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी उन्होंने अपना 'तराना' छेड़ा हुआ है.

संगीत से किसी रोते शख्स के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी जा सकती है. तनाव और मानसिक विकारों से मुक्ति दिलाई जा सकती है. राजधानी जयपुर के देवनगर निवासी दंपती देवेंद्र और उनकी शिक्षिका पत्नी अनुराधा श्रीमाली ने इसी सोच के साथ सात साल पहले 'तराना' की शुरुआत की थी. कोविड काल में इसे नए आयाम तक ले गए. ये दंपती संगीत के जरिए जेल के कैदियों से लेकर वृद्धाश्रम के बुजुर्गों के बेरंग दुनिया में खुशियों के रंग भरने में जुटा है.

Music therapy gives relief from stress
तराना ग्रुप के सदस्य

हर कोई म्यूजिक से जुड़ा है: पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत रहे देवेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपनी जर्नी की शुरुआत करीब 7 साल पहले की थी. लेकिन तराना नाम कोरोना से पहले रखा था, जिसका पूरा नाम 'तनाव मुक्त राष्ट्रीय नाद' है. उनके मन में विचार आया कि पैसा कमाने की कोई लिमिट नहीं होती है, इसलिए इसके पीछे कब तक भागा जाए. उनकी पत्नी भी जॉब में है, वो इतना कमा लेती हैं, जिससे बसेरा आसानी से हो जाता है. इस सोच के साथ उन्होंने नौकरी छोड़ दी और घर संभालना शुरू किया. उन्होंने बताया कि मनुष्य के डीएनए में म्यूजिक रचा बसा है. एक शोध में सामने आया कि फ्रांस में 72% लोग म्यूजिक से जुड़े हुए हैं. लेकिन भारत में 100% लोग म्यूजिक से जुड़े हैं. यहां भगवान के पूजन से लेकर बच्चे को सुलाने तक सभी में म्यूजिक का इस्तेमाल होता है. पहले प्रभात फेरियां, शादी के समय गीत-संगीत के आयोजन होते थे तो महिलाएं हजारों लोगों का भोजन बनाने के बावजूद भी थकान महसूस नहीं करती थी.

Music therapy gives relief from stress
म्यूजिक थैरेपी से बदल रही लोगों की जिंदगी

इसे भी पढ़ें - World Music Day Special : जब मां की लोरी कानों तक पहुंची तो कोमा से बाहर आ गया बच्चा...

तनाव दूर करने का बड़ा माध्यम : देवेंद्र ने बताया कि 'तराना' के नजदीक जो भी लोग आए सभी उससे जुड़ते चले गए. कारण साफ है कि लोग इस दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं न कहीं तनाव या अवसाद से ग्रसित होते हैं. पॉजिटिव एनर्जी के लिए संगीत एक आसान जरिया है. इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. कोटा में आए दिन कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्रों के सुसाइड के मामले सामने आते हैं, वो कहीं न कहीं तनाव से ग्रसित होते हैं, जो म्यूजिक के जरिए अपने स्ट्रेस को कम कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि आज जयपुर के करीब 7 बड़े गार्डन और राजस्थान के लगभग हर जिले में तराना संचालित है, जहां लोग सुबह आते हैं और बिना किसी कंपटीशन या राग द्वेष के इससे जुड़ते हैं.

विदेशों में भी संचालित : उन्होंने बताया कि राजस्थान के लगभग सभी सेंट्रल जेल में उनका जाना हुआ है. वृद्ध आश्रम में भी जाते हैं. कॉलेज और स्कूलों में भी सेशन लेते हैं. यही नहीं ऑस्ट्रेलिया और नेपाल भी वो अपने तराना के साथ पहुंचे और जल्द ही अपने दोस्तों के साथ इसे दुबई में भी शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं. उन्होंने इसे एक अभियान बताते हुए कहा कि इसे कोई भी शुरू कर सकता है.

म्यूजिक थैरेपी से हुआ कई लोगों का इलाज : उन्होंने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि एक पार्क में उन्हें तराना के दौरान ही एक ऐसा व्यक्ति मिला जो गले में किसी गांठ की वजह से बोल नहीं पाता था. आज म्यूजिक थैरेपी के जरिए वो रोज तराना के फेसबुक पेज पर अपने गीत गाकर पोस्ट करता है. एक व्यक्ति जो बरसों से बेड पर था, आज व्हीलचेयर पर आकर पार्क में गीत सुनाने लगा है. उनके एक क्लोज रिलेटिव दुर्घटना में काफी ज्यादा घायल हो गए थे. दर्द से बहुत ज्यादा पीड़ित थे. लेकिन इसी म्यूजिक थैरेपी के जरिए उनकी जल्द रिकवर हुई और वो अपना दर्द भी भूल गए. आलम यह है कि हाल ही में उनकी पत्नी ने दोनों घुटनों का ऑपरेशन कराया है. उस दौरान खुद डॉक्टर ने उनकी पत्नी को किशोर कुमार के गाने सुनाते हुए ऑपरेट किया था.

Music therapy gives relief from stress
ऑस्ट्रेलिया में अप्रवासी भारतीयों ने बनाया तराना ग्रुप

पत्नी पहले हुई हैरान और फिर खुद जुड़ी : देवेंद्र की शिक्षिका पत्नी अनुराधा ने बताया कि शुरुआत में जब उनके पति ने इसकी शुरुआत की तो, उन्हें भी अजीब लगता था. लेकिन जब उन्होंने अपने एक्सपीरियंस शेयर करना शुरू किए तो उन्होंने भी अपने पति को ज्वाइन किया. कोविड के दौर में भी उन्होंने अपनी इस मुहिम को जारी रखा. लोगों ने उन्हें सड़कों पर बैठकर गाते देखा, तो पागल तक कहा. लेकिन उन्होंने अपना तराना जारी रखा. 7 साल पहले जब उनके पति ने अचानक नौकरी छोड़ने का फैसला लिया तो वो खुद अचंभित हो गई थी. क्योंकि उसी दौरान बेटी की शादी होने वाली थी. उस समय लगा कि अब कैसे मैनेज होगा?, लेकिन धीरे-धीरे सब मैनेज भी हुआ और अब सब कुछ अच्छा चल रहा है. आलम ये है कि अब तो कितनी भी परेशानी सामने आ जाए, एक दूसरे को देख कर सिर्फ मुस्कुराते हुए यही कहते हैं कि सब अच्छा है.

1700 से ज्यादा गाने हो गए याद : कोविड के समय उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप के साथ ही फेसबुक पेज भी बनाया था. जिस पर लोग अपनी लाइव परफॉर्मेंस भी देते हैं. साथ ही वीडियो भी अपलोड करते हैं. आलम ये है कि देवेंद्र के फेसबुक पेज पर अब तो सॉन्ग की डिमांड भी आने लगी है. यही वजह है कि अब उन्हें करीब 1700 गाने याद हो गए हैं. यही नहीं ऑस्ट्रेलिया में अप्रवासी भारतीयों ने तराना इंडो ऑस्ट्रेलिया ग्रुप भी बनाया है, जो वीकेंड पर इसी तरह से म्यूजिकल प्रोग्राम आयोजित करते हैं.

म्यूजिक थैरेपी बना तनाव से मुक्ति का जरिया

जयपुर. क्या संगीत से किसी का इलाज हो सकता है? यह सुनकर आपको हैरानी होगी, लेकिन देश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें संगीत का गहरा प्रभाव पड़ा है. डॉक्टर्स भी मानते हैं कि म्यूजिक थैरेपी से नेगेटिविटी को पॉजिटिविटी में बदला जा सकता है. ये न सिर्फ मनोरंजन के तौर पर खास है, बल्कि तनाव और मानसिक विकारों को भी दूर करता है. राजधानी का एक कपल यही काम बीते सात साल से कर रहा है. उन्होंने म्यूजिक के जरिए लोगों की जिंदगी से तनाव को मुक्त करने का बीड़ा उठाया और आज भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी उन्होंने अपना 'तराना' छेड़ा हुआ है.

संगीत से किसी रोते शख्स के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी जा सकती है. तनाव और मानसिक विकारों से मुक्ति दिलाई जा सकती है. राजधानी जयपुर के देवनगर निवासी दंपती देवेंद्र और उनकी शिक्षिका पत्नी अनुराधा श्रीमाली ने इसी सोच के साथ सात साल पहले 'तराना' की शुरुआत की थी. कोविड काल में इसे नए आयाम तक ले गए. ये दंपती संगीत के जरिए जेल के कैदियों से लेकर वृद्धाश्रम के बुजुर्गों के बेरंग दुनिया में खुशियों के रंग भरने में जुटा है.

Music therapy gives relief from stress
तराना ग्रुप के सदस्य

हर कोई म्यूजिक से जुड़ा है: पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत रहे देवेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपनी जर्नी की शुरुआत करीब 7 साल पहले की थी. लेकिन तराना नाम कोरोना से पहले रखा था, जिसका पूरा नाम 'तनाव मुक्त राष्ट्रीय नाद' है. उनके मन में विचार आया कि पैसा कमाने की कोई लिमिट नहीं होती है, इसलिए इसके पीछे कब तक भागा जाए. उनकी पत्नी भी जॉब में है, वो इतना कमा लेती हैं, जिससे बसेरा आसानी से हो जाता है. इस सोच के साथ उन्होंने नौकरी छोड़ दी और घर संभालना शुरू किया. उन्होंने बताया कि मनुष्य के डीएनए में म्यूजिक रचा बसा है. एक शोध में सामने आया कि फ्रांस में 72% लोग म्यूजिक से जुड़े हुए हैं. लेकिन भारत में 100% लोग म्यूजिक से जुड़े हैं. यहां भगवान के पूजन से लेकर बच्चे को सुलाने तक सभी में म्यूजिक का इस्तेमाल होता है. पहले प्रभात फेरियां, शादी के समय गीत-संगीत के आयोजन होते थे तो महिलाएं हजारों लोगों का भोजन बनाने के बावजूद भी थकान महसूस नहीं करती थी.

Music therapy gives relief from stress
म्यूजिक थैरेपी से बदल रही लोगों की जिंदगी

इसे भी पढ़ें - World Music Day Special : जब मां की लोरी कानों तक पहुंची तो कोमा से बाहर आ गया बच्चा...

तनाव दूर करने का बड़ा माध्यम : देवेंद्र ने बताया कि 'तराना' के नजदीक जो भी लोग आए सभी उससे जुड़ते चले गए. कारण साफ है कि लोग इस दौड़ती-भागती जिंदगी में कहीं न कहीं तनाव या अवसाद से ग्रसित होते हैं. पॉजिटिव एनर्जी के लिए संगीत एक आसान जरिया है. इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. कोटा में आए दिन कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्रों के सुसाइड के मामले सामने आते हैं, वो कहीं न कहीं तनाव से ग्रसित होते हैं, जो म्यूजिक के जरिए अपने स्ट्रेस को कम कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि आज जयपुर के करीब 7 बड़े गार्डन और राजस्थान के लगभग हर जिले में तराना संचालित है, जहां लोग सुबह आते हैं और बिना किसी कंपटीशन या राग द्वेष के इससे जुड़ते हैं.

विदेशों में भी संचालित : उन्होंने बताया कि राजस्थान के लगभग सभी सेंट्रल जेल में उनका जाना हुआ है. वृद्ध आश्रम में भी जाते हैं. कॉलेज और स्कूलों में भी सेशन लेते हैं. यही नहीं ऑस्ट्रेलिया और नेपाल भी वो अपने तराना के साथ पहुंचे और जल्द ही अपने दोस्तों के साथ इसे दुबई में भी शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं. उन्होंने इसे एक अभियान बताते हुए कहा कि इसे कोई भी शुरू कर सकता है.

म्यूजिक थैरेपी से हुआ कई लोगों का इलाज : उन्होंने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि एक पार्क में उन्हें तराना के दौरान ही एक ऐसा व्यक्ति मिला जो गले में किसी गांठ की वजह से बोल नहीं पाता था. आज म्यूजिक थैरेपी के जरिए वो रोज तराना के फेसबुक पेज पर अपने गीत गाकर पोस्ट करता है. एक व्यक्ति जो बरसों से बेड पर था, आज व्हीलचेयर पर आकर पार्क में गीत सुनाने लगा है. उनके एक क्लोज रिलेटिव दुर्घटना में काफी ज्यादा घायल हो गए थे. दर्द से बहुत ज्यादा पीड़ित थे. लेकिन इसी म्यूजिक थैरेपी के जरिए उनकी जल्द रिकवर हुई और वो अपना दर्द भी भूल गए. आलम यह है कि हाल ही में उनकी पत्नी ने दोनों घुटनों का ऑपरेशन कराया है. उस दौरान खुद डॉक्टर ने उनकी पत्नी को किशोर कुमार के गाने सुनाते हुए ऑपरेट किया था.

Music therapy gives relief from stress
ऑस्ट्रेलिया में अप्रवासी भारतीयों ने बनाया तराना ग्रुप

पत्नी पहले हुई हैरान और फिर खुद जुड़ी : देवेंद्र की शिक्षिका पत्नी अनुराधा ने बताया कि शुरुआत में जब उनके पति ने इसकी शुरुआत की तो, उन्हें भी अजीब लगता था. लेकिन जब उन्होंने अपने एक्सपीरियंस शेयर करना शुरू किए तो उन्होंने भी अपने पति को ज्वाइन किया. कोविड के दौर में भी उन्होंने अपनी इस मुहिम को जारी रखा. लोगों ने उन्हें सड़कों पर बैठकर गाते देखा, तो पागल तक कहा. लेकिन उन्होंने अपना तराना जारी रखा. 7 साल पहले जब उनके पति ने अचानक नौकरी छोड़ने का फैसला लिया तो वो खुद अचंभित हो गई थी. क्योंकि उसी दौरान बेटी की शादी होने वाली थी. उस समय लगा कि अब कैसे मैनेज होगा?, लेकिन धीरे-धीरे सब मैनेज भी हुआ और अब सब कुछ अच्छा चल रहा है. आलम ये है कि अब तो कितनी भी परेशानी सामने आ जाए, एक दूसरे को देख कर सिर्फ मुस्कुराते हुए यही कहते हैं कि सब अच्छा है.

1700 से ज्यादा गाने हो गए याद : कोविड के समय उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप के साथ ही फेसबुक पेज भी बनाया था. जिस पर लोग अपनी लाइव परफॉर्मेंस भी देते हैं. साथ ही वीडियो भी अपलोड करते हैं. आलम ये है कि देवेंद्र के फेसबुक पेज पर अब तो सॉन्ग की डिमांड भी आने लगी है. यही वजह है कि अब उन्हें करीब 1700 गाने याद हो गए हैं. यही नहीं ऑस्ट्रेलिया में अप्रवासी भारतीयों ने तराना इंडो ऑस्ट्रेलिया ग्रुप भी बनाया है, जो वीकेंड पर इसी तरह से म्यूजिकल प्रोग्राम आयोजित करते हैं.

Last Updated : Jun 8, 2023, 6:22 PM IST
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