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स्कूल शिक्षा में 'मिशन स्टार्ट', ई-लेक्चर के जरिए 800 घंटे की क्लासेस की तैयारी

राजस्थान में e-Education से छात्रों का भविष्य संवारने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग ने 'मिशन स्टार्ट' शुरू किया है. इस मिशन के तहत तकनीक की मदद से स्कूलों के शैक्षिक परिदृश्य को बेहतर बनाया जाएगा. साथ ही ई-लेक्चर के जरिए क्लासेस के संचालन की तैयारी है.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 22, 2023, 6:29 PM IST

जयपुर. प्रदेश में ई-एजुकेशन से छात्रों का भविष्य संवारने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग ने 'मिशन स्टार्ट' शुरू किया है. इसके तहत तकनीक की मदद से स्कूलों में शैक्षणिक परिदृश्य को बेहतर बनाने की कवायद की जाएगी. सरकारी स्कूलों में विषय अध्यापकों की संख्या और ई-कंटेंट का बैलेंस करते हुए मिशन स्टार्ट में ई-लेक्चर के जरिए 700 से 800 घंटे की क्लासेस का संचालन किया जा सकेगा.

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में डिजिटल एजुकेशन नवाचारों से छात्रों के लिए शिक्षण गतिविधियों को सुगम बनाने की कवायद की जा रही है. इसी क्रम में शुक्रवार को शिक्षा विभाग की ओर से एक लाइव सेशन किया गया, जिसमें शिक्षा सचिव नवीन जैन ने मिशन स्टार्ट और शाला संबलन एप 2.0 जैसे ई-एजुकेशन इनिशिएटिव पर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के संस्था प्रधानों, शिक्षकों और फील्ड अधिकारियों से सीधा संवाद किया.

इसे भी पढ़ें - शिक्षा विभाग की सख्ती, गलती करने वालों को अब माफी नहीं, मिलेगी सजा

शिक्षा शासन सचिव नवीन जैन ने बताया कि मिशन स्टार्ट के तहत राज्य की सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में संचालित आईसीटी लैब, इंटरनेट, स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर जैसे संसाधनों के जरिए विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए ई-कंटेंट का बेहतरीन उपयोग किया जा सकेगा. स्कूलों में विषय अध्यापकों की संख्या और ई-कंटेंट का बैलेंस करते हुए मिशन स्टार्ट में ई-लेक्चर के जरिए 700 से 800 घंटे की क्लासेस का संचालन किया जा सकता है.

उन्होंने निर्देश दिए कि स्कूलों में हर दिन संचालित की जाने वाली ई-क्लासेज में किस दिन, किस पीरियड में और कौन से विषय पर ई-कंटेंट के जरिए शिक्षण होगा, इसकी समय सारणी का निर्धारण किया जाए. स्मार्ट क्लासेज के संचालन और समय सारणी तैयार करने के लिए 'स्कूल लेसन गाइडेंस मॉड्यूल' तैयार किया गया है. आगामी सप्ताह से इस मॉड्यूल की तर्ज पर स्मार्ट क्लासेज के संचालन की सतत मॉनिटरिंग होगी.

इसे भी पढ़ें - स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा : महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों का विकास और शिक्षकों की भर्ती हमारी प्राथमिकता - CM गहलोत

उन्होंने बताया कि जिन स्कूलों में इंटरनेट सुविधा नहीं है, वहां पर 'मिशन ज्ञान' के सहयोग से कम्प्यूटर हार्डवेयर में ई-कंटेंट अपलोड करते हुए सुलभ कराया गया है, ताकि ऑफलाइन मोड पर भी छात्र स्मार्ट क्लासेज में अध्ययन कर सके. उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश के नए क्रमोन्नत सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में भी स्मार्ट क्लासेज के संचालन के लिए जल्द आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे.

इस दौरान शाला संबलन एप 2.0 के फीचर्स के बारे में भी जानकारी दी गई. शिक्षा निदेशक कानाराम ने स्कूल आफ्टर स्कूल कार्यक्रम के बारे में बताया कि इसके तहत स्कूल समय के बाद शाम को ऑनलाइन क्लासेज के जरिए शिक्षण की पहल की गई है. इसमें अगले सप्ताह की क्लासेस का शेड्यूल वॉट्सऐप ग्रुप में साझा किया जाता है.

साथ ही हर दिन की क्लासेज का क्यूआर कोड विभाग के फेसबुक पेज पर भी उपलब्ध कराया जाता है. बता दें कि इस लाइव सेशन में करीब 75 हजार 'व्यूज' रिकॉर्ड हुए. शनिवार को दो सत्रों में सुबह 11 बजे से 12:30 बजे और 12:30 बजे से 2 बजे के बीच राज्य के सभी ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों के संस्था प्रधानों की वीसी में भी इस पर चर्चा की होगी.

जयपुर. प्रदेश में ई-एजुकेशन से छात्रों का भविष्य संवारने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग ने 'मिशन स्टार्ट' शुरू किया है. इसके तहत तकनीक की मदद से स्कूलों में शैक्षणिक परिदृश्य को बेहतर बनाने की कवायद की जाएगी. सरकारी स्कूलों में विषय अध्यापकों की संख्या और ई-कंटेंट का बैलेंस करते हुए मिशन स्टार्ट में ई-लेक्चर के जरिए 700 से 800 घंटे की क्लासेस का संचालन किया जा सकेगा.

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में डिजिटल एजुकेशन नवाचारों से छात्रों के लिए शिक्षण गतिविधियों को सुगम बनाने की कवायद की जा रही है. इसी क्रम में शुक्रवार को शिक्षा विभाग की ओर से एक लाइव सेशन किया गया, जिसमें शिक्षा सचिव नवीन जैन ने मिशन स्टार्ट और शाला संबलन एप 2.0 जैसे ई-एजुकेशन इनिशिएटिव पर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के संस्था प्रधानों, शिक्षकों और फील्ड अधिकारियों से सीधा संवाद किया.

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शिक्षा शासन सचिव नवीन जैन ने बताया कि मिशन स्टार्ट के तहत राज्य की सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में संचालित आईसीटी लैब, इंटरनेट, स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर जैसे संसाधनों के जरिए विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए ई-कंटेंट का बेहतरीन उपयोग किया जा सकेगा. स्कूलों में विषय अध्यापकों की संख्या और ई-कंटेंट का बैलेंस करते हुए मिशन स्टार्ट में ई-लेक्चर के जरिए 700 से 800 घंटे की क्लासेस का संचालन किया जा सकता है.

उन्होंने निर्देश दिए कि स्कूलों में हर दिन संचालित की जाने वाली ई-क्लासेज में किस दिन, किस पीरियड में और कौन से विषय पर ई-कंटेंट के जरिए शिक्षण होगा, इसकी समय सारणी का निर्धारण किया जाए. स्मार्ट क्लासेज के संचालन और समय सारणी तैयार करने के लिए 'स्कूल लेसन गाइडेंस मॉड्यूल' तैयार किया गया है. आगामी सप्ताह से इस मॉड्यूल की तर्ज पर स्मार्ट क्लासेज के संचालन की सतत मॉनिटरिंग होगी.

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उन्होंने बताया कि जिन स्कूलों में इंटरनेट सुविधा नहीं है, वहां पर 'मिशन ज्ञान' के सहयोग से कम्प्यूटर हार्डवेयर में ई-कंटेंट अपलोड करते हुए सुलभ कराया गया है, ताकि ऑफलाइन मोड पर भी छात्र स्मार्ट क्लासेज में अध्ययन कर सके. उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश के नए क्रमोन्नत सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में भी स्मार्ट क्लासेज के संचालन के लिए जल्द आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे.

इस दौरान शाला संबलन एप 2.0 के फीचर्स के बारे में भी जानकारी दी गई. शिक्षा निदेशक कानाराम ने स्कूल आफ्टर स्कूल कार्यक्रम के बारे में बताया कि इसके तहत स्कूल समय के बाद शाम को ऑनलाइन क्लासेज के जरिए शिक्षण की पहल की गई है. इसमें अगले सप्ताह की क्लासेस का शेड्यूल वॉट्सऐप ग्रुप में साझा किया जाता है.

साथ ही हर दिन की क्लासेज का क्यूआर कोड विभाग के फेसबुक पेज पर भी उपलब्ध कराया जाता है. बता दें कि इस लाइव सेशन में करीब 75 हजार 'व्यूज' रिकॉर्ड हुए. शनिवार को दो सत्रों में सुबह 11 बजे से 12:30 बजे और 12:30 बजे से 2 बजे के बीच राज्य के सभी ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों के संस्था प्रधानों की वीसी में भी इस पर चर्चा की होगी.

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