जयपुर. साल 2020 कोरोना काल के नाम रहा. इस महामारी के दौर में भी इस साल राजस्थान की सियासत में काफी उठापटक हुई. प्रदेश सरकार पर सियासी संकट भी आया तो विपक्ष के रूप में भाजपा की तीखी धार भी देखने को मिली. प्रदेश भाजपा के लिहाज से साल 2020 में कई उतार-चढ़ाव आए. तो वही कुछ ऐसी घटनाएं रही जो इस साल सुर्खियों में भी रही.
नए अध्यक्ष पूनिया की टीम दिखी आक्रमक, विपक्ष के रूप में हर मुद्दे को भुनाया
साल 2020 प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के लिए चुनौतीपूर्ण रहा. प्रदेश अध्यक्ष का कामकाज संभालने के बाद उन्हें अपनी परफारमेंस में सभी दिखानी थी क्योंकि राजस्थान में बीजेपी विपक्ष में है. पूनिया ने इसमें सफलता भी हासिल की और राजस्थान से जुड़े हर मुद्दे पर सरकार पर ना केवल जुबानी हमला बोला बल्कि सड़कों पर भी भाजपा कार्यकर्ता और टीम सतीश पूनिया नजर आई. साल 2020 में ऐसे कई बड़े मुद्दे आए जिसमें विपक्ष के रूप में टीम सतीश पूनिया और भाजपा ने लगातार प्रदेश की कांग्रेस और गहलोत सरकार को सदन और सड़कों पर घेरा. फिर चाहे कोटा के जेके लोन अस्पताल में हुई नवजात शिशुओं की मौत का मामला हो या फिर प्रदेश में बढ़ती महिला उत्पीड़न बलात्कार और अन्य अपराधिक घटनाओं से जुड़े मामले हों.
पूनिया की नई टीम की घोषणा भी साल 2020 में ही हुई
बतौर प्रदेश अध्यक्ष भाजपा की कमान संभालने के बाद साल 2020 में ही सतीश पूनिया ने अपनी नई टीम की घोषणा की थी. जिसमें वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं के साथ ही युवा ऊर्जावान नेताओं को भी आगे बढ़ाने का काम किया अपनी नई टीम और कार्यकारिणी में पुनिया ने 27 चेहरों को मौका दिया. जिसमें 8 प्रदेश उपाध्यक्ष 4 महामंत्री 9 प्रदेश मंत्री 1 कोषाध्यक्ष 1 सह कोषाध्यक्ष 1 कार्यालय मंत्री और 1 मुख्य प्रवक्ता शामिल हैं. वहीं इसी साल पूनिया ने कई जिलों में भाजपा जिला अध्यक्षों को भी बदला और नए चेहरों को मौका दिया. वहीं अक्टूबर महीने में पूनिया ने युवा,महिला, ओबीसी, और अल्पसंख्यक मोर्चा सहित सभी अग्रिम मोर्चा के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा भी कर दी. मतलब इस साल किस्तों में ही सही, लेकिन टीम सतीश पूनिया पूरी तरह बनकर तैयार हो गई.
कोरोना काल में सेवा का बनाया ये रिकॉर्ड
वैश्विक महामारी कोरोना काल के दौरान बीजेपी राजस्थान में केवल विपक्ष के रूप में ही नजर नहीं आई बल्कि सामाजिक स्तर पर आमजन के साथ दुख दर्द में खड़ी हुई पार्टी के रूप में भी नजर आई. लॉकडाउन के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने एकजुटता के साथ जो सेवा कार्य किए उसकी प्रशंसा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की. प्रदेश भाजपा का यह दावा भी रहा कि कोरोना काल के दौरान प्रदेश भाजपा ने 1 करोड़ 90 लाख 25 हजार,350 भोजन के पैकेट निश्चित किए, वहीं 57 लाख 33 हजार 150 सूखा राशन पैकेट भी वितरित किया गया. इसके अलावा 91 लाख 75 हजार 450 फेस मास्क वितरित किए. तो वहीं 11336 यूनिट रक्त भी रक्तदान के जरिए एकत्रित किया. राजस्थान से 49 करोड़ 10 लाख 25 हजार 150 रुपए प्रधानमंत्री केयर फंड में भी जुटाए गए.
सियासी संकट गहलोत सरकार पर, आरोप भाजपा पर लगे
साल 2020 के जुलाई और अगस्त महीने में प्रदेश सरकार पर सत्ता बचाने का संकट भी आया. इसके सूत्रधार पूर्व उप मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ रहे सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक थे. नाराजगी कांग्रेस के भीतर थी लेकिन सियासी हलकों में आरोप भाजपा पर लगा कि भाजपा प्रदेश की गहलोत सरकार को गिराना चाहती है. आलम यह रहा की 1 महीने से अधिक समय तक होटलों में विधायकों की बाड़ाबंदी भी करना पडी और लंबे समय तक सियासी ड्रामा भी चला. इस दौरान भाजपा के सहयोगी दल आरएलपी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर गहलोत सरकार को बचाने का आरोप भी लगाया. तो वहीं खुद मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेताओं ने भाजपा नेताओं पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप भी लगाया. इससे जुड़े कुछ ऑडियो भी वायरल किए गए. दो महीने के बाद पायलट अपने साथी विधायकों के साथ कांग्रेस खेमे में लौटे तो सियासी संकट समाप्त हो गया.
गहलोत के विश्वास मत के दौरान विधानसभा से नदारद रहे चार भाजपा विधायक
साल 2020 सियासी उठापटक वाला रहा. इस दौरान प्रदेश के गहलोत सरकार को अपना विश्वास मत जग जाहिर करने के लिए विधानसभा सत्र को भी बुलाना पड़ा. लेकिन खास बात यह रही कि जब सदन में गहलोत सरकार अपना विश्वास मत रख रही थी तब भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव रखने की रणनीति अंतिम समय में बदल दी. वहीं सदन से इस दौरान भाजपा के चार विधायक बिना बोले गायब भी हो गए. हालांकि इस पूरे मामले कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने जांच भी की और रिपोर्ट पार्टी आलाकमान तक पहुंचाई लेकिन इन चारों ही विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस पूरे घटनाक्रम में प्रदेश भाजपा की काफी फजीहत भी हुई.
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खाली हुई 3 राज्यसभा की सीटों में से एक पर ही भाजपा का हो पाया कब्जा
साल 2020 के दौरान ही राज्यसभा की 3 सीटें खाली हुई जिस पर चुनाव हुआ और विधायकों की संख्या बल के आधार पर इन में से 2 सीट कांग्रेस के पाले में गई जबकि भाजपा को 1 सीट पर राजेंद्र गहलोत को जिताकर ही संतोष करना पड़ा. हालांकि इन चुनावों में संख्या बल कम होने के बावजूद बीजेपी ने वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत को भी चुनाव मैदान में उतारा था. जिसके चलते कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर इन चुनावों में भी विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े कई आरोप लगाए.
राजस्थान के इन चार नेताओं को मिली जेपी नड्डा की टीम में जगह
साल 2020 के सितंबर माह में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भी घोषणा हुई. मतलब राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी नई टीम की घोषणा की. जिसमें राजस्थान से 4 चेहरों को जगह मिली इनमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. वहीं राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव को राष्ट्रीय महामंत्री का जिम्मा सौंपा गया. इसी तरह पूर्व विधायक अलका सिंह गुर्जर को राष्ट्रीय मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. जबकि जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. वहीं वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर को केंद्रीय टीम में इस बार जगह नहीं मिल पाई.
भाजपा में हावी रही पोस्टर पॉलीटिक्स
साल 2020 में प्रदेश भाजपा में यूं तो सब कुछ सामान्य रहा लेकिन पर्दे के पीछे गुटबाजी भी हावी रही और यही गुटबाजी पोस्टर और बैनर्स में नजर भी आई. कोरोना काल के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की हुई वर्चुअल बैठक के दौरान पूर्व मंत्री यूनुस खान द्वारा सोशल मीडिया में जारी किए गए पोस्टर से मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की फोटो नदारद रही. तो वहीं पार्टी के बड़े कार्यक्रमों में प्रदेश नेतृत्व की ओर से जारी पोस्टर से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के फोटो नदारद होना भी चर्चा का विषय बना रहा.
पंचायत राज चुनाव में सफलता, तो निकाय चुनाव में मिली निराशा
साल 2020 में प्रदेश में जयपुर जोधपुर और कोटा में नवगठित 6 नगर निगमों के चुनाव भी हुए. तो साथ ही पंचायत राज चुनाव और 50 नगर निकाय चुनाव भी हुए. इनके परिणामों की यदि बात की जाए तो पंचायत राज चुनाव में बीजेपी को अपार सफलता मिली जिससे पार्टी उत्साहित नजर आई. इसके बाद हुए 50 नगर निकाय चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं आए. 6 नवगठित नगर निगम चुनाव में भाजपा को केवल दो निगम में ही सफलता मिली तो वहीं 50 नगर निकाय के चुनाव में भी कांग्रेस ने 36 जगह अपने अध्यक्ष और सभापति बनाए. तो वहीं भाजपा को 12 स्थानों पर ही संतुष्टि करना पडी. हालांकि पंचायत राज चुनाव में इस बार मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की बजाए भाजपा को चुना और 21 जिलों में से 14 जगह भाजपा के जिला प्रमुख बने वहीं अधिकतर पंचायत समितियों में भी भाजपा का ही कब्जा रहा.
हनुमान बेनीवाल ने तोड़े गठबंधन के उसूल, बयानबाजी रही चर्चित
पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा के गठबंधन और सहयोगी के रूप में सामने आए आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल की इस वर्ष साल 2020 में बयानबाजी भी चर्चित रही. भाजपा के लिहाज से यह बयानबाजी इसलिए भी चर्चित रही क्योंकि बेनीवाल के निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे रही. वहीं केंद्र में भाजपा से गठबंधन होने के बावजूद हनुमान बेनीवाल ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ जमकर जुबानी हमला बोला और दिल्ली कूच का ऐलान तक कर दिया. आलम यह रहा कि लोकसभा की 3 समितियों से भी बेनीवाल ने इस्तीफा दे डाला. हालांकि बेनीवाल ने अपने गठबंधन का धर्म भुलाया तो जवाब में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने भी बेनीवाल पर जुबानी हमला बोल दिया. वहीं वसुंधरा राजे के खिलाफ लगातार आ रहे हनुमान बेनीवाल के बयानों पर प्रदेश भाजपा से जुड़े शीर्ष नेताओं पदाधिकारियों की चुप्पी भी इस साल चर्चित रही.
भाजपा को किरण माहेश्वरी और भंवर लाल शर्मा के निधन से हुआ यह आघात
साल 2020 प्रदेश भाजपा को कुछ घाव भी देकर गया. इस साल मई के अंत में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे भंवर लाल शर्मा का निधन हो गया. हालांकि भंवर लाल शर्मा 95 वर्ष के थे. संघ पृष्ठभूमि से आने वाले शर्मा के निधन से प्रदेश भाजपा को अपूरणीय क्षति हुई. दिसंबर माह में राजसमंद से भाजपा विधायक और वरिष्ठ नेता किरण माहेश्वरी का भी निधन हो गया. कोरोना महामारी की चपेट में आई किरण माहेश्वरी का उपचार के दौरान मेदांता अस्पताल में निधन हुआ. जिससे भी प्रदेश भाजपा को एक बड़ा झटका लगा.
वसुंधरा राजे समर्थकों को इस वर्ष मिली निराशा
साल 2020 में भले ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को केंद्रीय टीम में उपाध्यक्ष का पद मिला हो लेकिन प्रदेश भाजपा संगठन और राजस्थान की सियासी हलचल से वो लगभग दूर ही रहीं. या फिर कहें प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने इस वर्ष वसुंधरा राजे को तमाम कार्यक्रमों में आगे रहने का मौका कम ही दिया. पार्टी से जुड़ी कुछ ही बैठकों में वे शामिल हुई जबकि अधिकतर बड़े कार्यक्रमों और बैठकों से वसुंधरा राजे की दूरी चर्चा का विषय भी बनी रही और चर्चा यह भी रही कि प्रदेश भाजपा में सब कुछ सामान्य नहीं है.
अरुण सिंह को मिली राजस्थान भाजपा प्रभारी की जिम्मेदारी
साल 2020 के अंत में भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व ने कई प्रदेशों के संगठनात्मक प्रभारी भी बदले और राजस्थान की जिम्मेदारी अविनाश राय खन्ना से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह को दी गई. जिम्मेदारी मिलने के बाद दिसंबर माह में अरुण सिंह ने दो दिवसीय प्रवास पर जयपुर भी आए तब उनका भव्य स्वागत हुआ अरुण सिंह ने इस दौरान अवधेश पदाधिकारियों के साथ ही प्रमुख नेताओं की बैठक दिल्ली वही किसान चौपाल को भी संबोधित किया. इस बदलाव में राजस्थान से आने वाली भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री अलका सिंह गुर्जर को दिल्ली प्रदेश में भाजपा का सह प्रभारी बनाया गया.
घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी ने सबको चौंकाया
साल 2020 में यदि प्रदेश भाजपा का सबसे बड़ा घटनाक्रम और उलटफेर यदि किसी घटना को बताया जाएगा तो वो है वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाडी की बीजेपी में घर वापसी. इस साल के अंत में मतलब 12 दिसंबर को घनश्याम तिवाडी की भाजपा परिवार में घर वापसी हुई और इसके सूत्रधार रहे पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया. तिवाडी की घर वापसी इसलिए भी चौंकाने वाली थी क्योंकि घनश्याम तिवाडी ने जब भाजपा को छोड़ा तब खुद अपनी राजनीतिक पार्टी भी बनाई और उसके बाद कांग्रेस से भी हाथ मिलाया और राहुल गांधी के साथ मंच साझा करते हुए भी नजर भी आए. यही नहीं, घनश्याम तिवाडी ने अमित शाह से लेकर नरेंद्र मोदी तक के खिलाफ जमकर जहर उगला था, लेकिन संघनिष्ठ होने के कारण और कांग्रेस में जाने के बावजूद कांग्रेस के कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखने के चलते उनकी वापस बीजेपी में वापसी हो पाई. यहां बता दें कि घनश्याम तिवाड़ी वसुंधरा विरोधी खेमे के नेता माने जाते हैं.
बहरहाल, साल 2020 कई महीनों में प्रदेश भाजपा के लिए खास रहा. इस दौरान भाजपा विपक्ष के रूप में मजबूत भी नजर आए तो पर्दे के पीछे खेमों में बंटी हुई भी यदा-कदा देखी गई. मतलब यह साल खट्टे मीठे अनुभव भाजपा को देकर जाने वाला है. उम्मीद की जा रही है साल 2020 में प्रदेश भाजपा में जो कुछ कमी रही, वो साल 2021 में दूर की जाने की कोशिश होगी. क्योंकि आने वाला नया साल हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास और नया लेकर आने वाला होता है.