जयपुर. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार द्वारा भाषा विभाग के 350 सार्वजनिक पुस्तकालयों के नाम को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर किए जाने का मामला उठाया है. उन्होंने साफ कर दिया हैं कि शिक्षा के भगवाकरण को उनकी सरकार कभी इजाजत नहीं देगी.
उन्होंने यह भी सवाल उठा दिया हैं कि क्या दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से बड़े थे, जो पाठ्य पुस्तकों में उनके अध्याय को जोड़ा गया और महात्मा गांधी के आजादी के आंदोलनों के चैप्टर को कमजोर किया गया.दरअसल जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो वह शिक्षा में किए गए सभी बदलावों को भगवाकरण बता कर ही सरकार के खिलाफ हमला बोलती रही. अब जब वह सरकार में आ गई हैं तो उन सभी पुराने फैसलों को कांग्रेस ने पलटना शुरू कर दिया हैं.
ताजा मामला भाषा विभाग के पुस्तकालयों के नाम बदलने को लेकर हैं जिनका नाम पहले राजकीय पुस्तकालय था जिन्हें पूर्ववर्ती सरकार ने बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रख दिया. अब शिक्षा मंत्री ने साफ कर दिया हैं कि इन पुस्तकालयों का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर नहीं रहेगा. इसी तरह से किताबों में सावरकर को वीर बताना और दीनदयाल उपाध्याय का महिमामंडन को भी बदलने का शिक्षा मंत्री ने ऐलान कर दिया हैं.
इससे पहले 21 जून को होने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर गहलोत सरकार ने बच्चों को स्कूल आने के लिये बाध्य नहीं किया है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि हैं कि जो भी बच्चा जहां हो वहीं पास के स्कूल में 1 घंटे के लिए योग करें.
शिक्षा मंत्री का आरोप हैं कि आरएसएस की विचारधारा छात्रों में थोपने के लिए भाजपा ने ऐसा काम किया था, जो कांग्रेस को मंजूर नहीं हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी देश के राष्ट्रपिता है. कांग्रेस गांधी को मानती हैं और गांधी को ही ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने का प्रयास करेगी. हालांकि उन्होंने यह कहा कि जो चैप्टर अभी सावरकर के किताबों में हैं उन्हें हटाया नहीं जा रहा हैं लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर भाजपा को दीनदयाल उपाध्याय पढ़ाना है तो आरएसएस की शाखाओं में पढ़ाए.