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राजस्थान में महाशिवरात्री की धूम...मंदिरों में गूंजे हर-हर महादेव के नारे - karauli

देशभर में आज महाशिवरात्री धूमधाम से मनाई जा रही है. सुबह से ही मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. प्रदेश भी शिवरात्री के रगं में रंग चुका है. हर शिव मंदिर हर हर महादेव के नारों से गुंजायमान हो रहा है.

राजस्थान में महाशिवरात्री की धूम
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Published : Mar 4, 2019, 6:03 PM IST

जयपुर स्थित छोटी काशी में तड़के चार बजे से ही हर हर महादेव, बम बम भोले के जयकारे लग रहे है. मौका है महाशिवरात्रि का. आस्था और श्रद्धा की भक्ति में डूबी छोटी काशी के शिवालयों में भारी भीड़ देखी जा रही है. राजधानी जयपुर के क्वीनस रोड स्थित झारखण्ड महादेव मंदिर में भी भक्तों की लंबी लंबी कतारे देखी जा रही है. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दर्शी को महाशिवरात्रि मनाने की शास्त्रीय परंपरा है. इस बार महाशिवरात्रि देवाधिदेव महादेव के दिन सोमवार को पड़ी है तो रात में ही शिवयोग का दुर्लभ योग भी बन रहा है.

राजस्थान में महाशिवरात्री की धूम


महाशिवरात्रि का पर्व करौली में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. आपको बतादे की शहर के प्रसिद्ध गोमती दास बाबा के मंदिर पर गोमतेश्वर महादेव की महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और विभिन्न प्रकार की झांकियां सजाई जाती है. इस मन्दिर का निर्माण बाबा गोमती दास जी ने सन 1991 में कराया था. तभी से यहां शिवरात्री हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है.

राजस्थान में महाशिवरात्री की धूम

जयपुर स्थित छोटी काशी में तड़के चार बजे से ही हर हर महादेव, बम बम भोले के जयकारे लग रहे है. मौका है महाशिवरात्रि का. आस्था और श्रद्धा की भक्ति में डूबी छोटी काशी के शिवालयों में भारी भीड़ देखी जा रही है. राजधानी जयपुर के क्वीनस रोड स्थित झारखण्ड महादेव मंदिर में भी भक्तों की लंबी लंबी कतारे देखी जा रही है. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दर्शी को महाशिवरात्रि मनाने की शास्त्रीय परंपरा है. इस बार महाशिवरात्रि देवाधिदेव महादेव के दिन सोमवार को पड़ी है तो रात में ही शिवयोग का दुर्लभ योग भी बन रहा है.

राजस्थान में महाशिवरात्री की धूम


महाशिवरात्रि का पर्व करौली में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. आपको बतादे की शहर के प्रसिद्ध गोमती दास बाबा के मंदिर पर गोमतेश्वर महादेव की महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और विभिन्न प्रकार की झांकियां सजाई जाती है. इस मन्दिर का निर्माण बाबा गोमती दास जी ने सन 1991 में कराया था. तभी से यहां शिवरात्री हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है.

राजस्थान में महाशिवरात्री की धूम
Intro:जयपुर। महाशिवरात्रि के पर्व पर छोटी काशी में भोलेनाथ के जयकारों की धूम मची रही। छोटी काशी के सभी प्रसिद्ध भोलेनाथ के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। भक्तों ने भोलेनाथ का दुग्ध अभिषेक कर जल चढ़ाया इसके अलावा बिल्व पत्र, आंकड़ा, भांग धतूरा आदि से भी भोलेनाथ की पूजा कर अपनी मन्नत मांगी। छोटी काशी की प्रसिद्ध शिव मंदिर ताड़केश्वर जी में भी तड़के से ही भोलेनाथ के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई। देखते ही देखते भक्तों की कतार बाहर तक पहुंच गई और लोग अपनी बारी का घंटों तक इंतजार करते नजर आए। घंटों इंतजार के बाद भोलेनाथ के दर्शन कर भक्तों का मन प्रसन्न हो गया। उन्होंने भोलेनाथ की दूध चढ़ाकर जरूर जलाभिषेक किया और बिल्व पत्र, आंकड़ा, धतूरा भांग आदि अर्पित कर अपनी मन्नत मांगी। भक्तों में पुरुषों के साथ महिला भी काफी संख्या में थी। वही बच्चे भी भोलेनाथ के दर्शनों में पीछे नहीं रहे।


Body:ताड़केश्वर जी मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने प्रति दिन आ रहे राजकुमार ने कहा कि यहां आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। राजकुमार कहा कि मैं यहां प्रतिदिन आता हूं और जो भी मन्नत मैंने मांगी है वह पूरी हुई है।
अपने पति और बचे के साथ भोलेबाबा के दर्शनों के लिए आई एक महिला ने कहा कि यहां भीड़ बहुत है हम लोग जल नहीं चढ़ाएंगे। महिला ने कहा कि आज शिवरात्रि की वजह से मंदिर में भीड़ ज्यादा है। दोनों पति-पत्नी ने कहा कि हम अपने परिवार की खुशी भोलेनाथ से मांगेंगे। मंदिर में आई प्रियंका ने कहा कि उनका परिवार अच्छे से रहे इसी मनोकामना को भोलेनाथ को मांगा है। मंदिर के महंत अमित पराशर ने कहा कि सुबह 4 बजे से ही मंदिर में भक्तों का ताता लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि चार पहर की पूजा का महाशिवरात्रि पर बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि पंचामृत और गंगाजल से भोलेनाथ का अभिषेक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिल्व पत्र, धतूरा आदि चढ़ाकर आरती की जाएगी। उन्होंने कहा कि सोमवार के दिन महाशिवरात्रि होने से महा सिद्धि योग बन रहा है और इस दिन पूजा करने से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हुए पंडित अमित पराशर ने कहा कि यह मंदिर जयपुर बसने से पहले का है। यहां कभी श्मशान हुआ करता था और उस समय आमेर से शासन का संचालन होता था। उन्होंने कहा कि जय सिंह को सपने आया उसके बाद यहाँ खुदाई कराई गई खुदाई में ताड़ के पेड़ से भोलेनाथ प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि यहां सब की मन्नत पूरी होती है और सभी संकट दूर होते हैं।


Conclusion:महामंडलेश्वर पुरुषोत्तम जी ने कहा कि सोमवार को महाशिवरात्रि होने से यह सर्व सिद्धि योग है और इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं सभी मनोकामना पूर्ण करते है। उन्होंने कहा कि यह मंदिर जयपुर बसने से पहले का है और यहां ताड़ के वृक्ष हुआ करते थे। ताड़ के पेड़ में से भोलेनाथ प्रकट हुए हैं। इसलिए इसका नाम ताडकेश्वर पड़ा। महाशिवरात्रि पर मंदिर के बाहर तक भक्तों की लाइन दर्शनों के लिए लगी थी लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। पुलिस व्यवस्था भी ताड़केश्वर मंदिर के बाहर और अंदर थी। इसके अलावा भक्तों की भीड़ होने से ट्रैफिक की व्यवस्था माकूल नजर नहीं आई मंदिर के सामने से ट्रैफिक धीरे-धीरे गुजर रहा था।
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