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Maha Shivratri 2023 : महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में विशेष व्यवस्था, जलाभिषेक से प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ

फाल्गुन महीने में महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता (Mahashivaratri celebrated) है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की शादी हुई थी.

Maha Shivratri 2023
महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में विशेष व्यवस्था
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Published : Feb 18, 2023, 8:41 AM IST

Updated : Feb 18, 2023, 7:23 PM IST

महाशिवरात्रि पर ज्योतिषाचार्य से जानिए पूजा विधि

जयपुर. सनातन धर्म में महाशिवरात्रि की बड़ी महत्ता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना करने और व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक, धतूरे, बीलपत्र, गाजर, बेर अर्पित कर प्रसन्न किया जा सकता है. वहीं, महाशिवरात्रि के मद्देनजर भगवान शिव के सभी मंदिरों में विशेष व्यवस्था की गई है. शहर के प्रमुख ताड़केश्वर, झारखंड महादेव, राजराजेश्वर, चमत्कारेश्वर मंदिर में बैरिकेडिंग, साफ-सफाई और विशेष लाइटिंग की व्यवस्था की गई है.

फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की शादी हुई थी. ये दिन शिव को मानने वालों के लिए भी खास रहता है. ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि इस बार का शिवरात्रि का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस बार शिवरात्रि विशेष इसलिए भी है, क्योंकि इस साल के राजा शनिदेव हैं और शनिवार के दिन ही इस बार शिवरात्रि का पर्व है. इस बार शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा विशेष फायदा जरूर देगी. भगवान शंकर की पूजा किसी भी विधि से की जा सकती है, वो हर तरह की पूजा को स्वीकार करते हैं.

Maha Shivratri 2023
शिवरात्रि के दिन चढ़ाएं पुष्प

पढ़ें: Maha Shivratri 2023 : क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि और क्या है महत्व ? यहां जानें

पितृदोष भी होते हैं दूर : शिवरात्रि के दिन पुष्प, कच्चा दूध, शहद यथा श्रद्धा अनुसार भगवान को अर्पित कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्य ने सबसे उत्तम पूजा घर से जल ले जाकर अर्पित करने को बताया है. इससे पितृदोष भी दूर होते हैं. इसके अलावा बाजार में जो भी फल-फूल उपलब्ध हो उन्हें भगवान के अर्पित किया जा सकता है. इस दिन भगवान की उपासना से अनिष्टकारी ग्रह को शांत करने का भी अवसर है. महाशिवरात्रि पर सफेद आंकड़े, कनेर, चमेली, हारशृंगार, जूही के फूल और धतूरा चढ़ाना शुभ माना गया है. इसके अलावा श्रद्धा अनुसार शहद और गन्ने का रस चढ़ाने से भी भगवान महादेव प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी करेंगे.

उधर, छोटी काशी में भगवान शिव के सभी मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व को ध्यान में रखते हुए विशेष साफ-सफाई और व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए गए हैं. महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने अधिकारियों को मंदिरों के आसपास समुचित साफ-सफाई और रंगोली की व्यवस्था, अस्थाई लाइट व्यवस्था, शहर में समुचित प्रकाश व्यवस्था और आवश्यकता अनुसार नई लाइट लगाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही मंदिरों के आवागमन मार्गों पर आवश्यक मरम्मत, स्वच्छता के प्रति जागरूकता और स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 क्यूआर कोड का बैनर लगाकर जागरुक करने के निर्देश दिए हैं.

Maha Shivratri 2023
भगवान शिव को धतूरे, बीलपत्र, किया जाता है अर्पित

धौलपुर में श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना : धौलपुर जिले के शिवालयों में महाशिवरात्रि के पर्व पर सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ा है. शहर का चोपड़ा मंदिर, अचलेश्वर महादेव मंदिर, बसेड़ी का भूतेश्वर महादेव मंदिर सैंपऊ कस्बे के ऐतिहासिक शिव मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. सुबह 4 बजे से हरिद्वार, सोरों और कर्णवास से कावड़ियों का आना शुरू हो गया. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को अभिषेक कर बेलपत्र, शहद, घृत, दुग्ध और सहस्त्रधारा अर्पित की गई. यहां करीब 10 दिन तक लक्खी मेले का आयोजन किया जाएगा. मेले की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने के लिए भारी तादात में पुलिस बल तैनात किया है.

पढ़ें: कोटा में 100 साल पुराना शिव का यह मंदिर सालभर में केवल एक बार ही खुलता है, यह है कारण

अलवर महाशिवरात्रि की धूम: जिले के त्रिपोलिया महादेव मंदिर में पूजा के लिए रात से श्रद्धालुओं की लाइन लग गई. यह मंदिर अन्य मंदिरों से खास है. शहद, दूध, दही, तिल और पंचामृत से लोगों ने भगवान शिव का स्नान किया ओर बेलपत्र चढ़ाएं, तो विधि-विधान से भगवान शिव माता पार्वती की पूजा की. त्रिपोलिया महादेव मंदिर को चमत्कारी मंदिर भी कहा जाता है. एक दिन में शिवलिंग 3 बार अपना रंग बदलता है. शिवालय में बम बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं. शिवालय के बाहर लंबी लाइन भक्तों की देखी गई. भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद ले रहे हैं.

Maha Shivratri 2023
शिव मंदिरों में विशेष व्यवस्था

आमेर में ज्योतिर्लिंगेश्वर के दर्शन को उमड़ा सैलाब : आमेर में कुकस स्थित सदाशिव ज्योतिर्लिंगेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा. महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई. यहां भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग एक ही मूर्ति में देखने को मिलते हैं. भक्तों की मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंग का जो पाठ करता है, उसके सातों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं.

झालावाड़ में निकली शिव की बारात : जिले के झालरापाटन शहर में महाशिवरात्रि के पर्व के अवसर पर राजसी ठाठ बाट के साथ भगवान शिव की बारात निकाली गई, जिसमें भूत प्रेतों के भेष में नन्हे बाराती शामिल हुए. गोमतेश्वर महादेव सेवा समिति के तत्वाधान में शिव की शाही सवारी दोपहर 4:00 बजे दादाबाड़ी से बैंड बाजों के साथ शुरू हुई. सवारी में युवा भूत प्रेत की टोली, शिव पार्वती बने कलाकार, पालकी में विराजमान महाकाल की प्रतिमा के साथ भक्त जयकारा लगाते चल रहे थे. सवारी शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गोमती सागर तालाब के तट पर स्थित गोमतेश्वर महादेव मंदिर पहुंची, जहां भगवान शिव की महाआरती की गई.

महाशिवरात्रि पर ज्योतिषाचार्य से जानिए पूजा विधि

जयपुर. सनातन धर्म में महाशिवरात्रि की बड़ी महत्ता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना करने और व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक, धतूरे, बीलपत्र, गाजर, बेर अर्पित कर प्रसन्न किया जा सकता है. वहीं, महाशिवरात्रि के मद्देनजर भगवान शिव के सभी मंदिरों में विशेष व्यवस्था की गई है. शहर के प्रमुख ताड़केश्वर, झारखंड महादेव, राजराजेश्वर, चमत्कारेश्वर मंदिर में बैरिकेडिंग, साफ-सफाई और विशेष लाइटिंग की व्यवस्था की गई है.

फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की शादी हुई थी. ये दिन शिव को मानने वालों के लिए भी खास रहता है. ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि इस बार का शिवरात्रि का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस बार शिवरात्रि विशेष इसलिए भी है, क्योंकि इस साल के राजा शनिदेव हैं और शनिवार के दिन ही इस बार शिवरात्रि का पर्व है. इस बार शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा विशेष फायदा जरूर देगी. भगवान शंकर की पूजा किसी भी विधि से की जा सकती है, वो हर तरह की पूजा को स्वीकार करते हैं.

Maha Shivratri 2023
शिवरात्रि के दिन चढ़ाएं पुष्प

पढ़ें: Maha Shivratri 2023 : क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि और क्या है महत्व ? यहां जानें

पितृदोष भी होते हैं दूर : शिवरात्रि के दिन पुष्प, कच्चा दूध, शहद यथा श्रद्धा अनुसार भगवान को अर्पित कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्य ने सबसे उत्तम पूजा घर से जल ले जाकर अर्पित करने को बताया है. इससे पितृदोष भी दूर होते हैं. इसके अलावा बाजार में जो भी फल-फूल उपलब्ध हो उन्हें भगवान के अर्पित किया जा सकता है. इस दिन भगवान की उपासना से अनिष्टकारी ग्रह को शांत करने का भी अवसर है. महाशिवरात्रि पर सफेद आंकड़े, कनेर, चमेली, हारशृंगार, जूही के फूल और धतूरा चढ़ाना शुभ माना गया है. इसके अलावा श्रद्धा अनुसार शहद और गन्ने का रस चढ़ाने से भी भगवान महादेव प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी करेंगे.

उधर, छोटी काशी में भगवान शिव के सभी मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व को ध्यान में रखते हुए विशेष साफ-सफाई और व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए गए हैं. महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने अधिकारियों को मंदिरों के आसपास समुचित साफ-सफाई और रंगोली की व्यवस्था, अस्थाई लाइट व्यवस्था, शहर में समुचित प्रकाश व्यवस्था और आवश्यकता अनुसार नई लाइट लगाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही मंदिरों के आवागमन मार्गों पर आवश्यक मरम्मत, स्वच्छता के प्रति जागरूकता और स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 क्यूआर कोड का बैनर लगाकर जागरुक करने के निर्देश दिए हैं.

Maha Shivratri 2023
भगवान शिव को धतूरे, बीलपत्र, किया जाता है अर्पित

धौलपुर में श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना : धौलपुर जिले के शिवालयों में महाशिवरात्रि के पर्व पर सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ा है. शहर का चोपड़ा मंदिर, अचलेश्वर महादेव मंदिर, बसेड़ी का भूतेश्वर महादेव मंदिर सैंपऊ कस्बे के ऐतिहासिक शिव मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. सुबह 4 बजे से हरिद्वार, सोरों और कर्णवास से कावड़ियों का आना शुरू हो गया. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को अभिषेक कर बेलपत्र, शहद, घृत, दुग्ध और सहस्त्रधारा अर्पित की गई. यहां करीब 10 दिन तक लक्खी मेले का आयोजन किया जाएगा. मेले की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने के लिए भारी तादात में पुलिस बल तैनात किया है.

पढ़ें: कोटा में 100 साल पुराना शिव का यह मंदिर सालभर में केवल एक बार ही खुलता है, यह है कारण

अलवर महाशिवरात्रि की धूम: जिले के त्रिपोलिया महादेव मंदिर में पूजा के लिए रात से श्रद्धालुओं की लाइन लग गई. यह मंदिर अन्य मंदिरों से खास है. शहद, दूध, दही, तिल और पंचामृत से लोगों ने भगवान शिव का स्नान किया ओर बेलपत्र चढ़ाएं, तो विधि-विधान से भगवान शिव माता पार्वती की पूजा की. त्रिपोलिया महादेव मंदिर को चमत्कारी मंदिर भी कहा जाता है. एक दिन में शिवलिंग 3 बार अपना रंग बदलता है. शिवालय में बम बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं. शिवालय के बाहर लंबी लाइन भक्तों की देखी गई. भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद ले रहे हैं.

Maha Shivratri 2023
शिव मंदिरों में विशेष व्यवस्था

आमेर में ज्योतिर्लिंगेश्वर के दर्शन को उमड़ा सैलाब : आमेर में कुकस स्थित सदाशिव ज्योतिर्लिंगेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा. महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई. यहां भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग एक ही मूर्ति में देखने को मिलते हैं. भक्तों की मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंग का जो पाठ करता है, उसके सातों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं.

झालावाड़ में निकली शिव की बारात : जिले के झालरापाटन शहर में महाशिवरात्रि के पर्व के अवसर पर राजसी ठाठ बाट के साथ भगवान शिव की बारात निकाली गई, जिसमें भूत प्रेतों के भेष में नन्हे बाराती शामिल हुए. गोमतेश्वर महादेव सेवा समिति के तत्वाधान में शिव की शाही सवारी दोपहर 4:00 बजे दादाबाड़ी से बैंड बाजों के साथ शुरू हुई. सवारी में युवा भूत प्रेत की टोली, शिव पार्वती बने कलाकार, पालकी में विराजमान महाकाल की प्रतिमा के साथ भक्त जयकारा लगाते चल रहे थे. सवारी शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गोमती सागर तालाब के तट पर स्थित गोमतेश्वर महादेव मंदिर पहुंची, जहां भगवान शिव की महाआरती की गई.

Last Updated : Feb 18, 2023, 7:23 PM IST
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