जयपुर. वसुंधरा राजे के घोर विरोधी माने जाने वाले बेनीवाल ने इस गठबंधन की घोषणा से 3 दिन पहले ही सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि यदि गठबंधन होता है तो समझ लीजिएगा वसुंधरा राजे की भाजपा में नहीं चली. हुआ भी बिल्कुल वही जो बेनीवाल ने कहा था.
मतलब पार्टी ने उपचुनाव में आरएलपी से गठबंधन भी किया और पार्टी मुख्यालय में उन्हें बुलाकर साथ में मंच साझा भी किया. गठबंधन की घोषणा के बाद जब बेनीवाल से वसुंधरा राजे को लेकर दिए उनके बयान के बारे में पूछा गया, तो होने बस इतना ही कहकर बात टाल दिया कि वह तो 10 साल से लगातार कुछ ना कुछ बोल रहे हैं. अब तो मीडिया नई बात करे.
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23 सितंबर को आए बेनीवाल के वसुंधरा विरोधी बयान की जानकारी भाजपा के तमाम आला नेताओं को भी थी. राजनीति में ना किसी का कोई स्थायी शत्रु होता है और ना मित्र. बस देखा जाता है सियासी फायदा. यही कारण है कि जब गठबंधन की घोषणा हुई तो वे अधिकतर नेता बेनीवाल के साथ मंच साझा करते नजर आए, जो कभी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खास हुआ करते थे.