जयपुर. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 2 सितंबर को विघ्न हरता प्रथम पूज्य पार्वती और शिव पुत्र श्री गणेश की आराधना का विशेष दिन गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाने वाला है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इनके जन्म का उत्सव पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से 10 दिनों तक मनाया जाता है.
बता दें कि गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में भगवान गणपति की स्थापना करते हैं और फिर 9 दिनों तक उसकी विधि विधान से पूजा करते हैं. जिसके बाद दसवें दिन उस मूर्ति का विसर्जन किया जाता है. इस साल गणेश चतुर्थी विसर्जन 12 सितंबर को होगा.
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गणेशोत्सव पर बन रहे ये शुभ संयोग
गणेश चतुर्थी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं. ग्रह नक्षत्रों की शुभ स्थिति में शुक्ल और रवि योग बनेगा. इतना ही नहीं सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है यानी सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र एक साथ हैं. ग्रहों और सितारों की शुभ स्थिति के कारण इस त्यौहार का महत्व और शुभता अधिक बढ़ जाएगी. ग्रह नक्षत्र के शुभ संयोग में गणेश जी की स्थापना करने से सुख समृद्धि और शांति मिलेगी.
बता दें कि 2 सितंबर सोमवार की शुरुआत हस्त नक्षत्र में होगी और गणेश जी की स्थापना चित्रा नक्षत्र में की जाएगी. मंगल के इस नक्षत्र में चंद्रमा होने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. चित्रा नक्षत्र और चतुर्थी तिथि का संयोग 2 सितंबर को सुबह लगभग 8 बजे शुरू होकर पूरे दिन रहने वाला है.
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गणेश जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था. मध्याह्न यानी दिन का दूसरा प्रहर जो कि सूर्योदय के लगभग 3 घंटे बाद शुरू होता है और लगभग दोपहर 12 या 12:30 बजे तक रहता है.
वहीं ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर मध्यकाल में अभिजीत मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा. जो इस दिन दोपहर 11:11 बजे से 1:42 बजे तक रहेगा. जिसमें दोपहर 11:51 बजे से 1:42 बजे तक वृश्चिक लग्न और भी श्रेष्ठ रहेगा. इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ चौघड़िया मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं. चौघड़िए अमृत का प्रातः 6:10 बजे से 7:44 बजे तक, शुभ दिन 9:18 बजे से 10:52 बजे तक तो वहीं अभिजीत मुहूर्त 12:02 बजे से 12:52 बजे तक और चर, लाभ और अमृत के दोपहर बाद 2:01बजे से शाम 6:43 बजे तक रहेंगे.
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पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन घर पर भगवान गणेश की प्रतिमा या मूर्ति लेकर आएं. गणपति की मूर्ति के नीचे लाल कपड़ा बिछाएं और सही दिशा में इनकी स्थापना करें. उसके बाद भगवान गणेश को दीपक दिखाएं और भोग में मोदक के लड्डू चढ़ाए. शाम के समय भगवान गणेश की पूजा करने के बाद उनकी आरती उतारें. गणपति बप्पा की 9 दिनों तक ऐसे ही पूजा करें और फिर 10वें दिन विधि विधान से पूजा कर उनकी प्रतिमा का विसर्जन कर दें.