जयपुर. कांग्रेस के ग्रेट पॉलिटिकल ड्रामा का पटाक्षेप नहीं हुआ है. कुछ दिनों के अल्पविराम के बाद फिर गहलोत बनाम पायलट खेमा आमने सामने है (Congress Bharat Jodo yatra). इस बार तकरार की वजह भारत जोड़ो यात्रा है. अजय माकन के इस्तीफे ने सार्वजनिक पटल पर खुल कर बोलने की परम्परा को हवा दे दी है. पायलट कैम्प आक्रामक है. विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग उठाने वाले विधायक और राजस्थान एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा का मानना है कि धर्मेन्द्र राठौड़ सरीखे नेता को जिम्मेदारी देना सही नहीं है.
जले पर छिड़का नमक: बैरवा ने तुरंत प्रभाव से विधायक दल की बैठक बुलाकर नेतृत्व परिवर्तन की मांग के साथ ही धर्मेन्द्र राठौड़ की भारत जोड़ो यात्रा में भागीदारी पर सवाल उठाया है. कहा है जिस नेता( धर्मेंद्र राठौड़) पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई होनी चाहिए उन्हें उल्टा राजस्थान में इनाम दिया जा रहा है. वहीं भारत जोड़ो यात्रा में जिन विधायकों की भागीदारी होनी चाहिए उन विधायकों से कुछ पूछा भी नहीं जा रहा. धर्मेंद्र राठौड़ को लेकर खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि यह तो ऐसा हो गया कि"एक तो जला हुआ और ऊपर से नमक छिड़कना".
रूट परिवर्तन पर हो बात: खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा को लेकर कभी विरोध की बात आ रही है, तो कभी इस यात्रा के रूट को बदलने पर विचार किया जा रहा है. बड़ी तकलीफ की बात है कि आज राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को 4 साल पूरे होने जा रहे हैं और हमारे प्रमुख नेता की यात्रा को लेकर ऐसी बातें हो रही है. यंहा तक कि विधायकों से न तो इस यात्रा को लेकर पूछा गया न ही उनको बताया गया कि उनको यात्रा में किस तरह से भागीदार बनना है. यह बातें दुखदायी और पीड़ा जनक हो रही हैं.
एक झटके में हो नेतृत्व परिवर्तन: खिलाड़ी बैरवा ने कहा कि आलाकमान को राहुल गांधी की यात्रा के पहले एक झटके के साथ बिना चिंता किए विधायक दल की बैठक और नेतृत्व परिवर्तन को लेकर तुरंत फैसले करने चाहिए. राहुल गांधी की यात्रा गेमचेंजर है. ये एक ऐतिहासिक रैली होगी जिसका असर पूरे राजस्थान पर होगा क्योंकि आज भी पब्लिक कांग्रेस को चाहती है. लेकिन हम ही नहीं चाहते पता नहीं क्यों? ऐसे में यात्रा की तैयारी पूरी तरीके से करनी चाहिए.
आलाकमान से अपील: आलाकमान से भी हमारा निवेदन होगा कि चाहें नोटिस पर पेंडेंसी की कार्रवाई हो या बदलाव की बात राहुल गांधी की यात्रा से पहले यह निर्णय लेने चाहिए. तभी इस यात्रा का रिजल्ट अच्छा निकलेगा. यात्रा के तय रूट में वन क्षेत्र की बातों पर भी उन्होंने आश्चर्य जताया. कहा कि मेरे हिसाब से तो ऐसा कोई मामला नहीं है और अगर इस तरीके की बात कर है तो आलाकमान ही रूट तय करे.
बैरवा ने कहा कि आज राजस्थान में आम कार्यकर्ता मायूस है, ब्यूरोक्रेसी को लेकर क्या कहें वो सब जानते हैं. ऐसे में मैं सोचता हूं कि 4 दिसंबर को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश करने से पहले विधायकों को बुलाकर डिसीजन हो तो राहुल गांधी की यात्रा भी जबरदस्त रहेगी.