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राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा-क्यों ना केसरी सिंह को मिली आरपीएससी सदस्य की नियुक्ति कर दी जाए रद्द?

आरपीएससी सदस्य के रूप में के​सरी सिंह की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्यों न केसरी सिंह की नियुक्ति को रद्द कर दिया जाए.

Kesari Singh appointed RPSC member
राजस्थान हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 8, 2023, 9:25 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव और आरपीएससी सचिव सहित लेफ्टिनेंट कर्नल केसरी सिंह से जवाब तलब किया है. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि केसरी सिंह को आरपीएससी सदस्य के तौर पर दी गई नियुक्ति को क्यों ना रद्द कर दिया जाए. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश सुभाष सिहाग की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और अधिवक्ता हिमांशु जैन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने गत 9 अक्टूबर को एक आदेश जारी कर लेफ्टिनेंट कर्नल केसरी सिंह को राजस्थान लोक सेवा आयोग में सदस्य के तौर पर नियुक्ति दी है. जबकि केसरी सिंह के चयन का सही आधार नहीं था. मंत्रीमंडल की ओर से इस संबंध में मुख्यमंत्री को दी गई राय भी ठीक नहीं थी. जिसके चलते मुख्यमंत्री को यह कहना पड़ा कि उनसे केसरी सिंह को नियुक्ति देने में गलती हुई है. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि ऐसे मामलों में उपयुक्त व्यक्ति का ही चयन किया जाना चाहिए. जातियों के आरक्षण को लेकर संवैधानिक प्रावधान हैं, लेकिन आरपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था में ऐसे व्यक्ति की सदस्य पद पर नियुक्ति की गई है जो स्वयं ओबीसी वर्ग के प्रति विवादित बयान दे चुका है.

पढ़ें: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बोले- केसरी सिंह को RPSC सदस्य बनाना मेरी गलती, नहीं हो रहा उनसे संपर्क

याचिका में कहा गया कि संवैधानिक पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को स्वतंत्र विचार वाला होना चाहिए, लेकिन केसरी सिंह के विवादास्पद बयानों को देखने के बाद साबित है कि उनका संवैधानिक प्रावधानों में ही विश्वास नहीं है. ऐसे में उनके 9 अक्टूबर, 2023 को जारी नियुक्ति आदेश को अवैध घोषित कर उनकी नियुक्ति को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव और आरपीएससी सचिव सहित लेफ्टिनेंट कर्नल केसरी सिंह से जवाब तलब किया है. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि केसरी सिंह को आरपीएससी सदस्य के तौर पर दी गई नियुक्ति को क्यों ना रद्द कर दिया जाए. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश सुभाष सिहाग की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और अधिवक्ता हिमांशु जैन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने गत 9 अक्टूबर को एक आदेश जारी कर लेफ्टिनेंट कर्नल केसरी सिंह को राजस्थान लोक सेवा आयोग में सदस्य के तौर पर नियुक्ति दी है. जबकि केसरी सिंह के चयन का सही आधार नहीं था. मंत्रीमंडल की ओर से इस संबंध में मुख्यमंत्री को दी गई राय भी ठीक नहीं थी. जिसके चलते मुख्यमंत्री को यह कहना पड़ा कि उनसे केसरी सिंह को नियुक्ति देने में गलती हुई है. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि ऐसे मामलों में उपयुक्त व्यक्ति का ही चयन किया जाना चाहिए. जातियों के आरक्षण को लेकर संवैधानिक प्रावधान हैं, लेकिन आरपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था में ऐसे व्यक्ति की सदस्य पद पर नियुक्ति की गई है जो स्वयं ओबीसी वर्ग के प्रति विवादित बयान दे चुका है.

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याचिका में कहा गया कि संवैधानिक पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को स्वतंत्र विचार वाला होना चाहिए, लेकिन केसरी सिंह के विवादास्पद बयानों को देखने के बाद साबित है कि उनका संवैधानिक प्रावधानों में ही विश्वास नहीं है. ऐसे में उनके 9 अक्टूबर, 2023 को जारी नियुक्ति आदेश को अवैध घोषित कर उनकी नियुक्ति को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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