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पिछले साल करवा चौथ के दिन ही पति के साथ हुआ था हादसा, व्रत रखकर मौत के मुंह से छीन लाई पत्नी

देशभर में करवा चौथ के व्रत का बहुत महत्व है. इस व्रत के दौरान सुहागिनें कथा-कहानी सुनती है कि साहूकार की बेटी ने जब यह व्रत किया तो भगवान गणेशजी ने उसके पति को पूरी तरह से ठीक कर दिया था. एक ऐसी ही कहानी वर्तमान की है, जिसमें एक पतिव्रता नारी अपने सुहाग को ठीक करने के लिए लगातार यह व्रत रख रही है और इसे आस्था की मजबूती कहिए या चमत्कार, अपने पति की सेवा और देखभाल के बलबूते पत्नी ने पति को मौत के मुंह से वापस निकाल लिया है.

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Published : Oct 17, 2019, 12:51 PM IST

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जयपुर. विवाहिताएं करवा चौथ का व्रत अपने पति का सही सलामती और दीर्घायु के लिए करती हैं, लेकिन जयुपर के रेनवाल कस्बे की एक विवाहिता ने अपना पतिव्रता धर्म निभाते हुए व्रत करके पति की सेवा और देखभाल की. परिणाम ये है कि उसके पति के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार भी आ रहा है.

पत्नी की सेवा और विश्वास के चलते ठीक हो रहा है बीमार पति

सतीश कुमावत रेनवाल के पियावाली ढ़ाणी के रहने वाले हैं. सतीश की उम्र 44 साल है. एक साल पहले करवा चौथ के ही दिन पेड़ से गिरने से सतीश की रीड़ की हडडी में फ्रेक्चर हो गया था. जिसके बाद से ही सतीश का पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था. परिजनों ने उसे तत्काल जयपुर के अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती कराया, लेकिन कई दिनों के बाद भी उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.

पढ़ें- करवा चौथ 2019: जयपुर के बाजारों में बढ़ी रौनक, पति खरीद रहे सरप्राइज गिफ्ट

इतना ही नहीं इसके बाद सतीश को जयपुर के कई और हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इलाज में लााखों रूपए खर्च किए, लेकिन मरीज की हालात ने कोई सुधार नहीं हुआ और उसके हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया. और तो और अब उसके शरीर में भी कोई हरकत नहीं होती थी. गहरी चोट की वजह से गरदन ने भी काम करना बंद कर दिया. 24 घंटे ऑक्सीजन के सहारे रहना पड़ता था.

करीब तीन महीने हॉस्पिटल में रहने के बाद डॉक्टरों ने भी अपने हाथ पीछे ले लिए, लेकिन सतीश की पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी. उसकी हिम्मत को बढ़ाया सतीश के भाई गोपाल, हरीश और राजेन्द्र ने.परिजन सतीश को रेनवाल घर पर ले आए. जहां पूरे कमरे को आईसीयू बना दिया गया. आक्सीजन सक्सन मशीन, निम्यूलाईज मशीन, मानीटर, आक्सीजन सिलेंडर रखे गए. प्रतिदिन चिकित्सक की घर पर डयूटी लगा दी गई. सतीश ठेकेदारी का काम करते थे, उनके दो बच्चें भी हैं.

पढ़ें- Karwa Chauth 2019: 8 बजकर 27 मिनट पर चांद का दीदार, रोहणी नक्षत्र में व्रत रखेंगी सुहागिन

24 घंटे पत्नी लगी रही सेवा में-

सतीश को घर लाने के बाद पत्नी शशिकला 24 घंटे पति की सेवा में लगी रहती थी. शुरूआत में फेंफडों में कफ जमा होने के कारण प्रत्येक 10-15 मिनट से मशीन से कफ निकालना पड़ता था. राईस पाईप से खाना दिया जाता था. दैनिक क्रियाएं करवानी पड़ती थी. शरीर पर इंफेक्सन नहीं हो, इसलिए कमरे को दिन में दो बार फिनायल से साफ करते थे. लगातार बैड पर लेटे रहने से पीठ पर बड़ा बेडसोल घाव हो गया था. जिस पर रोजाना ड्रेसिंग करनी पड़ती थी, लेकिन पत्नी और सतीश के भाईयों ने कभी हिम्मत नहीं हारी. दिन-रात मरीज की देखभाल में लगे रहे.

रंग लाई पत्नी की मेहनत, आने लगा सुधार-

लगातार देखभाल और ईलाज के बाद सतीश की हालत में काफी सुधार हुआ है. अब वो आराम से बातचीत करते हैं. ऑक्सीजन मशीन हट चुकी है. शरीर में हलचल होने लगी है. राईस पाईप भी निकाल दी गई है. हाथों में भी मूवमेंट होने लगा है. हांलाकि अभी सतीश खड़े होने लायक नहीं है, लेकिन लगातार सुधार से पत्नि शशिकला और भाईयों को पूरा भरोसा है कि एक दिन सतीश बिल्कुल ठीक हो जाएंगे.

पढ़ें- 'नूर-ए-चांदनी' के माध्यम से सोशल मिडिया से दूर रहने का संदेश

साहस और विश्वास के चलते छीन लाई पति को मौत को मुंह से

शशिकला का कहना है कि मुझे शुरू से ही भरोसा था कि उसके पति एक दिन बिल्कुल ठीक हो जाएंगे. उनके रखे गए करवा चौथ के व्रत उनके पति को कुछ नहीं होने देगें. इसके साथ ही शशि ने कहा कि अब उनमें आ रहे सुधार से उनका विश्वास यकीन में बदल रहा है. पति सतीश भी भाईयों और पत्नी की सेवा से अभिभूत है. उनका कहना है कि आज वो इनकी बदोलत ही ठीक हो रहा हूं.

नारी में तो वो शक्ति होती है जो एक बार कुछ ठान ले तो उसे पूरा करके ही दिखाती है. एक सावित्रि थी जो अपने सुहाग के लिए यमराज से भी लड़ गई थी. तो वहीं शशिकला भी आज के जमाने की सावित्री से कम नहीं हैं जो अपने पति को ठीक करने के लिए जी जान से लगी हुई हैं. साथ ही करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पति को ठीक करने का प्रयास कर रही है. जिसमें उन्हें धीरे-धीरे सफलता भी मिल रही है.

जयपुर. विवाहिताएं करवा चौथ का व्रत अपने पति का सही सलामती और दीर्घायु के लिए करती हैं, लेकिन जयुपर के रेनवाल कस्बे की एक विवाहिता ने अपना पतिव्रता धर्म निभाते हुए व्रत करके पति की सेवा और देखभाल की. परिणाम ये है कि उसके पति के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार भी आ रहा है.

पत्नी की सेवा और विश्वास के चलते ठीक हो रहा है बीमार पति

सतीश कुमावत रेनवाल के पियावाली ढ़ाणी के रहने वाले हैं. सतीश की उम्र 44 साल है. एक साल पहले करवा चौथ के ही दिन पेड़ से गिरने से सतीश की रीड़ की हडडी में फ्रेक्चर हो गया था. जिसके बाद से ही सतीश का पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था. परिजनों ने उसे तत्काल जयपुर के अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती कराया, लेकिन कई दिनों के बाद भी उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.

पढ़ें- करवा चौथ 2019: जयपुर के बाजारों में बढ़ी रौनक, पति खरीद रहे सरप्राइज गिफ्ट

इतना ही नहीं इसके बाद सतीश को जयपुर के कई और हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इलाज में लााखों रूपए खर्च किए, लेकिन मरीज की हालात ने कोई सुधार नहीं हुआ और उसके हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया. और तो और अब उसके शरीर में भी कोई हरकत नहीं होती थी. गहरी चोट की वजह से गरदन ने भी काम करना बंद कर दिया. 24 घंटे ऑक्सीजन के सहारे रहना पड़ता था.

करीब तीन महीने हॉस्पिटल में रहने के बाद डॉक्टरों ने भी अपने हाथ पीछे ले लिए, लेकिन सतीश की पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी. उसकी हिम्मत को बढ़ाया सतीश के भाई गोपाल, हरीश और राजेन्द्र ने.परिजन सतीश को रेनवाल घर पर ले आए. जहां पूरे कमरे को आईसीयू बना दिया गया. आक्सीजन सक्सन मशीन, निम्यूलाईज मशीन, मानीटर, आक्सीजन सिलेंडर रखे गए. प्रतिदिन चिकित्सक की घर पर डयूटी लगा दी गई. सतीश ठेकेदारी का काम करते थे, उनके दो बच्चें भी हैं.

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24 घंटे पत्नी लगी रही सेवा में-

सतीश को घर लाने के बाद पत्नी शशिकला 24 घंटे पति की सेवा में लगी रहती थी. शुरूआत में फेंफडों में कफ जमा होने के कारण प्रत्येक 10-15 मिनट से मशीन से कफ निकालना पड़ता था. राईस पाईप से खाना दिया जाता था. दैनिक क्रियाएं करवानी पड़ती थी. शरीर पर इंफेक्सन नहीं हो, इसलिए कमरे को दिन में दो बार फिनायल से साफ करते थे. लगातार बैड पर लेटे रहने से पीठ पर बड़ा बेडसोल घाव हो गया था. जिस पर रोजाना ड्रेसिंग करनी पड़ती थी, लेकिन पत्नी और सतीश के भाईयों ने कभी हिम्मत नहीं हारी. दिन-रात मरीज की देखभाल में लगे रहे.

रंग लाई पत्नी की मेहनत, आने लगा सुधार-

लगातार देखभाल और ईलाज के बाद सतीश की हालत में काफी सुधार हुआ है. अब वो आराम से बातचीत करते हैं. ऑक्सीजन मशीन हट चुकी है. शरीर में हलचल होने लगी है. राईस पाईप भी निकाल दी गई है. हाथों में भी मूवमेंट होने लगा है. हांलाकि अभी सतीश खड़े होने लायक नहीं है, लेकिन लगातार सुधार से पत्नि शशिकला और भाईयों को पूरा भरोसा है कि एक दिन सतीश बिल्कुल ठीक हो जाएंगे.

पढ़ें- 'नूर-ए-चांदनी' के माध्यम से सोशल मिडिया से दूर रहने का संदेश

साहस और विश्वास के चलते छीन लाई पति को मौत को मुंह से

शशिकला का कहना है कि मुझे शुरू से ही भरोसा था कि उसके पति एक दिन बिल्कुल ठीक हो जाएंगे. उनके रखे गए करवा चौथ के व्रत उनके पति को कुछ नहीं होने देगें. इसके साथ ही शशि ने कहा कि अब उनमें आ रहे सुधार से उनका विश्वास यकीन में बदल रहा है. पति सतीश भी भाईयों और पत्नी की सेवा से अभिभूत है. उनका कहना है कि आज वो इनकी बदोलत ही ठीक हो रहा हूं.

नारी में तो वो शक्ति होती है जो एक बार कुछ ठान ले तो उसे पूरा करके ही दिखाती है. एक सावित्रि थी जो अपने सुहाग के लिए यमराज से भी लड़ गई थी. तो वहीं शशिकला भी आज के जमाने की सावित्री से कम नहीं हैं जो अपने पति को ठीक करने के लिए जी जान से लगी हुई हैं. साथ ही करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पति को ठीक करने का प्रयास कर रही है. जिसमें उन्हें धीरे-धीरे सफलता भी मिल रही है.

Intro:िववाहिताएं करवा चौथ का व्रत अपने पति का सही सलामती व दीर्घायु के लिए करती है। लेकिन जयुपर जिले के रेनवाल कस्बे की एक विवाहिता ने पतिव्रता धर्म निभाते हुए व्रत के साथ पति की सेवा व देखभाल के बलबूते उसे मौत के मंुह से वापिस निकाल लाई है। Body:रेनवाल के पियावाली ढ़ाणी निवासी 44 वर्षीय सतीश कुमावत का एक वर्ष पहले करवा चौथ के ही दिन पेड़ से गिरने पर रीड़ की हडडी में फ्रेक्चर हो गया था। सतीश का पूरा शरीर ने काम करना बंद कर दिया। परिजनों ने उसे तत्काल जयपुर के अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती कराया। लेकिन कई दिनों के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। उसके बाद जयपुर के कई और हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, इलाज में लााखों रूपए खर्च कर दिए गए, लेकिन मरीज सतीश के सुधार नहीं हुआ। हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया, शरीर भी नहीं हिलता था। गहरी चोट की वजह से गरदन भी काम नहीं करती थी। 24घंटे आक्सीजन के सहारे रहना पड़ता था। करीब तीन महीने हॉस्पिटल में रहने के बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। लेकिन सतीश की पत्नि शशिकला ने हिम्मत नहीं हारी। उसकी हिम्मत को हौसला बढ़ाया सतीश के भाई गोपाल, हरीश व राजेन्द्र ने। परिजन सतीश को रेनवाल घर पर ले आए, जहां पूरे कमरे काे आईसीयू बना दिया। आक्सीजन सक्सन मशीन, निम्यूलाईज मशीन, मानीटर, आक्सीजन सिलेंडर रख लिए। प्रतिदिन चिकित्सक की घर पर डयूटी लगा दी। सतीश ठेकेदारी का काम करते थे, उनके दो बच्चें है। Conclusion:24घंटे पत्नी लगी रहती है सेवा में--
सतीश को घर लाने के बाद पत्नि शशिकला 24घंटे पति की सेवा में लगी रहती थी। शुरूआत में फेंफडों में कफ जमा होने के कारण प्रत्येक 10-15 मिनट से मशीन से कफ निकालना पड़ता था। राईस पाईप से खाना दिया जाता था, दैनिक क्रियाएं करवानी पड़ती थी। शरीर पर इंफेक्सन नहीं हो, इसलिए कमरे को दिन में दो बार फिनायल से साफ करते थे। लगातार बैड पर लेटे रहने से पीठ पर बड़ा बेडसोल घाव हो गया था। जिस पर रोजाना ड्रेसिंग करनी पड़ती थी। लेकिन पत्नि व सतीश के भाईयों ने कभी हिम्मत नहीं हारी। दिन-रात मरीज की देखभाल में लगे रहते थे।
पत्नि की मेहनत रंग लाई, आने लगा सुधार--
लगातार देखभाल व ईलाज के बाद सतीश की हालत में काफी सुधार हुआ है। अब वो अाराम से बातचीत करते है। आक्सीजन मशीन हट चुकी है। शरीर में हलचल होने लगी है। राईस पाईप भी निकाल दी गई है, अाराम से खाना लेते है। हाथाें में मुवमेंट होने लगा है। हांलाकि अभी खड़े होने लायक नहीं है, लेकिन लगातार सुधार से पत्नि शशिकला व भाईयों काे पूरा भरोसा है कि एक दिन सतीश बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। पत्नि शशिकला का कहना है कि मुझे शुरू से ही भरोसा था कि उसके पति एक दिन बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। अब उनमें आ रहे सुधार से मेरा विश्वास यकीन में बदल रहा है। पति सतीश भी भाईयों व पत्नि की सेवा से अभिभूत है। उनका कहना है कि आज वो इनकी बदोलत ही ठीक हो रहा हूं।

विजूयल व बाईट- पत्नि शशिकला।
रिपोर्ट—ईटीवी भारत के लिए शिवराज सिंह रेनवाल(जयपुर) की रिपोर्ट।
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