जयपुर. विजयदशमी का पर्व पूरे देशभर में मनाया गया. इस अवसर पर जगह-जगह रावण पुतले का दहन किया गया, लेकिन उसके बाद कभी किसी ने तीये की बैठक तो नहीं की होगी. लेकिन राजधानी में एक संगठन ऐसा भी है, जो रावण पुतला दहन के बाद की भी किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद के सभी संस्कार निभाएगा. जिसके तहत बाकायदा तीये की बैठक से लेकर अस्थियों का विसर्जन तक शामिल है.
प्रताप नगर दशहरा मेला समिति और सेक्टर 8 व्यापार मंडल वह संगठन है, जो रावण पुतला दहन के बाद तीये की बैठक भी आयोजित करता है. इस बार भी रावण दहन के बाद इस संगठन ने तीये की बैठक आयोजित की. इस तीये की बैठक में रावण की फोटो पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर पंडित ने विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार का पाठ किया गया.
पढ़ें- खबर का असर : शुरू हुआ फरियादियों के लिए कांग्रेस का 'जनता दरबार', मंत्री ने स्वीकारी ये 'भूल'
हरिद्वार में होगा अस्थियों का विसर्जन
तीये की बैठक में लोगों ने ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही रीति-रिवाज और विधि-विधान से रावण की अस्थियों का विसर्जन हो, इसके लिए एक दल को हरिद्वार भी रवाना किया गया. इसके बाद 20 अक्टूबर को रावण के 12वें पर पगड़ी की रस्म होगी और उसके बाद ब्रह्मभोज का भी आयोजन किया जाएगा. जिससे रावण की आत्मा को मुक्ति मिल सके.
पढ़ें- सीकर : जिले के विभिन्न इलाकों में धूमधाम से मनाई गई विजयादशमी... उमड़ा जनसैलाब
इस मौके पर प्रताप नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र पटेल ने बताया कि जिस प्रकार हम अपने बुजुर्गों का हिंदू रीति-रिवाज और विधि-विधान के साथ अंतिम क्रिया करते हैं. साथ ही घर का शुद्धिकरण करते हैं. ठीक उसी प्रकार रावण का क्रियाकर्म किया जा रहा है. जिससे समाज के रावण को मुक्ति मिले और देश में सुख-शांति और समृद्धि कायम रहे. इसके साथ ही पटेल ने कहा कि इसके पीछे हमारा उद्देश्य है कि लोग अपने अंदर के रावण को खत्म कर अच्छाई का रास्ता अपनाएं.
सामाजिक बुराइयों को खत्म करने का देते हैं संदेश
वैसे तो हर साल बुराई का प्रतीक माने जाने वाले रावण को जलाया जाता है. जिससे देश और समाज में बुराई का अंत हो सके, लेकिन जब हम अपने अंदर की बुराई को मिटा दें तो हर वर्ष रावण दहन करने की जरूरत ही नहीं है. आज समाज में रावण रूपी दुराचारी पैदा हो गए है, जिससे दुष्कर्म, अत्याचार, दंगे, मर्डर जैसे अपराधों की संख्या बढ़ गई है. यही वजह है कि समाज में बुराइयों को खत्म करने और सुख, शांति लाने के लिए हर बार ये संगठन रावण का अंतिम क्रियाकर्म करता है, ताकि इंसान अपने अंदर के रावण को खत्म कर अच्छे रास्ते पर चल सके.