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मास्टर भंवरलाल मेघवाल व कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद कांग्रेस के सामने ये है बड़ी चुनौती

राजस्थान विधानसभा ( Rajasthan Legislative Assembly ) में कांग्रेस के दो सदस्य सहाड़ा से विधायक कैलाश त्रिवेदी ( MLA Kailash Trivedi Died ) और सुजानगढ़ से मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल ( Master Bhanwarlal Meghwal Died) के निधन से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. अब इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होंगे.

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6 महीने के अंदर खाली हुई सीट पर उपचुनाव कराने होते हैं.
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Published : Nov 18, 2020, 1:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा ( Rajasthan Legislative Assembly ) में कांग्रेस के दो सदस्य सहाड़ा से विधायक कैलाश त्रिवेदी ( MLA Kailash Trivedi Died ) और सुजानगढ़ से मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल ( Master Bhanwarlal Meghwal Died ) के निधन से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. अब इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होंगे. क्योंकि, सहाड़ा से विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन को करीब एक महीना हो चुका है और 6 महीने के अंदर खाली हुई सीट पर उपचुनाव कराने होते हैं. ऐसे में दोनों सीटों पर ही 5 महीने में चुनाव होंगे. क्योंकि, सरकार कांग्रेस की है और यह दोनों सीटें अभी कांग्रेस के पास थी. ऐसे में कांग्रेस के लिए इन दोनों सीटों को जितना एक चुनौती होगा.

विधायक कैलाश त्रिवेदी और मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होंगे.

यह भी पढ़ें: जैसलमेर : महिला ने शादी करने से मना किया तो घर में घुसकर काट दी नाक

दोनों सीटों पर ही ऐसे प्रत्याशी थे, जिनके अलावा कांग्रेस किसी और को टिकट देने की नहीं सोच सकती थी. ऐसे में इन सीटों पर अब कौन दावेदार होगा इसे लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई है, लेकिन इन दोनों सीटों पर कांग्रेस पार्टी के चुनाव जीतने के लिए इनके परिवार पर ही दांव खेलने की भी संभावना ज्यादा है. सहाड़ा सीट से विधायक कैलाश त्रिवेदी के भाई राजेंद्र त्रिवेदी बड़े दावेदार हैं तो मास्टर भंवरलाल की विधानसभा सीट सुजानगढ़ में तो कांग्रेस के पास उनके परिवार के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

यह भी पढ़ें: जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रही जयपुर की रेप पीड़िता, आरोपी निकला कोरोना पॉजिटिव

ऐसे में कांग्रेस उनकी पत्नी या बेटे को टिकट दे सकती है. आपको बता दें कि इससे पहले भी खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल और मंडावा विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के चलते इन 2 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिनमें से मंडावा की सीट कांग्रेस की रीटा चौधरी ने तो खींवसर की सीट आरएलपी के नारायण बेनीवाल ने जीती थी. उस समय दोनों सीटें ही कांग्रेस के पास नहीं थी. ऐसे में एक सीट जीतकर कांग्रेस ने अपने विधायकों की संख्या बढ़ा ली थी, लेकिन अब की बार जिन 2 सीटों पर चुनाव होंगे, उन पर कांग्रेस काबिज थी. ऐसे में कांग्रेस के सामने चुनौती बड़ी होगी।

जयपुर. राजस्थान विधानसभा ( Rajasthan Legislative Assembly ) में कांग्रेस के दो सदस्य सहाड़ा से विधायक कैलाश त्रिवेदी ( MLA Kailash Trivedi Died ) और सुजानगढ़ से मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल ( Master Bhanwarlal Meghwal Died ) के निधन से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. अब इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होंगे. क्योंकि, सहाड़ा से विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन को करीब एक महीना हो चुका है और 6 महीने के अंदर खाली हुई सीट पर उपचुनाव कराने होते हैं. ऐसे में दोनों सीटों पर ही 5 महीने में चुनाव होंगे. क्योंकि, सरकार कांग्रेस की है और यह दोनों सीटें अभी कांग्रेस के पास थी. ऐसे में कांग्रेस के लिए इन दोनों सीटों को जितना एक चुनौती होगा.

विधायक कैलाश त्रिवेदी और मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होंगे.

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दोनों सीटों पर ही ऐसे प्रत्याशी थे, जिनके अलावा कांग्रेस किसी और को टिकट देने की नहीं सोच सकती थी. ऐसे में इन सीटों पर अब कौन दावेदार होगा इसे लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई है, लेकिन इन दोनों सीटों पर कांग्रेस पार्टी के चुनाव जीतने के लिए इनके परिवार पर ही दांव खेलने की भी संभावना ज्यादा है. सहाड़ा सीट से विधायक कैलाश त्रिवेदी के भाई राजेंद्र त्रिवेदी बड़े दावेदार हैं तो मास्टर भंवरलाल की विधानसभा सीट सुजानगढ़ में तो कांग्रेस के पास उनके परिवार के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

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ऐसे में कांग्रेस उनकी पत्नी या बेटे को टिकट दे सकती है. आपको बता दें कि इससे पहले भी खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल और मंडावा विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के चलते इन 2 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिनमें से मंडावा की सीट कांग्रेस की रीटा चौधरी ने तो खींवसर की सीट आरएलपी के नारायण बेनीवाल ने जीती थी. उस समय दोनों सीटें ही कांग्रेस के पास नहीं थी. ऐसे में एक सीट जीतकर कांग्रेस ने अपने विधायकों की संख्या बढ़ा ली थी, लेकिन अब की बार जिन 2 सीटों पर चुनाव होंगे, उन पर कांग्रेस काबिज थी. ऐसे में कांग्रेस के सामने चुनौती बड़ी होगी।

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