जयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बीजेपी अपने परंपरागत 9 फीसदी राजपूत वोट बैंक को मजबूत करने में जुट गई है. पहले राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष बनाया और अब पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के जन्म शताब्दी वर्ष को धूमधाम से मनाने की तैयारी है. जिसकी शुरुआत 15 मई को शेखावत जन्म स्थान खाचरियावास होगी. ऐसा पहली बार है कि बीजेपी की ओर से खाचरियावास में कोई कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आ सकते हैं.
राजपूत वोटर है 9 फीसदीः राजस्थान की राजनीति में राजपूत वोटर्स का खासा दखल रहा है. एक पार्टी के सर्वे के मुताबिक प्रदेश की 100 से अधिक सीटों पर राजपूत अपना प्रभाव रखता है. जिसमें से 70 से 80 सीटों पर सीधा दखल है. प्रदेश में राजपूत समाज की कुल आबादी करीब 9 फीसदी से ज्यादा मानी जाती है. इन्हें भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है. प्रदेश के सबसे बड़े राजपूत नेता भैरोंसिंह शेखावत थे. उन्होंने जनसंघ के समय से इस जाति को अपने से जोड़कर रखा. 1980 में भाजपा की स्थापना के बाद शेखावत दो बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. हालांकि भैरोंसिंह शेखावत के बाद राजपूत कांग्रेस की तरफ भी गए. यही वजह है कि बीजेपी अपने इस परंपरागत वोट को मजबूत करने के लिए शेखावत की जन्म शताब्दी वर्ष को धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रही है, ताकि 7 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में इस वोट बैंक को साधा जा सके.
शेखावत से जुड़े नेताओं की बढ़ेगी सक्रियताः बीजेपी भैरोसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर करने जा रही है. जन प्रतिनिधि और कार्यकर्ता सम्मेलन होंगे. जिसमें शेखावत के जीवन के बारे में बताया जाएगा. इसके साथ पार्टी ने तय किया है कि उन नेताओं को भी फिर से सक्रिय किया जाए, जिन्होंने शेखावत के समय उनके साथ पार्टी के लिए काम किया है, लेकिन अब वो राजनीति से रिटायर हो चुके है. कार्यक्रमों की शुरुआत 12 मई से होगी. प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर 12 और 13 मई को प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इसके बाद 14 मई को सीकर में स्वच्छता अभियान होगा. उसके बाद 15 मई को शेखावत के जन्म स्थान खाचरियावास में आम सभा होगी, जिसमें केंद्रीय नेता आएंगे. माना जा रहा है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.
राजपूतों के बिना भारत के इतिहास की कल्पना नहींः राजस्थान में राजतंत्र हो या फिर लोकतंत्र राजपूत समाज का अपना एक महत्व रहा है. ईस्ट-इंडिया कंपनी के राजनयिक और राजस्थान का इतिहास लिखने वाले कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक ‘एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान’ में लिखा है, कि देश के इतिहास में राजपूतों को हटा दिया जाये तो पढ़ने को ज्यादा कुछ नहीं रहेगा. राजस्थान के राजपूत के बिना भारत के इतिहास की कल्पना नहीं हो सकती. बाद में वक्त बदला और लोकतंत्र स्थापित हुआ. अब राजा, रानी की कोख से नहीं बल्कि लोकतंत्र की मत पेटी से चुना जाने लगा. फिर भी राजस्थान में राजपूत समाज का अपना प्रभाव रहा. राजपूत नेता समाज की आबादी 55 से 60 लाख के बीच होने के दावे करते रहे हैं. 2011 में राजपूत जनसंख्या अधिकारिक 37.04 लाख बताई गई.
राजपूत बहुल आबादी वाले जिलेः प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 200 सीटों में से 25 से 30 सीटें और लोकसभा चुनाव में 25 से 5 से 6 सीटों पर जीतने में राजपूत समाज सफल होता है. हालांकि इस बार बीजेपी 25 सीटें है, जिसमें 3 राजपूत सांसद है. खासतौर से ध्यान देने बात यह है कि राजस्थान की राजपूत एकमात्र ऐसी जाति है, जिसके उम्मीदवार 70 साल के चुनावी कालखंड में प्रदेश के अलग-अलग जिलों की कुल 126 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीते हैं. वैसे तो ये दवा किया जाता रहा है कि प्रदेश के कमोबेस सभी जिलों में राजपूत 5 हजार से 50 हजार तक अपना प्रभाव रखता है, लेकिन भरतपुर, हनुमानगढ़ और गंगानगर को छोड़ दे तो कमोवेश सभी जिलों में यह जाति अपना प्रभाव रखती है. इनमें से खासतौर पर जयपुर, जालौर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, चूरू, झुंझनूं, सीकर, बीकानेर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसंमद, पाली, कोटा, झालावाड़, धौलपुर, उदयपुर, राजसमंद ये वो जिले हैं, जहां राजपूत समाज का सांख्य बल के लिहाज से प्रभाव मन जाता है.
बीजेपी कर चुकी बैठकः प्रदेश बीजेपी ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी वर्ष को धूमधाम से मनाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. 24 अप्रैल को बीजेपी मुख्यालय पर हुई बैठक में सभी की जिम्मेदारी तय कर दी गई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत ने बताया कि 12 मई से शेखावत की जन्म शताब्दी के कार्यक्रम शुरू होंगे जो अक्टूबर 2023 आयोजित होंगे. जिसमें शेखावत के जीवन की विशेषताओं, सफल शासन प्रणाली, गरीबी उन्मूलन के लिए बनाई अन्त्योदय योजना, भारतीय जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के विस्तार में उनके बहुमूल्य योगदान को गांव-ढाणी, नगर-उप नगर तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा.