जयपुर. राजस्थान में गहलोत सरकार ने IPS उमेश मिश्रा को सूबे का नया DGP (Umesh Mishra appointed as new DGP) नियुक्त किया है. इससे पहले मिश्रा डीजी इंटेलिजेंस का पद भार संभाल रहे थे. गुरुवार को देत रात राज्य कार्मिक विभाग ने आधिकारिक आदेश जारी कर मिश्रा की नियुक्ति की जानकारी दी. उमेश मिश्रा निवर्तमान डीपीजी एमएल लाठर का स्थान (Umesh Mishra replace DPG ML Lather) लेंगे, जो आगामी एक नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
01 मई, 1964 को यूपी के कुशीनगर में जन्मे उमेश मिश्रा 1989 बैच के IPS अधिकारी हैं. मिश्रा वर्तमान कांग्रेस सरकार के संकटमोचक रहे हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री गहलोत की पहली पसंद भी है. मिश्रा की अधिकारियों में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है. मिश्रा राजस्थान के चूरू, भरतपुर और पाली के जिला एसपी भी रह चुके हैं. उनकी गिनती तेज तर्रार व निडर आईपीएस के तौर पर होती है. मिश्रा ने डीपी इंटेलिजेंस रहते हुए सेना में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले सैन्यकर्मियों का भंड़ाफोड़ किया था.
साहू और दक की वरिष्ठता को लांघ मिश्रा बने DGP: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर अपने चाहते को पद देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी की है. इससे पहले पूर्व में आईएएस निरंजन आर्य को मुख्यसचिव बनाने के लिए सीएम गहलोत ने 10 वरिष्ठ आईएएस को नजर अंदाज किया था. अब अपने सबसे करीबी उमेश मिश्रा को DGP बनाने के लिए सीएम ने उत्कल रंजन साहू और भूपेंद्र कुमार दक की वरिष्ठता की अनदेखी की है.
वफादारी का मिला इनाम: वैसे तो IPS भूपेंद्र कुमार दक भी मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं, लेकिन गहलोत सरकार को बचाने में लाठर और मिश्रा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका (Loyalty reward from CM) रही है. पिछले दो सालों में चले सियासी घटनाक्रम में मिश्रा की भूमिका काफी अहम रही. सचिन पायलट गुट की ओर से की गई बगावत के वक्त लाठर ने बॉर्डर की नाकेबंदी व मिश्रा की इंटेलिजेंस टीम ने सराहनीय कार्य किया था. इंटेलिजेंस के मामले में इनकी पकड़ और सूत्र बहुत ही पुख्ता माने जाते हैं. डे-टू-डे फीडबैक के कारण ही IPS मिश्रा का सीएम गहलोत से सीधा संपर्क हुआ था. मिश्रा ने अपने विश्वसनीय संपर्कों से पायलट गुट की हर इन्फॉर्मेशन को सरकार तक पहुंचाया था.
मिश्रा का कार्यकाल: डीपी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा अगले माह यानी नवंबर में सेवानिवृत्त हो रहे DGP एमएल लाठर की जगह लेंगे. विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है. मिश्रा राजस्थान पुलिस में सबसे पहले 1992 से 94 तक एएसपी रामगंज के पद पर सेवारत रहे. इसके बाद वे चूरू, भरतपुर, पाली, कोटा सिटी में जिला पुलिस अधीक्षक भी रहे. 1999 से 2005 तक मिश्रा असिस्टेंट डायरेक्टर आईबी दिल्ली में पदस्थ रहे.
वहीं, 2005 से 2007 तक डीआईजी एसीबी रहे और साल 2007 में आईजी एटीएस के पद पर उनकी नियुक्ति हुई. इसके उपरांत साल 2009 में आईजी विजिलेंस के पद पर रहे और फिर दोबारा आईजी बनने के बाद वे एसीबी ज्वाइन किए. आगे 2011-12 में आईजी जोधपुर और 2014 में एडीजी एटीएस के बाद 2014-15 में एडीजी एसडीआरएफ के पद पर भी सेवा दिए. 2015-16 में मिश्रा को एडीजी सिविल राइट्स और 2016 से 19 तक एटीएस-एसओजी में एडीजी के पद पर कार्यभार संभाले. इधर, 2019 से अब तक निरंतर एडीजी-डीजी इंजेलिजेंस के पद पर सेवा दे रहे हैं.
UPSC ने 3 नामों का भेजा था पैनल: राजस्थान में नए डीजीपी के लिए संघ लोक सेवा आयोग ने राज्य सरकार से पैनल मांगा था. राज्य सरकार ने एक दर्जन नाम आयोग को भेजे थे. चयन के लिए 14 अक्टूबर को दिल्ली में बैठक हुई. जिसमें, मुख्य सचिव, डीजीपी सहित अन्य अधिकारी दिल्ली गए थे. आयोग ने 3 नाम फाइनल किए थे. इन तीनों में से सीएम गहलोत ने उमेश मिश्रा के नाम पर मुहर लगा दी.
दक और मिश्रा थे प्रबल दावेदार: IPS भूपेंद्र कुमार दक, उमेश मिश्रा और यूआर साहू प्रबल दावेदार थे, लेकिन उमेश मिश्रा के नाम पर मुख्यमंत्री ने मुहर लगा दी. वरिष्ठता के हिसाब से डीजी जेल भूपेंद्र कुमार दक और डीजी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा प्रबल दावेदार थे. सेवानिवृत्ति में 6 माह से कम समय होने के कारण एसीबी के डीजी बीएल सोनी और बीएसएफ में डीजी पंकज कुमार सिंह पहले ही दौड़ से बाहर हो गए थे. नीना सिंह की उनके पति आईएएस रोहित कुमार सिंह की सीएम गहलोत से तनातनी भारी पड़ी.
राज्य सरकार ने डीओपीटी को 12 नाम भेजे थे. 1988 बैच के उत्कल रंजन साहू, 1989 बैच के भूपेंद्र कुमार दक, 1989 बैच के उमेश मिश्रा, 1989 बैच की नीना सिंह, 1990 बैच के राजीव कुमार शर्मा, 1990 बैच के जंगा श्रीनिवासन, 1991 बैच के रवि प्रकाश मेहरड़ा, 1991 बैच के डीसी जैन, ए पोन्नूचामी और सौरभ श्रीवास्तव, 1992 बैच के राजेश निर्वाण और हेमंत प्रियदर्शी का नाम शामिल थे. आयोग ने इनमें से 3 नाम राज्य सरकार को भेजे थे.