जयपुर. राजस्थान आवासन मण्डल की ओर से ग्रेटर निगम को दिए गए 23.23 करोड़ के चेक को उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने 150 वार्डों में निवास करने वाली जनता के साथ मजाक बताया है. साथ ही राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार षड्यंत्रपूर्वक ग्रेटर निगम के राजस्व को तबाह कर रही है. निगम लगातार संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. बावजूद इसके सरकार बीते 2 साल से किसी भी स्तर पर जयपुर शहर के विकास कार्यों के लिए निगम को धनराशि का आवंटन नहीं कर (Karnawat targets Congress over funds to Nigam) रही.
पुनीत कर्णावट ने दावा किया कि केन्द्र सरकार की ओर से NCAP, स्वच्छ भारत मिशन, अमृत योजना और स्मार्ट सिटी के जरिए प्राप्त हुई धनराशि को विभिन्न वार्डों में विकास कार्य पर खर्च किया गया है. राजस्थान आवासन मण्डल और जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से ग्रेटर निगम के क्षेत्र में जिन सम्पत्तियों का विक्रय कर जो राजस्व कमाया जाता है, उसका 15 प्रतिशत हिस्सा सीधे तौर पर निगम का होता है. बीते दो सालों में इन दोनों संस्थाओं ने लगभग 4 हजार करोड़ रुपए मूल्य की सम्पत्तियों का विक्रय किया है. जिसका 15 प्रतिशत यानी 600 करोड़ रुपए पर ग्रेटर निगम का हक बनता है, जो 150 वार्डों के विकास और जन आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य करने के लिए मिलना चाहिए था.
सोमवार को राजस्थान आवासन मण्डल ने निगम को 23.23 करोड़ रुपए का चेक दिया. साथ ही ये भी कहा गया है कि 2010-11 से 2019-20 तक विक्रय की गई सम्पत्ति में उनके हिस्से और आवासन मण्डल की ओर से नगर निगम क्षेत्र में विकास कार्यों में खर्च रुपए का समायोजन करने पर आवासन मण्डल, ग्रेटर निगम से 55 करोड़ रुपए से अधिक की राशि मांगता है. फिर भी मंडल निगम की खराब आर्थिक स्थिति के कारण 23.23 करोड़ की राशि दे रहा है.
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कर्णावट ने इस बयान को ग्रेटर निगम के हितों पर कुठाराघात करने वाला बताते हुए तथ्यहीन बताया. साथ ही कहा कि नगर निगम क्षेत्र के किस क्षेत्र में कैसे और क्या विकास करना है, ये जिम्मेदारी निगम और उसकी कार्य योजना भी निगम को ही बनानी होती है. इस संबंध में उन्होंने महापौर को पत्र लिखकर कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाकर प्रभावी निर्णय लेने की भी बात कही.
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आपको बता दें कि आवासन मण्डल की ओर से विक्रय की गई सम्पत्तियों से प्राप्त होने वाली राशि का 15 प्रतिशत हिस्सा नगर निगम को दिए जाने का प्रावधान है. आवासन मण्डल ने ग्रेटर नगर निगम को करीब 10 सालों के बकाए के रूप में 23.23 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई. हालांकि आवासन मंडल का तर्क है कि विक्रय की गई संपत्तियों के एवज में निगम को देय हिस्सा राशि और निगम क्षेत्र में विकास कार्यों पर मंडल की ओर से खर्च की गई राशि का समायोजन करने के बाद मंडल की निगम पर 55.58 करोड रुपए की राशि बकाया है. फिर भी मंडल ने 11.11 करोड़ रुपए प्रति वर्ष के हिसाब से विकास कार्यों के लिए इस राशि का भुगतान किया है. जबकि ग्रेटर नगर निगम का दावा है कि आवासन मंडल पर करीब 12 साल का बकाया था. जिसमें से अभी 10 साल का ही भुगतान किया गया है.