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जयपुर में चप्पे चप्पे पर रही होली की धूम.... होलिका दहन में लोगों का उमड़ा हुजूम - भद्र काल

जयपुर में शहर के कोने कोने पर लोग होलिका दहन करते नजर आए. इस पर्व पर सबसे पहले महिलाओं की ओर से होली की पूजा की गई उसके बाद भद्रकाल समाप्त होने के बाद होलिका दहन किया गया.

जयपुर में होलिका दहन
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Published : Mar 21, 2019, 4:38 AM IST

जयपुर. जिले में बुधवार को जगह जगह होली की धूम रही. शहर के हर चौराहे पर भी लोगों ने बड़े उत्साह के साथ होलिका दहन किया. होलिका दहन से पहले महिलाओं ने गीत गाकर पूजा अर्चना की. इसके बाद शाम 9 बजे शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया गया.

होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में किया जाता है. भद्र काल में होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता. इस बार 9 बजे भद्र काल खत्म होने के बाद लोगों ने होलिका दहन किया.

जयपुर में होलिका दहन

शहर में स्थान स्थान पर होलिका दहन किया गया. होलिका दहन करते समय लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत के जयकारे लगाए और जोर जोर से होली के गीत भी गाए. होलिका दहन से पहले महिलाओं ने रोली, मौली, चावल, फूल और पानी के लोटे के साथ एक थाली में पूजन सामग्री रखकर होली की पूजा अर्चना की. होलिका दहन के बाद लोग उसकी राख अपने घरों में लेकर जाते हैं. होलिका की राख बहुत ही शुभ मानी जाती है.

सुबह से ही बाजारों में होलिका दहन की सामग्री खरीदने के लिए लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही थी. दिनभर की तैयारियों के बाद शाम को होलिका दहन की तैयारी कर पूजा-अर्चना की गई और रात्रि प्रदोष काल शुरू होने के बाद लोगों ने होलिका दहन किया.


जयपुर. जिले में बुधवार को जगह जगह होली की धूम रही. शहर के हर चौराहे पर भी लोगों ने बड़े उत्साह के साथ होलिका दहन किया. होलिका दहन से पहले महिलाओं ने गीत गाकर पूजा अर्चना की. इसके बाद शाम 9 बजे शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया गया.

होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में किया जाता है. भद्र काल में होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता. इस बार 9 बजे भद्र काल खत्म होने के बाद लोगों ने होलिका दहन किया.

जयपुर में होलिका दहन

शहर में स्थान स्थान पर होलिका दहन किया गया. होलिका दहन करते समय लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत के जयकारे लगाए और जोर जोर से होली के गीत भी गाए. होलिका दहन से पहले महिलाओं ने रोली, मौली, चावल, फूल और पानी के लोटे के साथ एक थाली में पूजन सामग्री रखकर होली की पूजा अर्चना की. होलिका दहन के बाद लोग उसकी राख अपने घरों में लेकर जाते हैं. होलिका की राख बहुत ही शुभ मानी जाती है.

सुबह से ही बाजारों में होलिका दहन की सामग्री खरीदने के लिए लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही थी. दिनभर की तैयारियों के बाद शाम को होलिका दहन की तैयारी कर पूजा-अर्चना की गई और रात्रि प्रदोष काल शुरू होने के बाद लोगों ने होलिका दहन किया.


Intro:जयपुर
एंकर- जयपुर में जगह जगह पर होलिका दहन किया गया। शहर के हर चौराहे पर लोगों ने बड़े हर्षोल्लास के साथ होलिका दहन की। होलिका दहन से पहले महिलाओं ने गीत गाकर होली की पूजा अर्चना की। इसके बाद 9 बजे शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में किया जाता है। भद्र काल में होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता। इस बार 9 बजे भद्र काल खत्म होने के बाद लोगों ने होलिका दहन किया।


Body:जयपुर में जगह जगह पर होलिका दहन किया गया। शहर के हर चौराहे पर लोगों ने बड़े हर्षोल्लास के साथ होलिका दहन की। होलिका दहन से पहले महिलाओं ने गीत गाकर होली की पूजा अर्चना की। इसके बाद 9 बजे शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में किया जाता है। भद्र काल में होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता। इस बार 9 बजे भद्र काल खत्म होने के बाद लोगों ने होलिका दहन किया।
होलिका दहन करते समय लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत के जयकारे लगाए और जोर जोर से होली के गीत भी गाए। होलिका दहन से पहले महिलाओं ने रोली, मौली, चावल, फूल और पानी के लोटे के साथ एक थाली में पूजन सामग्री रखकर होली की पूजा अर्चना की। होलिका दहन के बाद लोग उसकी राख अपने घरों में लेकर जाते हैं। होलिका की राख बहुत ही शुभ मानी जाती है।
सुबह से ही बाजारों में होलिका दहन की सामग्री खरीदने के लिए लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही थी। दिनभर की तैयारियों के बाद शाम को होलिका दहन की तैयारी कर पूजा-अर्चना की गई। और रात्रि प्रदोष काल शुरू होने के बाद लोगों ने होलिका दहन किया। होलिका दहन में गोबर के उपले भी जलाए गए।




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