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बंधुआ मजदूर मामले पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

राजस्थान में बंधुआ मजदूरों की पुनर्भरण मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

राजस्थान उच्च न्यायालय
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Published : May 9, 2019, 11:41 PM IST

जयपुर. राजस्थान में बंधुआ मजदूरों की पुनर्भरण मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना की तरफ से लगाए गई जनहित याचिका पर जारी किए , याचिका में कहा गया था कि पिछले 2 सालों में सामाजिक संगठनों की ओर से डेढ़ सौ से अधिक बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया. लेकिन भारत सरकार को बंधुआ मजदूर पुनर्भरण अधिनियम और बंधुआ मजदूर कानून के तहत जो कार्यवाई दोषियों के खिलाफ की जानी चाहिए थी वह कार्यवाही भी नहीं की गई और ना ही बंधुआ मजदूरों को पुनर्भरण अधिनियम के तहत मिलने वाली सुविधाएं दी गई.

बंधुआ मजदूर मामले पर हाईकोर्ट सख्त

इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता , सचिव लेबर डिपार्टमेंट कलेक्टर झुंझुनूं , कलेक्टर धौलपुर , कलेक्टर बारां , कलेक्टर उदयपुर और एसडीएम सहित ईट भट्टा मालिकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने नोटिस के जरिए इन सभी से पूछा है कि यह बताएं कि जब सामाजिक संगठनों की ओर से इन बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया तो सरकार ने अधिनियम के तहत इन बंधुआ मजदूरों का पुनर्भरण की व्यवस्था क्यों नहीं की. साथ ही यह भी बताया कि जो दोषी लोग हैं उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई , दरअसल प्रदेश में ईंट भट्टे और कारखानों में मजदूरों को बंधक बनाकर बंधुआ मजदूर के रूप में काम कराया जाता है जो कि भारत सरकार लेबर कानून के तहत गैरकानूनी है. सामाजिक संगठनों की तरफ से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कारवाई करके इन बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया था.

जयपुर. राजस्थान में बंधुआ मजदूरों की पुनर्भरण मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना की तरफ से लगाए गई जनहित याचिका पर जारी किए , याचिका में कहा गया था कि पिछले 2 सालों में सामाजिक संगठनों की ओर से डेढ़ सौ से अधिक बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया. लेकिन भारत सरकार को बंधुआ मजदूर पुनर्भरण अधिनियम और बंधुआ मजदूर कानून के तहत जो कार्यवाई दोषियों के खिलाफ की जानी चाहिए थी वह कार्यवाही भी नहीं की गई और ना ही बंधुआ मजदूरों को पुनर्भरण अधिनियम के तहत मिलने वाली सुविधाएं दी गई.

बंधुआ मजदूर मामले पर हाईकोर्ट सख्त

इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता , सचिव लेबर डिपार्टमेंट कलेक्टर झुंझुनूं , कलेक्टर धौलपुर , कलेक्टर बारां , कलेक्टर उदयपुर और एसडीएम सहित ईट भट्टा मालिकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने नोटिस के जरिए इन सभी से पूछा है कि यह बताएं कि जब सामाजिक संगठनों की ओर से इन बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया तो सरकार ने अधिनियम के तहत इन बंधुआ मजदूरों का पुनर्भरण की व्यवस्था क्यों नहीं की. साथ ही यह भी बताया कि जो दोषी लोग हैं उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई , दरअसल प्रदेश में ईंट भट्टे और कारखानों में मजदूरों को बंधक बनाकर बंधुआ मजदूर के रूप में काम कराया जाता है जो कि भारत सरकार लेबर कानून के तहत गैरकानूनी है. सामाजिक संगठनों की तरफ से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कारवाई करके इन बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया था.

Intro:बंधुआ मजदूर मामले पर हाईकोर्ट सख्त , कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

जयपुर

एंकर:- राजस्थान में बंधुआ मजदूरों की पुनर्भरण मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना की तरफ से लगाए गई जनहित याचिका पर जारी किए , याचिका में कहा गया था कि पिछले 2 सालों में सामाजिक संगठनों द्वारा डेढ़ सौ से अधिक बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया लेकिन भारत सरकार बंधुआ मजदूर पुनर्भरण अधिनियम और बंधुआ मजदूर कानून के तहत जो कार्यवाई दोषियों के खिलाफ की जानी चाहिए थी वह कार्यवाही भी नहीं की गई और ना ही बंधुआ मजदूरों को पुनर्भरण अधिनियम के तहत मिलने वाली सुविधाएं दी गई इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता , सचिव लेबर डिपार्टमेंट कलेक्टर झुंझुनू , कलेक्टर धौलपुर , कलेक्टर बारां , कलेक्टर उदयपुर और एसडीएम शहीद ईट भट्टा मालिकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है , कोर्ट ने नोटिस के जरिए इन सभी से पूछा है कि यह बताएं कि जब सामाजिक संगठनों द्वारा इन बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया तो सरकार ने अधिनियम के तहत इन बंधुआ मजदूरों का पुनर्भरण की व्यवस्था क्यों नहीं करी साथ ही यह भी बताया कि जो दोषी लोग हैं उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई , दरअसल प्रदेश में ईंट भट्टे और कारखानों में मजदूरों को बंधक बनाकर बंधुआ मजदूर के रूप में काम कराया जाता है जो कि भारत सरकार लेबर कानून के तहत गैरकानूनी है सामाजिक संगठनों की तरफ से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कारवाई करके इन बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया था।
बाइट:- ताराचंद वर्मा - वकील याचिकाकर्ता


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