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SPECIAL : कहीं मजबूरी, कहीं जुगाड़ : कोरोना से जंग में चरमराई राजस्थान की चिकित्सा व्यवस्था, जंग जारी है...

राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर पीक पर है. ऐसे चिकित्सकीय व्यवस्थाओं के लिए यह मुश्किल दौर चल रहा है. हर संसाधन कोरोना संक्रमण के सामने छोटा-बौना साबित हो रहा है. जयपुर के कोविड डेडिकेटेड सेंटरों पर अब स्टाफ की कमी होने लगी है. झालावाड़ में भी चिकित्सा सेवा में जुगाड़ का सहारा लेना पड़ रहा है.

Rajasthan coronavirus status, Corona Dedicated Hospital Jaipur
अब जुगाड़ से हो रहा इलाज
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Published : May 14, 2021, 7:11 PM IST

Updated : May 15, 2021, 2:51 PM IST

जयपुर/झालावाड़. शहर कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सकों का टोटा नजर आ रहा है. जयपुर में RUHS, ESI, SMS और जयपुरिया अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है. ये अस्पताल स्टाफ की कमी से लगातार जूझ रहे हैं.

कोरोना से जंग में चरमराई राजस्थान की चिकित्सा व्यवस्था

जयपुर के RUHS अस्पताल को सबसे पहले डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल के रूप में तैयार किया गया. जहां 1300 बेड ऑक्सीजन और करीब 200 आईसीयू बेड तैयार किए गए. बढ़ते मरीजों के आंकड़ों के बाद ईएसआई अस्पताल और सवाई मानसिंह अस्पताल को भी डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल के रूप में चलाया जा रहा है. ईएसआई अस्पताल में करीब 200 बेड हैं. करीब 1000 मरीज सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती हैं. इन अस्पतालों में चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की कमी लगातार बनी हुई है. सवाई मानसिंह अस्पताल के कुछ चिकित्सकों को ईएसआई अस्पताल में तैनात कर दिया गया है तो ऐसे में अब सवाई मानसिंह अस्पताल में भी ट्रेंड चिकित्सा और नर्सिंग स्टाफ का टोटा नजर आने लगा है.

Rajasthan coronavirus status, Corona Dedicated Hospital Jaipur
जयपुर कोविड सेंटर्स पर चिकित्सा स्टाफ की कमी

पढ़ें- खबर का असर: मंत्री के निर्देश पर सहकारी कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वॉरियर्स घोषित करवाने के लिए प्रक्रिया शुरू

मरीजों के अनुपात में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी

RUHS में 1600 से अधिक मरीज भर्ती हैं. 400 से 500 का स्टाफ ही अस्पताल में कार्य कर रहा है. जो मरीजों के अनुपात में काफी कम है. इसके अलावा सवाई मानसिंह अस्पताल में करीब 1000 मरीज भर्ती हैं और करीब 400 स्वास्थ्य कर्मी इस अस्पताल में कार्यरत हैं. जिसमें चिकित्सा और नर्सिंग स्टाफ शामिल हैं. इसके अलावा ईएसआई में 150 से अधिक मरीज इस अस्पताल में भर्ती हैं. यहां 30 से 40 स्वास्थ्य कर्मी ही तैनात हैं.

बीलवा स्थित राधा स्वामी सत्संग व्यास सेंटर में भी मेडिकल स्टाफ की कमी है. मौजूदा समय में 500 बेड के इस सेंटर में 40 चिकित्सक और 50 पैरामेडिकल स्टाफ को तैनात किया गया है. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये काफी कम है.

वैक्सीनेशन में लगा स्टाफ

इसके अलावा जयपुर में करीब 80 सेंटर वैक्सीनेशन से जुड़ा काम भी चल रहा है. ऐसे में बड़ी संख्या में चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों का स्टाफ वैक्सीनेशन कार्यक्रम में लगाया गया है. जिसके चलते जरूरतमंद संक्रमित मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा.

पढ़ें- Rajasthan Corona Update: 14,289 नए मामले आए सामने, 155 मरीजों की मौत

झालावाड़ में जुगाड़ तकनीक

उधर, झालावाड में ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ रेगुलेटर की भारी कमी है. रेगुलेटर न बाजारों में मिल रहे हैं और न अस्पतालों में. ऐसे में स्वास्थ्यकर्मी मरीजों की जान बचाने के लिए जुगाड़ से ऑक्सीजन दे रहे हैं.

Rajasthan coronavirus status, Corona Dedicated Hospital Jaipur
झालावाड़ में एक ऑक्सीजन से दो मरीजों का इलाज

जिला प्रशासन ने प्राइवेट अस्पतालों को ऑक्सीजन देना बंद कर दिया लेकिन फिर भी सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में सिलेंडर के रेगुलेटर उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को सही ढंग से ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा ऑक्सीजन की बर्बादी भी होती है. ऑक्सीजन सिलेंडरो का पूरी तरह से सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. रेगुलेटर्स की उपलब्धता को देखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जिला अस्पताल और सेटेलाइट अस्पताल पहुंची.

एक सिलेंडर से दो लोगों को ऑक्सीजन सप्लाई

ऑक्सीजन के सिलेंडर तो रखे हुए थे लेकिन उनमें से अधिकतर बेड्स पर रेगुलेटर नहीं लगा हुआ था. स्वास्थ्य कर्मी मरीज को ऑक्सीजन लगाने के लिए किसी दूसरे मरीज का रेगुलेटर लेकर जाते हुए दिखाई दिए. इसको लेकर स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि अस्पताल में रेगुलेटर्स की भारी कमी है. जिसकी वजह से रेगुलेटर तो एडजस्ट करना पड़ता है. कई जगह पर स्वास्थ्य कर्मी अपने हिसाब से जुगाड़ बना कर ऑक्सीजन दे रहे हैं. जिसमें एक ऑक्सीजन सिलेंडर से दो लोगों को भी ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है.

Rajasthan coronavirus status, Corona Dedicated Hospital Jaipur
अब जुगाड़ से हो रहा इलाज

अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में रेगूलेटर नहीं होने की वजह से स्वास्थ्य कर्मी जुगाड से ऑक्सीजन दे रहे हैं. लेकिन उससे मरीज को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. ऑक्सीजन वेस्ट हो जाती है और सही दबाव भी नहीं बन पाता.

ये है रेगुलेटर का काम

रेगूलेटर से पता चल जाता है कि सिलेंडर में कितनी ऑक्सीजन बची है. ताकि समय रहते सिलेंडर को बदला जा सके. इसके अलावा मरीज को ऑक्सीजन की कितनी आवश्यकता है यह भी रेगूलेटर से पता चल जाता है. रेगुलेटर होने से ऑक्सीजन की बर्बादी नहीं होती.

पढ़ें- SPECIAL : 31 मई तक होने वाली 13000 शादियों के लिए मांगी गई परमीशन...फेरे फिर हो जाएंगे, जिंदगी न मिलेगी दोबारा

झालावाड़ जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा का कहना है कि महामारी के अचानक से विकराल रूप ले लेने से सभी प्रकार के स्वास्थ्य उपकरणों की कमी देखने को मिल रही है. रेगुलेटर्स की भी अस्पतालों में काफी कमी है. जिला प्रशासन लगातार पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर के रेगुलेटर जुटाने के प्रयास कर रहा है.

जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ संजय पोरवाल ने बताया कि सामान्य दिनों में रेगुलेटर्स का इस्तेमाल काफी कम होता है. कम मरीज होने के कारण गिनती के रेगुलेटर से ही काम चल जाता है. लेकिन अब मरीजों से अस्पताल भर चुके हैं. ऐसे में सभी जगह पर रेगुलेटर्स की जरूरत पड़ती है. लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्था की जा रही है. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से लोगों से रेगुलेटर डोनेट करने की अपील भी की.

जयपुर/झालावाड़. शहर कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सकों का टोटा नजर आ रहा है. जयपुर में RUHS, ESI, SMS और जयपुरिया अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है. ये अस्पताल स्टाफ की कमी से लगातार जूझ रहे हैं.

कोरोना से जंग में चरमराई राजस्थान की चिकित्सा व्यवस्था

जयपुर के RUHS अस्पताल को सबसे पहले डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल के रूप में तैयार किया गया. जहां 1300 बेड ऑक्सीजन और करीब 200 आईसीयू बेड तैयार किए गए. बढ़ते मरीजों के आंकड़ों के बाद ईएसआई अस्पताल और सवाई मानसिंह अस्पताल को भी डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल के रूप में चलाया जा रहा है. ईएसआई अस्पताल में करीब 200 बेड हैं. करीब 1000 मरीज सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती हैं. इन अस्पतालों में चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की कमी लगातार बनी हुई है. सवाई मानसिंह अस्पताल के कुछ चिकित्सकों को ईएसआई अस्पताल में तैनात कर दिया गया है तो ऐसे में अब सवाई मानसिंह अस्पताल में भी ट्रेंड चिकित्सा और नर्सिंग स्टाफ का टोटा नजर आने लगा है.

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जयपुर कोविड सेंटर्स पर चिकित्सा स्टाफ की कमी

पढ़ें- खबर का असर: मंत्री के निर्देश पर सहकारी कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वॉरियर्स घोषित करवाने के लिए प्रक्रिया शुरू

मरीजों के अनुपात में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी

RUHS में 1600 से अधिक मरीज भर्ती हैं. 400 से 500 का स्टाफ ही अस्पताल में कार्य कर रहा है. जो मरीजों के अनुपात में काफी कम है. इसके अलावा सवाई मानसिंह अस्पताल में करीब 1000 मरीज भर्ती हैं और करीब 400 स्वास्थ्य कर्मी इस अस्पताल में कार्यरत हैं. जिसमें चिकित्सा और नर्सिंग स्टाफ शामिल हैं. इसके अलावा ईएसआई में 150 से अधिक मरीज इस अस्पताल में भर्ती हैं. यहां 30 से 40 स्वास्थ्य कर्मी ही तैनात हैं.

बीलवा स्थित राधा स्वामी सत्संग व्यास सेंटर में भी मेडिकल स्टाफ की कमी है. मौजूदा समय में 500 बेड के इस सेंटर में 40 चिकित्सक और 50 पैरामेडिकल स्टाफ को तैनात किया गया है. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये काफी कम है.

वैक्सीनेशन में लगा स्टाफ

इसके अलावा जयपुर में करीब 80 सेंटर वैक्सीनेशन से जुड़ा काम भी चल रहा है. ऐसे में बड़ी संख्या में चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों का स्टाफ वैक्सीनेशन कार्यक्रम में लगाया गया है. जिसके चलते जरूरतमंद संक्रमित मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा.

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झालावाड़ में जुगाड़ तकनीक

उधर, झालावाड में ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ रेगुलेटर की भारी कमी है. रेगुलेटर न बाजारों में मिल रहे हैं और न अस्पतालों में. ऐसे में स्वास्थ्यकर्मी मरीजों की जान बचाने के लिए जुगाड़ से ऑक्सीजन दे रहे हैं.

Rajasthan coronavirus status, Corona Dedicated Hospital Jaipur
झालावाड़ में एक ऑक्सीजन से दो मरीजों का इलाज

जिला प्रशासन ने प्राइवेट अस्पतालों को ऑक्सीजन देना बंद कर दिया लेकिन फिर भी सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में सिलेंडर के रेगुलेटर उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को सही ढंग से ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा ऑक्सीजन की बर्बादी भी होती है. ऑक्सीजन सिलेंडरो का पूरी तरह से सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. रेगुलेटर्स की उपलब्धता को देखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जिला अस्पताल और सेटेलाइट अस्पताल पहुंची.

एक सिलेंडर से दो लोगों को ऑक्सीजन सप्लाई

ऑक्सीजन के सिलेंडर तो रखे हुए थे लेकिन उनमें से अधिकतर बेड्स पर रेगुलेटर नहीं लगा हुआ था. स्वास्थ्य कर्मी मरीज को ऑक्सीजन लगाने के लिए किसी दूसरे मरीज का रेगुलेटर लेकर जाते हुए दिखाई दिए. इसको लेकर स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि अस्पताल में रेगुलेटर्स की भारी कमी है. जिसकी वजह से रेगुलेटर तो एडजस्ट करना पड़ता है. कई जगह पर स्वास्थ्य कर्मी अपने हिसाब से जुगाड़ बना कर ऑक्सीजन दे रहे हैं. जिसमें एक ऑक्सीजन सिलेंडर से दो लोगों को भी ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है.

Rajasthan coronavirus status, Corona Dedicated Hospital Jaipur
अब जुगाड़ से हो रहा इलाज

अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में रेगूलेटर नहीं होने की वजह से स्वास्थ्य कर्मी जुगाड से ऑक्सीजन दे रहे हैं. लेकिन उससे मरीज को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. ऑक्सीजन वेस्ट हो जाती है और सही दबाव भी नहीं बन पाता.

ये है रेगुलेटर का काम

रेगूलेटर से पता चल जाता है कि सिलेंडर में कितनी ऑक्सीजन बची है. ताकि समय रहते सिलेंडर को बदला जा सके. इसके अलावा मरीज को ऑक्सीजन की कितनी आवश्यकता है यह भी रेगूलेटर से पता चल जाता है. रेगुलेटर होने से ऑक्सीजन की बर्बादी नहीं होती.

पढ़ें- SPECIAL : 31 मई तक होने वाली 13000 शादियों के लिए मांगी गई परमीशन...फेरे फिर हो जाएंगे, जिंदगी न मिलेगी दोबारा

झालावाड़ जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा का कहना है कि महामारी के अचानक से विकराल रूप ले लेने से सभी प्रकार के स्वास्थ्य उपकरणों की कमी देखने को मिल रही है. रेगुलेटर्स की भी अस्पतालों में काफी कमी है. जिला प्रशासन लगातार पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर के रेगुलेटर जुटाने के प्रयास कर रहा है.

जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ संजय पोरवाल ने बताया कि सामान्य दिनों में रेगुलेटर्स का इस्तेमाल काफी कम होता है. कम मरीज होने के कारण गिनती के रेगुलेटर से ही काम चल जाता है. लेकिन अब मरीजों से अस्पताल भर चुके हैं. ऐसे में सभी जगह पर रेगुलेटर्स की जरूरत पड़ती है. लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्था की जा रही है. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से लोगों से रेगुलेटर डोनेट करने की अपील भी की.

Last Updated : May 15, 2021, 2:51 PM IST
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