जयपुर. प्रदेश में अवैध बजरी से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई, फिलहाल कोर्ट ने फैसला नहीं दिया है. लेकिन सभी पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई पूरी की.
राजस्थान बजरी ट्रक ऑपरेटर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष नवीन शर्मा की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अदालत को जल्द ही प्रदेश में वैध खनन को लागू करने की मंजूरी देनी चाहिए. वैध खनन शुरू होने पर प्रदेश में अवैध खनन रुकेगा और आमजन को सस्ती दर पर बजरी मिलेगी. इसके साथ ही सरकार को भी करोडों रुपए की आय होगी. और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा.
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कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि खातेदारी, लीजों को बंद किया जाए. क्योंकि उनसे ही प्रदेश में अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है. बजरी का अवैध परिवहन करने वालों के साथ ही अवैध खनन करने वालों पर भी सख्ती बरती जाए. सुप्रीम कोर्ट मामले मेंं जो भी आदेश दे उसकी पालना के लिए राज्य सरकार को भी दिशा- निर्देश दिए जाए.
याचिकाकर्ता ने कहा कि आदेश की पालना और मॉनिटरिंग के लिए एक कमेटी बनाई जाए. इस कमेटी में याचिकाकर्ता को भी शामिल किया जाए और यह कमेटी हर तीन-चार महीने में आदेश की पालना के संबंध में रिपोर्ट पेश करे. सुनवाई के दौरान अदालत आदेश के पालन में सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि खातेदारी खनन की आड में ही अवैध बजरी खनन को बढ़ावा मिल रहा है. ऐसे में वास्तविक लीजधारकों के जरिए ही खनन करवाया जाए.
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गौरतलब है कि अवैध बजरी खनने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को अंतरिम आदेश देते हुए केन्द्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति लिए बिना अदालत के पूर्व आदेश से 82 एलओआई होल्डर की ओर से किए जा रहे बजरी खनन पर रोक लगाई थी.