जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुनेश गुर्जर को हेरिटेज नगर निगम के मेयर पद से निलंबित करने को लेकर राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है. वहीं अदालत ने मामले की सुनवाई 21 अगस्त को तय की है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश मुनेश गुर्जर की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी अदालत में पेश हुए. उनकी ओर से याचिका का जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. जिसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि 8 अगस्त को याचिका पेश करने के तुरंत बाद ही राज्य सरकार को याचिका की एडवांस कॉपी दी जा चुकी है. इसके बावजूद भी राज्य सरकार जवाब पेश करने के लिए समय मांग रही है. इस पर अदालत ने महाधिवक्ता को स्वतंत्रता दिवस के बाद जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 21 अगस्त को तय की है.
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याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि गत 5 अगस्त को राज्य सरकार ने आनन-फानन में आदेश जारी कर मुनेश गुर्जर को पार्षद और मेयर पद से निलंबित कर दिया. याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसके पति ने पट्टे जारी करने के नाम पर उसकी उपस्थिति में दलाल से 2 लाख रुपए की रिश्वत ली और उसके घर से 40 लाख रुपए से अधिक की राशि बरामद हुई.
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याचिका में कहा गया कि पंचनामे में याचिकाकर्ता के बयान दर्ज है कि घटना के तीन दिन पहले उसके ससुर ने अपना प्लॉट बेचा था, जिसके रुपए घर में रखे थे. इसके अलावा एसीबी की रेड के समय उसके पति घर पर ही नहीं थे, बल्कि उन्हें उनके कार्यालय से पकड़ कर लाया गया था. वहीं एफआईआर में भी याचिकाकर्ता का नाम नहीं है. इसके अलावा सह आरोपी बनाए गए नारायण सिंह के घर से बरामद 2 लाख रुपए का संबंध याचिकाकर्ता से नहीं है.
याचिका में कहा गया कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि को निलंबित करने से पहले कम से कम प्रारंभिक जांच करनी चाहिए थी या उसका नाम एफआईआर में होना चाहिए था. इसके बावजूद निलंबन आदेश में गलत तथ्य पेश कर उसे निलंबित कर दिया गया. इस दौरान उसे पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया. ऐसे में उसके निलंबन आदेश को रद्द कर उसे बहाल किया जाए. गौरतलब है कि एसीबी ने गत दिनों एसीबी ने रिश्वत लेकर पट्टा जारी कराने की एवज में मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर और दलाल नारायण सिंह व अनिल को गिरफ्तार किया था.