जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जेवीवीएनएल के पूर्व कर्मचारी की पत्नी को नॉमिनी में नाम नहीं लिखा होने के चलते उसे फैमिली पेंशन नहीं देने पर प्रमुख ऊर्जा सचिव, जेवीवीएनएल के चेयरमैन व एमडी सहित पेंशन विभाग के उपनिदेशक से जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि क्यों ना याचिकाकर्ता विधवा को फैमिली पेंशन जारी करने के आदेश दिए जाए. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश 75 वर्षीय उर्मिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति रामेश्वर लाल जेवीवीएनएल में लाइनमैन के तौर पर टोडाभीम में कार्यरत था. जून 2000 में वह रिटायर हो गए और जेवीवीएनएल ने उन्हें पेंशन जारी कर दी. वहीं वर्ष 2007 में उनकी मौत हो गई, लेकिन जागरुकता के अभाव में याचिकाकर्ता ने उस समय फैमिली पेंशन के लिए आवेदन नहीं किया. वहीं बाद में याचिकाकर्ता का इकलौता पुत्र व पुत्रवधू की भी मौत हो गई. ऐसे में उस पर अपने पोते-पोती की जिम्मेदारी भी पर आ गई है.
इस पर उसने पड़ोसियों के सहयोग से जेवीवीएनएल में फैमिली पेंशन के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे यह कहते हुए पेंशन देने से इनकार कर दिया कि उसने पति ने रिटायर होते समय नॉमिनी में याचिकाकर्ता का नाम नहीं लिखा था. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के जन आधार कार्ड, आधार कार्ड, वोटर लिस्ट, राशन कार्ड और बैंक पासबुक सहित अन्य दस्तावेजों में याचिकाकर्ताओं को बतौर पत्नी दर्शाया गया है. ऐसे में केवल मात्र नॉमिनी में उसका नाम नहीं होने से उसे फैमिली पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.