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JLF 2023: गुलजार की बुक 'ए पोएम ए डे' लॉन्च, 9 साल में तैयार की साल के हर दिन के लिए एक कविता

जयपुर लिटरेचर ​फेस्टिवल में गीतकार गुलजार की बुक 'ए पोएम ए डे' लॉन्च की (Gulzar book A poem a day launch) गई. इसे 9 साल में तैयार किया गया है. इसमें 34 भाषाओं के कवि-कवयित्रियों की कविताओं को शामिल किया गया है.

Gulzar book A poem a day launch in JLF 2023, it has day wise poem for 365 days of a year
JLF 2023: गुलजार की बुक 'ए पोएम ए डे' लॉन्च, 9 साल में तैयार की साल के हर दिन के लिए एक कविता
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Published : Jan 20, 2023, 7:47 PM IST

Updated : Jan 20, 2023, 11:54 PM IST

गुलजार की बुक 'ए पोएम ए डे' लॉन्च

जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन मशहूर गीतकार गुलजार की किताब 'ए पोएम ए डे' पर बात हुई. इस बुक में साल के 365 दिनों को लेकर रोजाना की एक कविता के आधार पर कुछ कविताओं को पेश किया. गुलजार ने 1947 से लेकर 2017 तक के दौर में अलग-अलग भाषाओं के अलग-अलग कवियों की रचनाओं का इसमें अनुवाद किया है.

गुलजार ने बताया कि कैसे प्रकाशक ने उनसे संपर्क किया था और फिर यह विचार आया कि साल की हर 1 दिन के लिए एक कविता को पेश किया जाए. इस दौरान काफी लोगों ने उनकी मदद भी की. फिर करीब 400 कविता और शायरियों में से उन्होंने साल के 365 दिनों के लिए इन कविताओं का चुनाव किया और उन्हें अलग-अलग भाषाओं से अनुवाद कर एक किताब के रूप में संकलित किया जो जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन लॉन्च की गई है. इस दौरान गुलजार ने अपनी किताब पर बात करते हुए कहा कि जितनी अंग्रेजी नेशनल भाषा है, वैसे ही हमारी अन्य भाषाएं भी नेशनल हैं. जिन्हें रीजनल नाम दिया गया है. मराठी, तमिल जैसी भाषाएं भी नेशनल हैं. इन्हें क्लासिकल लेंगवेज का दर्जा मिला हुआ है.

पढ़ें: Javed Akhtar in JLF: जावेद अख्तर की अपील, फिल्मों का बायकॉट न करें...यह विश्व की सबसे बड़ी गुडविल एम्बेसडर

गुलजार ने बताया कि उनकी बुक 'ए पोएम ए डे' में देश भर के कवियों के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के कुछ महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं से चुनकर बुना गया है. इसमें 365 दिनों के हिसाब से प्रत्येक दिन एक कविता को समर्पित है. इसमें 279 कवियों और 34 भाषाओं के कवि-कवयित्रियों को शामिल किया है. इसे तैयार करने में 9 साल लगे. इसे भारतीय जुबान में लिखा गया है. इस दौरान गुलजार ने अपने द्वारा लिखी गई गजलों को भी लोगों को सुनाया.

पढ़ें: JLF 2023: शबाना ने खोला जावेद अख्तर के रोमांस का राज, सुधा मूर्ति ने भी रखी बात

गुलजार ने बताया कि कैसे देश काल परिस्थिति में विभिन्न प्रांतों के लोगों की विचारधाराओं में तब्दीली आई. इस दौरान अलग-अलग क्षेत्र की समस्याएं शायरों ने अपनी कविताओं में लिखी. उन्होंने उत्तर पूर्व की एक रचनाकार की कविता से अपनी नजरों की शुरुआत की और उड़ीसा तेलंगाना समेत कई प्रांतों के कवियों की बातों को लिखा. गुलजार के सेशन में बड़ी संख्या में हर उम्र के लोग उन्हें सुनने के लिए मौजूद थे. उनके शब्दों पर वाह-वाह का दौर देर तक चला. गुलजार ने भी जयपुर की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें गुलाबी शहर खासा पसंद है. यहां के लोग हर बार उनका गर्मजोशी के साथ इस्तकबाल करते हैं.

गुलजार की बुक 'ए पोएम ए डे' लॉन्च

जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन मशहूर गीतकार गुलजार की किताब 'ए पोएम ए डे' पर बात हुई. इस बुक में साल के 365 दिनों को लेकर रोजाना की एक कविता के आधार पर कुछ कविताओं को पेश किया. गुलजार ने 1947 से लेकर 2017 तक के दौर में अलग-अलग भाषाओं के अलग-अलग कवियों की रचनाओं का इसमें अनुवाद किया है.

गुलजार ने बताया कि कैसे प्रकाशक ने उनसे संपर्क किया था और फिर यह विचार आया कि साल की हर 1 दिन के लिए एक कविता को पेश किया जाए. इस दौरान काफी लोगों ने उनकी मदद भी की. फिर करीब 400 कविता और शायरियों में से उन्होंने साल के 365 दिनों के लिए इन कविताओं का चुनाव किया और उन्हें अलग-अलग भाषाओं से अनुवाद कर एक किताब के रूप में संकलित किया जो जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन लॉन्च की गई है. इस दौरान गुलजार ने अपनी किताब पर बात करते हुए कहा कि जितनी अंग्रेजी नेशनल भाषा है, वैसे ही हमारी अन्य भाषाएं भी नेशनल हैं. जिन्हें रीजनल नाम दिया गया है. मराठी, तमिल जैसी भाषाएं भी नेशनल हैं. इन्हें क्लासिकल लेंगवेज का दर्जा मिला हुआ है.

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गुलजार ने बताया कि उनकी बुक 'ए पोएम ए डे' में देश भर के कवियों के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के कुछ महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं से चुनकर बुना गया है. इसमें 365 दिनों के हिसाब से प्रत्येक दिन एक कविता को समर्पित है. इसमें 279 कवियों और 34 भाषाओं के कवि-कवयित्रियों को शामिल किया है. इसे तैयार करने में 9 साल लगे. इसे भारतीय जुबान में लिखा गया है. इस दौरान गुलजार ने अपने द्वारा लिखी गई गजलों को भी लोगों को सुनाया.

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गुलजार ने बताया कि कैसे देश काल परिस्थिति में विभिन्न प्रांतों के लोगों की विचारधाराओं में तब्दीली आई. इस दौरान अलग-अलग क्षेत्र की समस्याएं शायरों ने अपनी कविताओं में लिखी. उन्होंने उत्तर पूर्व की एक रचनाकार की कविता से अपनी नजरों की शुरुआत की और उड़ीसा तेलंगाना समेत कई प्रांतों के कवियों की बातों को लिखा. गुलजार के सेशन में बड़ी संख्या में हर उम्र के लोग उन्हें सुनने के लिए मौजूद थे. उनके शब्दों पर वाह-वाह का दौर देर तक चला. गुलजार ने भी जयपुर की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें गुलाबी शहर खासा पसंद है. यहां के लोग हर बार उनका गर्मजोशी के साथ इस्तकबाल करते हैं.

Last Updated : Jan 20, 2023, 11:54 PM IST
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