जयपुर. राजधानी जयपुर में हिंगोनिया गौशाला सहित विभिन्न गौशालाओं के सहयोग से गौकाष्ठ तैयार कराया गया है. जिसे होली से पहले-पहले करीब 3000 स्थानों तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जयपुर में तीन साल पहले होलिका दहन में गौकाष्ठ का प्रयोग किया गया था. 2016-17 में गोबर से बनने वाली लकड़ियों का निर्माण शुरू किया गया था. ये प्रयोग सफल रहने पर इस गौकाष्ठ का इस्तेमाल होली और लोहड़ी के पर्व पर किया गया.
इस बार ग्रेटर नगर निगम ने हिंगोनिया गौशाला में बनाई गई लकड़ी का वितरण पूरे शहर भर में निशुल्क करने का फैसला लिया है. इसके लिए बड़े स्तर पर हिंगोनिया गौशला में गौकाष्ठ तैयार किया गया है. जिसे भी गोकाष्ठ से होलिका दहन करना होगा वो नगर निगम की हेल्पलाइन पर निशुल्क गौकाष्ठ बुक करवा सकेगा. फिर उसे यहां से गौकाष्ठ उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही हिंगोनियां गौशाला से भी सीधे गौकाष्ठ लिया जा सकेगा.
निगम महापौर ने सभी जनप्रतिनिधियों और पार्षदों से आह्वान किया है कि इस पहल से जुड़कर पर्यावरण संरक्षण में हिस्सा लें. वहीं गौशाला के प्रबंधकों ने बताया कि जयपुर के लिए 400 टन से ज्यादा गौ काष्ठ तैयार की गई है. निगम के उपमहापौर ने गौकाष्ठ का प्रदेशव्यापाी अभियान चलाने का ऐलान किया है. योजना है कि गौकाष्ठ से होलिका दहन के अभियान को राजधानी के व्यापार मंडलों के साथ ही विकास समितियां और गौशाला संचालकों को भी शामिल किया गया.
उप महापौर पुनीत कर्नावट ने बताया कि आज से प्रदेश के सभी निकायों के जनप्रतिनिधियों से मिलकर गौकाष्ठ से होलिका दहन, यज्ञ और अंतिम संस्कार के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा. उन्होंने बताया कि शहर की 100 से ज्यादा होलिका उत्सव समितियां होलिका दहन के लिए पेड़ों की कटाई पर निर्भर हैं. इसे देखते हुए गौकाष्ठ का निर्माण शुरू किया गया और अब होली में शहर के अधिकतर स्थानों पर इसी गौकाष्ठ से होलिका दहन हो रहा है. इससे पेड़ों की कटाई रुकेगी और पर्यावरण भी शुद्ध रहेगा. सामाजिक कार्यकर्ता रवि नैयर ने बताया कि 2100 रुपए में 150 किलो गौकाष्ठ ऑनसाइट उपलब्ध कराई जाएगी. इससे एक सामूहिक होलिका दहन में करीब ढाई पेड़ (12 साल का पेड़) बचेंगे.