जयपुर. प्रदेश में मनाया जाने वाला गणगौर का त्यौहार और गणगौर की सवारी विश्वभर में प्रसिद्ध है. गणगौर पर्व पर राजशाही रूप से शहर में गणगौर की सवारी निकाली गई. शाही लवाजमें के साथ गणगौर की सवारी त्रिपोलिया गेट से प्रारंभ होकर तालकटोरा तक चली.
पर्यटन विभाग की ओर से गणगौर माता की सवारी शाही लवाजमे के साथ जनानी ड्योढ़ी से निकली और त्रिपोलिया गेट से रवाना होकर छोटी चोपड़, गणगौरी बाजार से चौगान स्टेडियम के पास होते हुए तालकटोरा पर पहुंची.
कलाकारों ने बढ़ाई लवाजमे की शोभा
सवारी में आगे पारंपरिक नृत्य कालबेलिया, गैर, मांगणयार, चकरी, भोपा आदि करते हुए कलाकार चल रहे थे. साथ ही हाथी, ऊंट, घोड़े, तोपे, बग्गियां, बैंड बाजे ने भी लवाजमे की शोभा बड़ाई. जैसे ही त्रिपोलिया गेट से चांदी की पालकी में गणगौर की शाही सवारी निकली. पूरा बाजार माता के जयकारों से गूंज उठा. देशी विदेशी पर्यटकों ने शाही सवारी का जमकर आनंद लिया. गणगौर की एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में देशी विदेशी पर्यटक और स्थानीय निवासी बाजार में मौजूद रहे.
ईसरजी के बिना निकलती है गणगौर की सवारी
जयपुर की गणगौर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां की गणगौर माता ईसरजी के बिना अपने पीहर जयपुर की जनानी ड्योढ़ी में पूजीत हो रही है. जयपुर की गणगौर माता की सवारी ईसरजी के बिना ही बाहर निकलती है. ईसरजी सालों से किशनगढ़ की रियासत में पूजे जा रहे है.
विदेशी पर्यटकों को भायी गणगौर की सवारी
गणगौर माता की सवारी देख विदेशी पर्यटक आश्चर्यचकित रह गए. पर्यटकों का कहना था कि इस तरह की सवारी पहली बार देखी. साथ ही उनको राजस्थान के रंग, परिधान बहुत पसंद आये. वहीं राजस्थान का लोक नृत्य और गीत भी विदेशी पर्यटकों को लुभा रहा था.