जयपुर. वर्दी किसी पहचान से कम नहीं होती, फिर चाहे वो खाकी हो, चाहे सफेद या काली. खाकी वर्दी पुलिस की सफेद वर्दी डॉक्टर की और काली वर्दी वकील की. वर्दी देखते ही लोग पहचान जाते हैं कि संबंधित का ओहदा क्या है. लेकिन फारेस्ट डिपार्टमेंट के कर्मचारी इसी वर्दी से मेहरून है. जिसकी वजह से उन्हें फील्ड में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अमूमन उनकी पहचान पर भी सवाल उठ जाते हैं. यही वजह है कि अब फील्ड में तैनात फॉरेस्ट कर्मचारी अपनी वर्दी की आस लगाए हुए हैं.
वन अधीनस्थ संघ के प्रदेश संयोजक बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि वन कर्मचारियों से सरकार और वन विभाग के अधिकारी अपेक्षा रखते है कि वो यूनिफॉर्म में रहे. वन कर्मचारियों की यूनिफार्म का जो नोटिफिकेशन अप्रैल 2000 में हुआ था उस समय यूनिफॉर्म के लिए प्रति कर्मचारी 1750 रुपए देना निश्चित किया गया था. उस वक्त पुलिस, जेल कर्मी और एक्साइज डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को भी इतनी ही धनराशि दी जाती थी. जिसके बाद लगातार यूनिफार्म के पैसे कई बार बढ़ चुके हैं.
फोर्थ क्लास को 1800 रुपए यूनिफार्म के दिए जाते हैं. ड्राइवर को 2100 रुपए यूनिफार्म के दिए जाते हैं. जबकि फॉरेस्ट गार्ड को 1650 रुपए ही यूनिफार्म के लिए दिए जा रहे हैं. यह राशि भी नगद नहीं दी जाती है. किसी को कपड़े तो किसी को जूते देकर फॉर्मेलिटी कर दी जाती है. पहले से भी 100 रुपए की कटौती कर दी गई है. जबकि वन कर्मचारियों के समकक्ष दूसरे डिपार्टमेंट में कार्यरत कर्मचारियों को करीब 7000 रुपए यूनिफार्म के दिए जा रहे हैं. इस महंगाई के जमाने में एक यूनिफॉर्म सिलाने के लिए करीब 3500 खर्च होते हैं.
ऐसे में कर्मचारी के पास यूनिफॉर्म के लिए पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता है. ना ही पर्याप्त समय पर कपड़ा उपलब्ध करवाया जाता है. ऐसी स्थिति में कर्मचारी यूनिफार्म कहां से पहनेगा. यूनिफॉर्म नहीं पहनने के कारण आज स्थिति यह हो रही है कि किसी की पहचान नहीं हो पाती है. ये भी नहीं पहचाना जाता है कि किस डिपार्टमेंट का कर्मचारी है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए या तो यूनिफॉर्म को ही खत्म कर दिया जाए या फिर यूनिफार्म के लिए पूरे पैसे कर्मचारियों को दिए जाएं. ताकि कर्मचारी सही तरीके से यूनिफार्म पहन सकें.
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उन्होंने कहा कि इस बारे में डिपार्टमेंट को भी कई बार अवगत करवा दिया गया. डिपार्टमेंट की ओर से भी फाइल को लेकर टालमटोल की जा रही है. कभी नियम संशोधन की बात कही जाती है, तो कभी कार्रवाई का आश्वासन दिया जाता है. वेतन विसंगति को लेकर सामंत कमेटी के पास भी गए. वहां से भी जवाब मिला है कि यूनिफॉर्म डिपार्टमेंट की ओर से ही उपलब्ध करवाई जाएगी. पुलिस को पुलिस एक्ट के तहत वर्दी मिलती है और फॉरेस्ट कर्मचारियों को फॉरेस्ट एक्ट के तहत वर्दी मिलती है. वन अधिकारियों की अनदेखी के चलते कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों को चाहिए कि बजट के समय इसका प्रावधान किया जाए.
बजट के समय अधिकारियों को कर्मचारियों की वर्दी के लिए भी आगे सरकार तक बात पहुंचानी चाहिए. कर्मचारियों की यूनिफार्म का खर्चा बजट में शामिल होना चाहिए. वन कर्मचारियों को ऑफिस एक्सपेंसेस के नाम से वर्दी दी जाती है. ऑफिस एक्सपेंसेस तो ऑफिस फर्नीचर और लिपाई पुताई में ही खर्च हो जाते हैं. वन विभाग के कर्मचारियों के लिए वर्दी जरूरी है. सरकार और अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए.