जयपुर. आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम को 20 करोड़ की रिश्वत के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने निंबाराम के खिलाफ दायर एफआईआर रद्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने ये आदेश निंबाराम की आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. कोर्ट ने इस मामले में सह आरोपी ओमकार सप्रे और संदीप चौधरी की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट के आदेश पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि निंबाराम के खिलाफ षड़यंत्रपूर्वक और साजिश के तहत एक मामला फ्रेम किया गया. लेकिन न्यायालय में झूठ ज्यादा देर नहीं चला. उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं.
सत्य की जीत: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि एक घटनाक्रम हुआ जिसमें संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम के खिलाफ षडयंत्रपूर्वक और साजिश के तहत एक मामला फ्रेम किया गया. एक साल से न्यायालय राज्य सरकार और पुलिस से जवाब मांगता रहा. कोई प्रमाणिक तथ्य नहीं थे, कोई जवाब नहीं था. हमारे यहां कहा जाता है कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता और आज निंबाराम को दोषमुक्त करने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सत्य की हमेशा जीत होती है. मैं न्यायालय के निर्णय का स्वागत करता हूं.
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राष्ट्रवादी संगठनों को लांछित करने का काम: पूनिया ने कहा कि इससे एक बात और स्पष्ट हो गई कि कांग्रेस पार्टी जिस तरीके से सियासत करती है, राजनीति करती है, राष्ट्रवादी संगठनों पर इससे जुड़े लोगों की जिस तरीके से मानहानि करती है. साजिश के तहत षडयंत्र करके अक्सर कांग्रेस की सरकार में ऐसा होता रहा है कि मुददों से ध्यान बांटने के लिए, अपने पापों पर पर्दा डालने के लिए राष्ट्रवादी संगठनों को लांछित करने का काम करती है.
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ये था मामला: बता दें कि संघ प्रचारक निंबाराम पर दो साल पहले जयपुर नगर निगम में डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली बीवीजी कंपनी बकाया के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था. निंबाराम ने एसीबी की ओर से दर्ज की गई इस एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई थी.