जयपुर. राजस्थान में एक ओर लगातार यह चर्चा चल रही है कि क्या अब एक उम्र के बाद नेताओं को सत्ता का लालच छोड़ कर चुनाव लड़ने की बजाए नई पीढ़ी को आगे बढ़ाना चाहिए. हाल ही में सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी कहा था कि बड़ी उम्र के नेताओं को किसी के कहने की बजाय खुद ही सत्ता का लालच छोड़ चुनावों से दूरी बना लेनी चाहिए. अब राजस्थान के बड़े पदों पर रहे नेता आगे आकर उदाहरण पेश करना शुरू कर चुके हैं. पहले मंत्री हेमाराम और फिर पूर्व मंत्री भरत सिंह ऐलान कर चुके हैं कि वे अब आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे. अब इसी कड़ी में राजस्थान के पूर्व स्पीकर और पायलट समर्थक वरिष्ठ विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत का भी नाम जुड़ गया है.
दीपेंद्र सिंह शेखावत ने जनता के बीच खड़े होकर ऐलान किया कि वह 1980 से श्रीमाधोपुर की जनता की सेवा कर रहे हैं, लेकिन अब उनका स्वास्थ्य इस बात की इजाजत उन्हें नहीं देता कि वो चुनाव लड़ें, ऐसे में भले ही श्रीमाधोपुर की जनता उन्हें चुनाव जिताना चाहती है, लेकिन अब वो अपनी जनता की सेवा स्वास्थ्य कारणों के चलते नहीं कर सकते हैं तो फिर उन्हें चुनाव भी नहीं लड़ना चाहिए. बता दें कि दीपेंद्र सिंह शेखावत चाहते हैं कि अब कांग्रेस पार्टी उनकी जगह उनके बेटे बालेंदु सिंह को टिकट दे ताकि कांग्रेस पार्टी की कमान अब युवाओं के हाथ में हो.
हेमाराम, भरत सिंह, अमीन खान कर चुके चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान अब दीपेंद्र सिंह के बाद कई नेता कतार में, गहलोत भी इसी पीढ़ी के
कुछ दिनों पहले पूर्व मंत्री और विधायक भरत सिंह ने न केवल चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपील की कि वो भी अब वैभव गहलोत को आगे करें. उनकी बात को रंधावा ने भी आगे बढ़ाते हुए कहा कि बड़ी उम्र के नेताओं को तो अब खुद ही ये निर्णय ले लेना चाहिए. 1980 से राजस्थान में चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के नेताओं की बात करें तो उनमें अब मंत्री हेमाराम, पूर्व मंत्री भरत सिंह, पूर्व मंत्री अमीन खान, दीपेंद्र सिंह शेखावत और परसराम मोरदिया वो नेता है जो आज भी जनता की पसंद बने हुए हैं और लगातार विधान सभा चुनाव जीतकर विधायक बन रहे हैं.
पढ़ें 99 फीसदी वोट कांग्रेस को देकर भाजपा का जोखिम लेते हैं, लेकिन इंसाफ नहीं मिलता: अमीन खान
1980 या उससे पहले वाली पीढ़ी के नेताओं में से दीपेंद्र सिंह शेखावत, हेमाराम, भरत सिंह और अमीन खान ने तो चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है. अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर है कि वो इस पर क्या निर्णय लेते हैं. संभव है कि परसराम मोरदिया भी जल्द ही ऐसा कोई निर्णय ले सकते हैं. बता दें कि पहले भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे नारायण सिंह ने स्वास्थ्य कारणों के चलते चुनाव से दूरी बनाई. पिछले विधानसभा चुनाव में अपने बेटे वीरेंद्र सिंह को चुनाव लड़वाया था जो वर्तमान में विधायक भी हैं.