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Earth Day 2023 : पृथ्वी को बचाने की मुहिम, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लोगों को जगरूक कर रही राजस्थान की बेटी

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान की बेटी नेहा अलग-अलग जगहों पर लोगों को जागरूक कर रही हैं. प्रदूषण कंट्रोल और पृथ्वी को बचाने की मुहिम में जुटी हैं. विश्व पृथ्वी दिवस पर देखिए जयपुर से ये खास रिपोर्ट.

Neha Sakka Campaign
लोगों को जगरूक कर रही राजस्थान की बेटी
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Published : Apr 22, 2023, 6:15 AM IST

नेहा की मुहिम...

जयपुर. हर साल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ये दिन खास होता है. इस साल वर्ल्ड अर्थ डे की थीम 'इन्वेस्ट इन आवर प्लेनेट' रखा गया है. इसका अर्थ है, पर्यावरण संरक्षण के लिए मौजूदा चुनौतियों को जानकर उन्हें खत्म करने के उपायों पर विचार-विमर्श करना. आज विश्व पृथ्वी दिवस पर हम आपको मिलाते हैं नेहा सक्का से. नेहा वैसे तो जयपुर डिस्कॉम में कनिष्ठ अभियंता के पद पर काम कर रही हैं, लेकिन इसके साथ वो अपने ही तरीके से पृथ्वी को बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैं. नेहा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के अधिक से अधिक उपयोग के लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं. इन अवेयरनेस प्रोग्राम के लिए नेहा को नेशनल लेवल पर सम्मानित किया जा चुका है.

1 साल से मिशन जारी : जयपुर डिस्कॉम में जेईएन के पद पर काम करने वाली नेहा सक्का ने प्रदूषण से बचाने का अनोखा तरीका निकाला है. नेहा पिछले 1 साल से इलेक्ट्रिक व्हीकल और ग्रीन टेक्नोलॉजी को लेकर अपने खर्चे पर स्कूल-कॉलेज में निशुल्क जागरूकता अभियान चला रही हैं. इस अभियान से जो जागरूकता बढ़ी है, उसको लेकर उन्होंने इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में वर्ल्ड्स प्रोमिनेंट ई मोबिलिटी इन्फ्लुएंसर एंड एजुकेटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज किया है. नेहा को इससे पहले एक साल में 30 से अधिक कॉलेज में जागरूक कार्यक्रम के लिए नेशनल एक्सीलेंस एजुकेशन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ एक साल में पूरे देश में अनेक कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों, प्राइवेट दफ्तरों, स्कूलों, NGO सहित अलग-अलग जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम करने के लिए नेशनल यूथ पार्लियामेंट में नेशनल एक्सीलेंस एजुकेशन अवार्ड से भी नवाजा गया.

पढे़ं : Special : चंबल एक्सप्रेस-वे के किनारे पर किसानों को राहत देने के लिए बनेगी सर्विस रोड

पृथ्वी को बचाना है : जयपुर डिस्कॉम में कनिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत नेहा सक्का कहती हैं कि इस पृथ्वी ने हमें बहुत कुछ दिया है. अब जब पृथ्वी खतरे की तरफ जा रही है तो हमारा दायित्व बनता है कि हम इस पृथ्वी को कुछ दें. बचपन से ही पर्यावरण को दूषित होने से बचाने की दिशा में सोचा करती थी. इसीलिए कहीं पर भी आने-जाने में कोई गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करती. जहां तक संभव हो पैदल ही जाना-आना पसंद करती हूं. यहां तक कि अपने ऑफिस भी वो हर दिन 2 से 3 किलोमीटर पैदल चल कर आती हैं. कॉलेज पास होने के बाद में जब जयपुर डिस्कॉम में सहायक अभियंता के रूप में काम करने लगीं तो उस वक्त मन में था कि कुछ ऐसा करो कि प्रदूषित होते इस पर्यावरण को बचाया जा सके. इसके लिए रिसर्च किया, जिसमें सामने आया कि यदि हमें जिंदा रहना है तो पृथ्वी को जिंदा रखना होगा. अध्ययन के बाद यह समझ में आया कि हमें पर्यावरण को अगर बचाना है तो उसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना होगा. इसलिए मैंने इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर रिसर्च किया और उसके बाद अवेयरनेस कार्यक्रम करने लगी.

स्कूल-कॉलेज में EV की जानकारियां कर रहीं शेयर : नेहा कहती हैं कि जिस तरह पेट्रोल-डीजल की वजह से वायु में प्रदूषण फैल रहा है. इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि भारत का भविष्य इलेक्ट्रिक व्हीकल होगा. यही वजह है कि इस दिशा में तेजी से नित नए प्रयोग हो रहे हैं. लेकिन अभी भी जागरूकता का आभाव है. इसकी वजह से लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल को नहीं खरीद रहे हैं. सोशल मीडिया पर फैली भ्रांतियां लोगों को गुमराह कर रही हैं. इसलिए वह अलग-अलग कॉलेज-स्कूलों में जाकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बारे में स्टूडेंट्स को जागरूक कर रही हैं. वह कहती हैं कि यह नया प्रयोग है, लेकिन हमें इसको मौका देना चाहिए. इससे हम खारिज नहीं कर सकते. कुछ चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन वक्त के साथ वह भी सही हो रही है. हर दिन इस पर काम किया जा रहा है.

निशुल्क प्रशिक्षण : नेहा सक्का ने 'ट्रस्ट ईवीः अवेयरनेस ओथ' के नाम से प्रशिक्षण शिविर लगा रही हैं, जिसके तहत वे देशभर के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में जा रही हैं और भावी इंजीनियर्स को इस विषय पर शिक्षा दे रही हैं. नेहा कहती हैं कि वह इस काम को निशुल्क कर रही हैं. किसी भी तरह से स्टूडेंट्स या कॉलेज से पैसे नहीं लेतीं. अब तक देश के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में 30 से ज्यादा कॉलेज में 1500 से ज्यादा इंजीनियर्स को जागरूक कर चुकी हैं. ट्रेनिंग सेशन में वह इलेक्ट्रिक वाहन, उद्योग से जुड़े विभिन्न अवधारणाओं, एएनए, आइए सीएएन, पावर यूटिलिटी, लैंड प्रोक्योरमेंट, सीपीओ, सीएमएस ई-एमपीएस, टाइप्स, कनेक्टर गन्स और बैटरी पैक, मोटर कंट्रोल जैसे‍ अन्य आंतरिक घटकों के बारे में बारीकी से जागरूक कर रही हैं.

नेहा का अचीवमेंट :

2015 में बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड.

2016 में नेशनल गियोगृफी फोटोग्राफी प्रोजेक्ट.

2020 में "चिल्ड्रेन्स राइट तो हैल्दी अर्थ" पब्लिक प्रदर्शन अल्बर्ट म्यूजियम-बच्चों के लिए साफ हवा की मांग.

2021 में नेशनल गियोगृफी, यूनाइटेड नेशन की अनेक ओन्लीमे ट्रेनिंग की.

2021 में इलेक्ट्रिक वेहिकल का सर्वे किया.

2022 में इलेक्ट्रिक वेहिकल के बढ़ावे के लिए "ट्रस्ट ईवी अवेयरनेस ओथ : एम्पावरिंग यूथ एंड वीमेन" शुरू किया.

2022 में नेशल ईथ पार्लियामेंट 2022 में "नेशनल एक्सीलेंस एजुकेशन अवार्ड".

2023 में 1150 से अधिक युवाओं को ईवी के प्रती प्रेरित करने और 30 से ज्यादा प्रशिक्षण शिविर लगाने के लिए
"वोर्ल्डस प्रोमिनेंट ई मोबिलीटी इन्फ्लूएंसर" का वर्ल्ड रिकॉर्ड - इन्फ्लूएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ.

नेहा की मुहिम...

जयपुर. हर साल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ये दिन खास होता है. इस साल वर्ल्ड अर्थ डे की थीम 'इन्वेस्ट इन आवर प्लेनेट' रखा गया है. इसका अर्थ है, पर्यावरण संरक्षण के लिए मौजूदा चुनौतियों को जानकर उन्हें खत्म करने के उपायों पर विचार-विमर्श करना. आज विश्व पृथ्वी दिवस पर हम आपको मिलाते हैं नेहा सक्का से. नेहा वैसे तो जयपुर डिस्कॉम में कनिष्ठ अभियंता के पद पर काम कर रही हैं, लेकिन इसके साथ वो अपने ही तरीके से पृथ्वी को बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैं. नेहा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के अधिक से अधिक उपयोग के लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं. इन अवेयरनेस प्रोग्राम के लिए नेहा को नेशनल लेवल पर सम्मानित किया जा चुका है.

1 साल से मिशन जारी : जयपुर डिस्कॉम में जेईएन के पद पर काम करने वाली नेहा सक्का ने प्रदूषण से बचाने का अनोखा तरीका निकाला है. नेहा पिछले 1 साल से इलेक्ट्रिक व्हीकल और ग्रीन टेक्नोलॉजी को लेकर अपने खर्चे पर स्कूल-कॉलेज में निशुल्क जागरूकता अभियान चला रही हैं. इस अभियान से जो जागरूकता बढ़ी है, उसको लेकर उन्होंने इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में वर्ल्ड्स प्रोमिनेंट ई मोबिलिटी इन्फ्लुएंसर एंड एजुकेटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज किया है. नेहा को इससे पहले एक साल में 30 से अधिक कॉलेज में जागरूक कार्यक्रम के लिए नेशनल एक्सीलेंस एजुकेशन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ एक साल में पूरे देश में अनेक कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों, प्राइवेट दफ्तरों, स्कूलों, NGO सहित अलग-अलग जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम करने के लिए नेशनल यूथ पार्लियामेंट में नेशनल एक्सीलेंस एजुकेशन अवार्ड से भी नवाजा गया.

पढे़ं : Special : चंबल एक्सप्रेस-वे के किनारे पर किसानों को राहत देने के लिए बनेगी सर्विस रोड

पृथ्वी को बचाना है : जयपुर डिस्कॉम में कनिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत नेहा सक्का कहती हैं कि इस पृथ्वी ने हमें बहुत कुछ दिया है. अब जब पृथ्वी खतरे की तरफ जा रही है तो हमारा दायित्व बनता है कि हम इस पृथ्वी को कुछ दें. बचपन से ही पर्यावरण को दूषित होने से बचाने की दिशा में सोचा करती थी. इसीलिए कहीं पर भी आने-जाने में कोई गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करती. जहां तक संभव हो पैदल ही जाना-आना पसंद करती हूं. यहां तक कि अपने ऑफिस भी वो हर दिन 2 से 3 किलोमीटर पैदल चल कर आती हैं. कॉलेज पास होने के बाद में जब जयपुर डिस्कॉम में सहायक अभियंता के रूप में काम करने लगीं तो उस वक्त मन में था कि कुछ ऐसा करो कि प्रदूषित होते इस पर्यावरण को बचाया जा सके. इसके लिए रिसर्च किया, जिसमें सामने आया कि यदि हमें जिंदा रहना है तो पृथ्वी को जिंदा रखना होगा. अध्ययन के बाद यह समझ में आया कि हमें पर्यावरण को अगर बचाना है तो उसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना होगा. इसलिए मैंने इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर रिसर्च किया और उसके बाद अवेयरनेस कार्यक्रम करने लगी.

स्कूल-कॉलेज में EV की जानकारियां कर रहीं शेयर : नेहा कहती हैं कि जिस तरह पेट्रोल-डीजल की वजह से वायु में प्रदूषण फैल रहा है. इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि भारत का भविष्य इलेक्ट्रिक व्हीकल होगा. यही वजह है कि इस दिशा में तेजी से नित नए प्रयोग हो रहे हैं. लेकिन अभी भी जागरूकता का आभाव है. इसकी वजह से लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल को नहीं खरीद रहे हैं. सोशल मीडिया पर फैली भ्रांतियां लोगों को गुमराह कर रही हैं. इसलिए वह अलग-अलग कॉलेज-स्कूलों में जाकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बारे में स्टूडेंट्स को जागरूक कर रही हैं. वह कहती हैं कि यह नया प्रयोग है, लेकिन हमें इसको मौका देना चाहिए. इससे हम खारिज नहीं कर सकते. कुछ चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन वक्त के साथ वह भी सही हो रही है. हर दिन इस पर काम किया जा रहा है.

निशुल्क प्रशिक्षण : नेहा सक्का ने 'ट्रस्ट ईवीः अवेयरनेस ओथ' के नाम से प्रशिक्षण शिविर लगा रही हैं, जिसके तहत वे देशभर के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में जा रही हैं और भावी इंजीनियर्स को इस विषय पर शिक्षा दे रही हैं. नेहा कहती हैं कि वह इस काम को निशुल्क कर रही हैं. किसी भी तरह से स्टूडेंट्स या कॉलेज से पैसे नहीं लेतीं. अब तक देश के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में 30 से ज्यादा कॉलेज में 1500 से ज्यादा इंजीनियर्स को जागरूक कर चुकी हैं. ट्रेनिंग सेशन में वह इलेक्ट्रिक वाहन, उद्योग से जुड़े विभिन्न अवधारणाओं, एएनए, आइए सीएएन, पावर यूटिलिटी, लैंड प्रोक्योरमेंट, सीपीओ, सीएमएस ई-एमपीएस, टाइप्स, कनेक्टर गन्स और बैटरी पैक, मोटर कंट्रोल जैसे‍ अन्य आंतरिक घटकों के बारे में बारीकी से जागरूक कर रही हैं.

नेहा का अचीवमेंट :

2015 में बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड.

2016 में नेशनल गियोगृफी फोटोग्राफी प्रोजेक्ट.

2020 में "चिल्ड्रेन्स राइट तो हैल्दी अर्थ" पब्लिक प्रदर्शन अल्बर्ट म्यूजियम-बच्चों के लिए साफ हवा की मांग.

2021 में नेशनल गियोगृफी, यूनाइटेड नेशन की अनेक ओन्लीमे ट्रेनिंग की.

2021 में इलेक्ट्रिक वेहिकल का सर्वे किया.

2022 में इलेक्ट्रिक वेहिकल के बढ़ावे के लिए "ट्रस्ट ईवी अवेयरनेस ओथ : एम्पावरिंग यूथ एंड वीमेन" शुरू किया.

2022 में नेशल ईथ पार्लियामेंट 2022 में "नेशनल एक्सीलेंस एजुकेशन अवार्ड".

2023 में 1150 से अधिक युवाओं को ईवी के प्रती प्रेरित करने और 30 से ज्यादा प्रशिक्षण शिविर लगाने के लिए
"वोर्ल्डस प्रोमिनेंट ई मोबिलीटी इन्फ्लूएंसर" का वर्ल्ड रिकॉर्ड - इन्फ्लूएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ.

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